
प्रियंका झा
आइ काइल्ह
सपनाइ छी
बड
अहाँ
गाम पर रहती
तऽ
कतेक रमनगर रहतै यौ ?
हमरा ई गाम
कनिकाे आन नइ लगैत
लोक सब कोनो हमरा
मुरझाएल नइ भेटैत
आओर
हम अहिना सदिखन
घरमे बैसल नइ रहती
एतौ उगैत
इन्द्रधनुषी साँझ,
इजोरीया राइतकऽ
ओ शीतल सन
दुधयिा छाँह॥॥।
एत सेहो बहतिै
सुगंधक प्रेमिल बयार,
रहितौं जखन
अहूँ गाम पर यार