प्रथम मधेशी शहीद : क. बहादुर सदा


रामरिझन यादव
शहीद एकटा उच्च मनोभावना सहितके व्यक्ति होइत अइछ । केवल भौतिक मृत्युवरण करएवाला वा भबितव्यक मृत्युवरण करएवाला व्यक्ति नईं। वास्तवमे ई उच्च जीवनमूल्यसँ निसृत होइवाला शब्द अइछ । उच्च संस्कृतिके परिचायक अइछ । शहीद अरबी शब्द अइछ । अंग्रेजीमे ःथ्चतथचभ कहैवाला ई शब्द बहुत बड़का भाव समेटकए रखने छ ै। अपन देश, संस्कृति, आ अस्तित्वक संरक्षण ओ सम्वद्र्धन एवं स्वतन्त्रताक प्राप्तिके लेल अपन जानके आहुति देबैवाला व्यक्तिसवके अमर शहीद कहल जाइत अइछ ।
एहने अपन अस्तित्वक रक्षाक लेल संघर्ष करैवाला सिरहा जिला बड़हरा मिरचैयाके एकटा कर्मठ योद्धा छलाह क. बहादुर सदा । किसान आन्दोलनके क्रममे २०११ सालमे प्रहरीद्वारा हुनकर हत्या केल गेल छल। क. बहादुर सदा सिरहाक मात्र नइँ मधेशेके पहिल मधेशी शहीद छैथ। सिरहा जिला बड़हरा मिरचैया सम्भवतः सन् १९३० के दशकमे बहादुर सदाके जन्म भेल रहैन । हुनकर बाबुके नाम शान्ता सदा रहैन । महादलित परिवारमे जन्मल बहादुर सदा एकटा कर्मठ हिम्मतवाला आ साहसी योद्धा छलाह ।
मुसहर जाइतमे जन्म भेलाक बाबजुद ओ कहिओ मइटकट्टी काज नै केलैन । एक बिगहा खेत छलैन । खेतीपातीसँ गुजैर काटएमे कठिनाई होइ तऽ मजदुरी क’ लैत छलाह । ओही साल लगातार दू वर्षसँ अकाल पड़ल छल । गामक बड़का सामन्तसभक अतिरिक्त प्रायः सभके आर्थिक अबस्था खराब छल ।
वि.स. २०११ साल माघ महिनाके समय छल। एहि महिनातक धान दौनी भ’ चूकल रहैत अइछ । मुदा अकाल पड़लाक कारण गरिब किसान मजदुरके घरमे एको कनमा अनाज नै रहै। जाड़के मौसम समाप्त होवए लागल छल । नेपाल कम्युनिष्ट पार्टीके स्थापना भेला भरखर पाँच वर्ष भेल छल । बहुतलोक कम्युनिष्ट पार्टीके नामो नईं सुनने रहै। मुदा जयगोविन्द साहके नेतृत्वमे युवासभ गोलबन्द होवए लागल छल । एकटा युवक संघके स्थापना सेहो केल गेल रहै। एहिसँ जनतामे चेतनाक प्रष्टफूटन होवए लागल । मुदा कम्युनिष्ट पार्टीपर प्रतिवन्ध लगलाक कारण जयगोविन्द साह सार्वजनिक मुद्दामे जेलमे छलाह ।
१०४ बर्षके राणा शासनसँ मुक्त भेला मात्र चाइर वर्ष भेल छल । शोषण, दमण तथा उत्पीड़न यथाबत छल । ते कम्युनिष्ट पार्टीके नेतृत्वमे रौतहट, बारा तथा पर्सामे बहुत बड़का किसान आन्दोलनके शुरूआत भ’ चूकल छल । ’मोछ उखाड़ो आन्दोलन, रे नही जी कहो आन्दोलन, भखाड़ी फोड़ो आन्दोलन, तमसुक फाड़ो आन्दोलन’ जोड़ पकड़ने जाइत छल । एही किसान संघर्षके हवा सिरहाके सेहो प्रभावित केलक । किसानसभ गोलबन्द होवए लागल । एकओर आकाल रहै तऽ दोसरओर आन्दोलनके कारण किसानसभमे जोश जाँगर आ उत्साह भइर गेल । ते अपन अधिकारके खातिर किसान मजदुर नित्य दिन नारा जुलूस लगाबैत रहल ।’
एहि बीचमे गोर्खा परिषदके खुंखार सामन्त ठक्कु गोहिवार किसानसभके बैसारपर संघातिक हमला केलक । हमलाके किसानसभ निष्फल क’ देलक । किसानसभ हातहतियार सहित ठक्कू गोहिवार तथा रामचरित्र साहुके पकैर क’ सिरहा प्रशासनके बुझा देलक । मुदा ओकरासभपर कारबाइ करैके बजाय प्रशासन रिहा क’ देलकै । एहिसँ जनतामे आक्रोश उत्पन्न भेल । एहे आकोशके शान्त करबाक लेल सिरहा प्रशासन धारा १४४ अन्तरगत कर्फ्यू लगोने छल । मुदा कर्फ्ओके बिरूद्धमे जगह जगह प्रर्दशन होवए लागल । संघर्ष एतेक जोड़ पकड़लक जे बड़हरा मिरचैयासँ निकलल जुलूस कर्जन्हा पहुँचैत पहुँचैत विशाल रूप धारण क
चुकल छल । करजन्हा बजारसँ दक्षिण रहल आमके फुलवारी (अखुनका पासवान टोल) बहुत बड़का छल । ओहीमे जुलुस जमा भेल । स्थानीय सामन्त परमेश्वर साह, रामचरित्र साह, विश्वनाथ साह तथा हुनकर लठैतसभ भाला, गर्सा सहित मिलिट्रीसंगे (तखन प्रहरीके मिलिट्री कहैत छल, सेनाके गठन नै भेल छल) प्रदर्शनकारी सभपर आक्रमण केलक । बहुत पैघ भिड़न्त भेल जहिमे मिलिट्रीके गोलीसँ बहादुर सदा शहीद भ’ गेलाह ।’
एहिप्रकार दुटा श्रीमती सहित चाइरटा बालबचासभके छोइड क’ बहादुर सदा एहि दुनियाँसँ सदाके लेल चैल गेलाह । शोषण दमन उत्पीड़नके बिरूद्ध नेपाली किसान मजदुरके हक अधिकारके लेल लड़ैत मरल बहादुर सदा मधेशके प्रथम मधेशी शहीद छैथ । मुदा अखैनधैर सरकारद्वारा हुनका सहिद घोषणा नईं केल गेल अइछ । सिरहाके मात्र नइँ मधेशेके प्रथम सहिदके रूपमे रहल बहादुर सदाके ई सम्मान भेटनाई आवश्यक छै ।
१ कर्जन्हाक बिशेश्वर क्षेत्रीसँ बातचित
२. कृष्ण प्रसाद अधिकारी, नयाँ दृष्टि, नर्ष वर्ष विशेषांक २०६०
साभार  :  सिरहाके इतिहास

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