मधेशक स्वाभिमानी साहित्यकार दर्दिला


मधेश प्रदेश अन्तर्गत सिरहा जिलाक लहान नगरपालिका वाड नम्बर १०, गुदीगाउँ निवासी अर्जुन प्रसाद गुप्ता ‘दर्दिला’ मूलतः मैथिली भाषा साहित्यके क्षेत्रमे अनवरत साधनारत छइथ । स्व. फगुनी साह ‘रौनियार’ एवम् स्व. धरोहरी देवीक पुत्रके रुपमे वि.सं. २०१९ साल कात्तिक ७ गते लहानमे भेल छल ।
लहानक पशुपति माध्यमिक विद्यालयस’ २०३६ सालमे मैट्रिक उतीर्ण कइर साहित्य सिर्जनामा रहैत आएल अइछ । मातृभाषा साहित्य कला संरक्षण केन्द्र नेपालक अध्यक्ष एवम् नेपाल पत्रकार महासंघक प्रदेश परिषद् सदस्य सेहो रहल साहित्यकार दर्दिला खास कइर मैथिली आ नेपाली भाषामे कविता, गीत, गजल लिखैत आएल छइथ । हुनकर लिखल ६ दर्जन जतेक मैथिली, नेपाली आ हिन्दी गीतसब रेकर्ड भेल अइछ । २०६३ सालसँ अखनी धइरमे नेपाली भाषामे करिब दू सौ आ मैथिलीमे कतेको २ विषयमे लेख प्रकाशित भ’ चुकल अइछ ।
एखनो अन्हार लगैय भाग १ (कविता संग्रह), आ दरद गीति संग्रह प्रकाशित अइछ । साहित्यकार दर्दिला विद्यापति पुरस्कार कोष जनकपुरधामद्वारा नेपाल विद्यापति पाण्डुलिपि पुरस्कार २०७८ सहित एक दर्जनस’ बेसी पुरस्कार, सम्मान, प्रसंशापत्र एवम् कदरपत्र प्राप्त कएने छइथ । गीत आ कविताके दूटा पुस्तक एखनो प्रकाशोन्मुख अइछ ।


स्वाभिमानी स्वाभावके दर्दिलाके लेखनमे मातृभाषा, मातृभूमि, प्रेम, वर्तमान परिवेश, समाजक विकृती, बेथिति, अन्याय, अत्याचार एवम् विभेद विरुद्धके शब्दरुपी गर्जन स्पष्ट बुझाइत अइछ । सामान्य जीवन शैलीमे मस्त रहनिहार ओ समतामूलक समाजके कट्टर पक्षधर मानल जाइत अइछ ।  प्रस्तुति : अन्जु यादव

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