
अर्जुन प्रसाद गुप्ता ‘दर्दिला’
जिनगीक हिसाब भुइल गेलौं हम,
हिसाब करैत करैत दुइर गेलौं हम ।
नयनसँ पुछलौं याद किछु अइछ की ?
ठहरल ई मन सोचैत अइछ की ?
अपन खोजैत खोजैत दुइर गेलौं हम ।
खुशी केहन होइछै बटोहीसँ पुछलौं,
मनक वेदना हमर नुकाकऽ हँसलौं,
अपने जिनगी कतहु छोइड एलौं हम ।
देखल सपनासब मनो नइँ पडैय,
चलल बाट हमर भेटबो नइँ करैय,
बस्ती पहुँचै पहुँचैत घुइर गेलौं हम ।
जिनगीक हिसाब भुइल गेलौं हम,
हिसाब करैत करैत दुइर गेलौं हम ।