देखैत चल रे बौवा


श्यामसुन्दर पथिक

केकरा पर आब करबै भरोसा
जतय पलपलमे बदलैय भाषा
छल जकरा पर सभक आशा
वएह थाइप रहल अइछ पासा
देखैत चल रे बौवा देखैत चल…

सकल स’ ओ बड्ड सुन्नर छै
देखैमे सेहो ओ भोलाभाला छै
चाम गोर मुदा मोन काला छै
तैयो ओ बड्ड दिलवाला छै
देखैत चल रे बौवा देखैत चल…

रङ्ग बदलएमे गिरगिटो फिक्का छै
व्यवहार हुनक द्वैधारी तलबार छै
एतबे नइँ जालिमके ओ सरदार छै
तैयो चल्ती हुन सभके बकरार छै
देखैत चल रे बौवा देखैत चल…

हुकहुक करैत हुनक जान छै
तैयो धुँधुवाइत फुँफकार छै
हमरे, हमहीटाके अभिमान छै
ओना त ओ नामी बेइमान छै
देखैत चल रे बौवा देखैत चल…

बिचारैत लिखैत चल, आगु बढैत चल
छोडि अतित, निरन्तर डेग बढबैत चल
प्रगतिक रास्ता चुनैत, भविष्य बुनैत चल
अन्हरिया चिरैत काल्हिका भोर देखैत चल
देखैत चल रे बौवा देखैत चल…

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