
सागर बीर कडारी
आउ सङ्गे खेलबै, कनियाँ पुतरा
सबदिन रहवै, साफ सुथरा
हाथ पकैरके अटकन मटकन
दौडके कबडी, लगेवै पटकन
रेल बनि खेलबै, रेलगाड़ी छुकछुक
आसपास खेलवै, दलानमे छुपछुप
मूस विलाइमे, आइँख पट्टी बान्हवै,
चिन्टु भाइ चिन्टुमे, घोड़ा बनि फानवै
करिया झुम्मरि खेलवै, गाइब गाइबक’
कागदोस खेलबै, रबर जितैल’
तीन घर दोडवै, कोइली वक्सामे
हाथी बनि तानवै, हाथी चौकÞामे
बौआ बूच्चीसभमे, राखवै वड़ मेल
सब मिलके खेलबै, कितकित खेल ।