
रोशन जनकपुरी
भूख्खल पतुरिया
पेटमे अन्न
आ स्तनमे दूधक हेतु
एक-एक क’ खोलैत जा रहल अइछ वस्त्र
आ ओकरा सङ्गेके
जीट-जाटबला पुरुख
नाँगट भेल जा रहल अइछ ।
पाथरसन ठाढ आत्मावला मनुख्ख
आ पाथरक मूर्तिमे
सटिगेल अइछ गर्म वस्त्रसब
आ गर्म आत्मावला मनुख्खसब
टूटल मड़ैयामे आ सड़कपर
थरथरा रहल अइछ ठण्डी स,
आ ठण्ढीमे मौसम गर्मा रहल अइछ ।
समय अगियाएल जा रहल अइछ
मुदा समयमे एखनो
बतहबेसब तोइड रहल अइछ
छान-पगहा,
एतह एखनो सूत्रवाक्य अइछ
सब किछु, मुदा कने बचाइए क’ ।
त की करबह कवि ?
एखनो मौनते आ मुर्दा शान्तिएके कविता बथैत रहबह
कि चलबह सङ्घर्षक अभिनन्दन यात्रामे ?