
स्व. राजेश्वर नेपाली
नेपालमे दू हजार सात सालक जनक्रान्तिक परिणाम स्वरुप निरंकुश राणाशासनक अन्त आ देशमे प्रजातन्त्रक घोषणाक संग शिक्षाक विकासद्वार खुजल । प्रजातान्त्रिक नेपालक प्रथम प्रधानमन्त्री मातृकाप्रसाद कोइराला राजा त्रिभुवनक प्रथम तराई भ्रमणक क्रममे जनकपुरधामक तिरहुतियागाछी मैदानमे २००८साल पुस २ गतेक आयोजित नागरिक अभिनन्दन समारोहमे स्वागत मन्तव्य मैथिलीमे रखैत राष्ट्रभाषा नेपालीक बाद मैथिलीक मान्यता देल जएवाक माग कएलगेल छल ।मुदा ओहि अनुरुप कोनो नीति आंगा नहि बढि सकल । ओहि समयमे नेपालमे विश्वविद्यालय नहिं छल आ पटना विश्वविद्यालय अन्तर्गत नेपालमे उच्च शिक्षा देल जाइत छल ताहि क्रममे २०१४ सालमे ओहि विश्वविद्यालयक स्वीकृति अनुसार जनकपुरधाममे रामस्वरुप रामसागर कांलेजक स्थापना भेल जे पाछा त्रिभुवन विश्वविद्यालयक स्थापना भेलापर ओहि अन्तर्गत राखल गेल । जनकपुर कांलेजक २०१५ सालक दोसर शैक्षिक सत्रस“ मैथिलीक पठन–पाठन पं. सूर्यकान्त झाद्वारा संचालित भेल आ प्रथम बैचक छात्र रहथि ब्रजकिशोर ठाकुर, रेवतीरमण लाल आ उमेशचन्द्र लाल कांलेजमे मैथिलीक पठन–पाठन करावएमे कांलेजक प्राचार्य गंगाधर दत्तक विशेष योगदान छलनि ।
कांलेजमे मैथिलीक कक्षा आरंभ होइते जनकपुरधामक जानकी आधार स्कूलमे प्रधानाध्यापक लोकराम पाण्डेय भेलाह । ओ नेपाली आ हिन्दीक बदला मैथिलीक पठन–पाठन पं. शीलाकान्त झा, शिवराम झा आ भूपेन्द्र झाद्वारा प्रथमस“ छठम् कक्षा धरि करौलनि ।
२०१६ सालमे जननिर्वाचित सरकारक गठनके बाद भेल शैक्षिक सुधारमे एस.एल.सी.पाठयक्रममे मैथिली राखल गेल किन्तु पढाइके व्यवस्था नहिं रहितो सिरहा जिलाक माडरि स्थित माध्यमिक विद्यालयस“
स्व अध्ययनक आधारपर २०१७ सालमे एस.एल.सी. परीक्षा फारम रोल नं. ३०८२ मैथिली विषयस“ भ’रहल रहथि । परीक्षाक कार्यक्रम अनुसार निश्चित तिथिमे प्रथम पत्र नहि अएलापर केन्द्राध्यक्ष जानकीरमण लालद्वारा केन्द्रीय कार्यालयमे भेल लिखापढीक पश्चात् तीन महीना बाद प्रश्नपत्र उपलब्ध कराओल गेल छलनि आ परीक्षा सम्पन्न भेल छल ।
ओकरबाद २०१९सालक शैक्ष्ँिक सत्रस“ जनकपुरधामक सरस्वती मा.वि.(जनता कांलेज संचालित छल) मे पं. सच्चिदानन्द झाद्वारँ एस.एस.सी.क छात्र (कक्षा ९मे) क“ुवरकान्त चौधरी आदिके“ मैथिली पढाओल गेल आ ओ क्रम नयां शिक्षा योजना २०२९ साल पुस एकस“ लागु होबएस“ पूर्वधरि चलैत रहल आ सैकडो विद्यार्थी मैथिलीस“ एस.एल.सी. करैत आई.ए.,वी.ए.धरि पढैत गेलाह ।
नेपालमे मातृभाषा मैथिलीमे प्राथमिक शिक्षा देबाक मांग सर्वप्रथम डा. हरिदेव मिश्र उठौलनि ।
२०१४ साल बैशाखमे प्रकाशित महोत्तरी जिला पुस्तकालयक मुखपत्र ‘नवजागरण’ मासिकमे छपल हुनक ‘शिक्षा’ शीर्षक निबन्धमे प्राथमिक शिक्षा मातृ भाषामे होएवाक चाही लिखैत ओ आगा लिखलनि “हमरा देशमे जाहि प्रकारक शिक्षाक आवश्यकता थिकैक ओ ई अछि जे शिक्षा ताहि तरहक हो जे नेपालवासीक ह्दयमे देश प्रेम आओर स्वतन्त्रताक बीज छीटि सकए ।”
निबन्धक अन्तमे लिखवाक मिति अंकित अछि २०१३ चैत्र १२ गते । महान शिक्षाशास्त्री डा. हरिदेव मिश्र जे पाछा त्रिभुवन विश्वविद्यालयक प्रथम प्राध्यापक भेलथि आ २०२४ साल भादवमे ‘इजोत’ द्वयमासिकक प्रधान सम्पादक रहैत आ सम्पादकीयमे मैथिलीक स्नातकोत्तर कक्षा संचालनक मांग करैत लिखलनि से विशेष उल्लेखनीय, पठनीय आ मननीय अछि ः– “नेपाल बिभिन्न भाषा, बिभिन्न बोली बजनिहारक देश अछि । एहि ठाम भाषास“ अधिक बोलीक संख्या छैक । भाषाक नामपर मात्र चारि पांचटा अछि । जाहि माध्यमस“ शिक्षण भ’ सकत, शेषके“ बोली कहि सकैत छी । नेपालक २०१८ सालक जनगणनाक अनुसार सबस“ अधिक संख्यामे बाजल जायबाला भाषा नेपाली अछि जे अहुना राष्ट्र भाषाक पदग्रहण कएने अछि । तदोपरान्त स्थान अबैतछै मैथिलीक । नेपालक तराई क्षेत्रमे मैथिली भाषीक संख्या अधिक अछि । तथ्यांकक विश्लेषण कएलास“ ज्ञात होइत जे सम्पूर्ण तराईमे २०÷२५ लाखस“ उपर मैथिली भाषी हएवाक स्थितिमे कमस“ कम माध्यमिक स्तरधरि मैथिली भाषामे पाठयक्रमक निर्धारण आवश्यकअछि ।अधिराज्यभरिमे मात्र एकटा विश्वविद्यालय अछि । ताहिमे स्नातकोत्तर मैथिली भाषाक पढाईक व्यवस्था नहि छै । तेहना स्थितिमे नेपालक मैथिली जिज्ञासु इच्छुक विद्यार्थी सभके“ एहिलेल भारतक शरण लेब परैत छै । एहि समस्याक ध्यानमे रखैत ई आवश्यक अछि जे मैथिली भाषाक पठन–पाठनक स्नातकोत्तर कक्षा संचालन होए ।
२०३२ सालक भानु जयन्तीके अवसरपर बेलाग्राम जनकपुरधाममे आयोजित समारोहमे पंक्तिकार राजेश्वर नेपालीद्वारा व्यक्त मन्तव्य राष्ट्र भाषा नेपालीक विकासक हेतु मैथिली सहितके क्षेत्रीय भाषासभक विकास आवश्यक अछि से बात रा.स.स. बुलेटिन आ गोरखापत्रमे छपल । ओकराबाद २०२६ सालक बाद बन्द भेल विद्यापति स्मृति पर्व समारोह, पंक्तिकारक संगहि जनकपुरधामक युवा तथा छात्र लोकनिद्वारा २०३४ साल माघ २६गतेस“ पूनः सुरुभेल । सार्वजनिक पुस्तकालय भवनमे आयोजित समारोहक अध्यक्षता करैत नेपाली कांग्रेसक नेता महेन्द्रनारायण निधि शिक्षाक स्तरवृद्धिक हेतु मातृभाषामे प्रारम्भिक शिक्षा देवाक मांग कएने रहथि (वैदेही) साप्ताहि २०३४ फागुन १९८९ ।किन्तु २०३० पुुस २७ मे अखिल नेपाल मैथिली साहित्य परिषद्क शाखा स्थापित भए चुकल छल मुदा विद्यापति स्मृति पर्व धरिक आयोजन नहि भए रहल छल । २०३४ सालक समारोहमे जे विहारक पूर्व राज्यमन्त्री डा. बैद्यनाथ झाके“ प्रमुख आतिथ्यमे भेल छल । ओकर बादे परिषद्क आयोजनमे २०३५ साल फागुन ३ आ ४ मे जानकी मंदिरक प्रांगणमे विद्यापति समारोहक भव्य आयोजन नेपाल राजकीय प्रज्ञा प्रतिष्ठानक कुलपति केदारमान व्यथितक प्रमुख आतिथ्यमे सम्पन्न भेल छल, तथापि मैथिलीक मान्यता हेतु कोनो ठोस कार्यक्रम नहि बढल ।
मिथिला नाट्यकला परिषद्द्वारँ २०४१ मार्ग २४ आ २५ गते जनकपुरधाममे आयोजित मैथिली विकास दिवस समारोहक उद्घाटन क्रममे प्रबुद्ध शिक्षाविद् तथा बरिष्ठ साहित्यकार पं.सुन्दर झा शास्त्री जोडदार शब्दमे मैथिली—मातृभाषामे प्राथमिक शिक्षा देल जएबाक मांग कएने रहथि (फूलपात,२०४१ पुसक पूर्णड्ढ १६ मे पंक्तिकार राजेश्वर नेपालीक आलेख नेपालमे मैथिली मातृभाषामे प्राथमिक शिक्षाक जोडदार मांग) । प्रजातन्त्र पूनस्र्थापनाक बाद सार्वभौम नेपाली जनताक नेपाल अधिराज्यक संविधान–२०४७ मे मातृभाषामे प्राथमिक शिक्षा देल जएवाक अधिकार उल्लेख कएलगेलाक बादो एखनधरि ताहि अनुरुपक कोनो व्यवस्था नहि भ’सकल अछि ।
उच्च शिक्षाक दिशामे त्रिभुवन विश्वविद्यालयक स्थापना कालहिंस“ आई.ए. (प्रमाण–पत्र) आ वी. ए. (स्नातक स्तर) धरि जनकपुरधाममे पठन–पाठन भ’रहलाक बादो स्नातकोत्तर (एम. ए.) कक्षा संचालन नहि भए रहलाक कारणे बेर–बेर मांग उठि रहल आ २०३६ सालक छात्र–आन्दोलनक परिणाम स्वरुप जनसंख्याक अनुपातमे देशक दोसर समृद्धभाषा मैथिली आ नेवारीमे डिग्री वाई डिजर्टेशन पाठ्यक्रमक आधारपर बेगर कक्षा संचालने स्नातकोत्तरक अध्यापन आरंभ भेल ।
ताहि क्रममे त्रि. वि.वि. क संस्कृत प्राध्यापक मैथिली भाषी डा. हरिदेव मिश्रक निर्देशनमे स्नातकोत्तर संचालन २०३६ सालमे भेल आ डिग्री वाई डिजर्टेशनक माध्यमस“ आरंभ भेल ओहि पाठयक्रममे पंक्तिकार सहित अनेक युवा छात्र लोकनिके“ नामांकन कराओल गेलनि । ओहि माध्यमस“ अच्युतानन्द चौधरी स्नातकोत्तर कएलनि । ओकर बादे २०३८ सालक साओनस“ मैथिलीक स्नातकोत्तर कक्षा जनकपुरधाममे डा. धीरेश्वर झा धीरेन्द्रक प्रमुखत्वमे केन्द्रीय विभागक संचालन आ ओकरबाद पी. एच. डी.धरिक व्यवस्था रहितो सम्पूर्ण मैथिली भाषी क्षेत्रमे मैथिलीक पठन–पाठन नहि भ’पाबि रहल अछि ।
२०२९ साल पुस १ मे राष्ट्रिय शिक्षा योजनाक नाम पर माध्यमिक विद्यालयस“ मैथिली हटा देलगेल छलैक । ओहिमे २०४७ सालस“ सुधार भेल आ एखन धनुषाक सरस्वती आ जानकी मा. वि. दुनू जनकपुरधामक संगहि राजेश्वर निधि मा.वि. नगराईन आ श्रीवासुदेव मा.वि. बहुअर्वामे कक्षा ९ आ १० मे मैथिलीक अध्ययन अध्यापन भए रहल अछि । प्रधानाध्यापक साहित्यकार अयोध्यानाथ चौधरीक सत्प्रयासस“ बहुअर्वा मा.वि.मे प्रथमस“ पंचम् कक्षा धरिमे २०५९ सालक शैक्षिक सत्रस“ मैथिली भाषामे पढाई होएब सबस“ प्रशन्ताक बात अछि । किन्तु जिलाक अन्य प्राथमिक विद्यालयमे एहन व्यवस्था नहि भ’सकल अछि । धनुषाक संगहि महोत्तरी, सर्लाही,सिरहा, सप्तरी, सुनसरी, मोरंग आ झापा धरिक मैथिली भाषी क्षेत्रमे अनिवार्यतः मैथिलीक पठन–पाठन होएबाक चाही ।
एहि तरहें त्रिभुवन विश्व विद्यालय अन्तर्गत रा.रा. ब. कैम्पसक संगहि राजविराज आ सिरहा कैम्पस आ निजीस्तरपर संचालित जनकपुर कैम्पस तथा महेन्द्र संस्कृत विश्वविद्यालय अन्तर्गतक जनक हजारी संस्कृत विद्यापीठ (कैम्पस) मे मात्र मैथिली कक्षा संचालन भए रहल अछि ।
प्राचीन मिथिला नारायणी नदीस“ पूर्व मेची धरिक हरेक कैम्पसमे मैथिलीक पठन–पाठन होएबाक व्यवस्था आवश्यक अछि, किन्तु ओहिस“ पूर्व संविधानमे उल्लेख कएलगेल अनुसार प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा मैथिलीमे देवाक अनिर्वाय व्यवस्था होएवाक चाही । अन्यथा शैक्षिकस्तर वृद्धि नहिं भए सकैत अछि आ नहिं मैथिली भाषा संस्कृतिक विकास भए सकैत अछि आ नहिं स्वस्थ राष्ट्रियता निर्माण भए सकैत अछि ।
( प्रस्तुत लेख सात वरिष पूर्व प्रेस स्वतन्त्रता सेनानी, वरिष्ठ पत्रकार एवम् साहित्यकार स्व. राजेश्वर नेपालीद्वारा लिखल गेल अइछ । पत्रकार एवम् साहित्यकार नित्यानन्द मण्डलकें फेसबुकस’ साभार कएल गेल अइछ । सं.)