सुनो तो ! पायलिया करती है क्या बात (गीत)


–कृति चौबे

छन–छन करती घर आँगन में, शाम सुबह दिन रात !
सुनो तो ! पायलिया करती है क्या बात ।
बाबुल के घर कदम पड़े तो,
आँगन की तुलसी कहलाई !
पाँव महावर पड़े सजन घर,
तुलसी से आँगन हो आई !
आँचल में लेकर इतराए, सुख–दुःख की सौगात !
सुनो तो! पायलिया करती है क्या बात ।
मेंहदी की भीनी खुश्बू में,
अरमानों के रंग भरे हैं !
कलियों से कोमल हाथों पर,
शीशे जैसे ख्वाब धरे है !
भारी कदमों से लिपटे हैं, पीहर के जज्बात !
सुनो तो ! पायलिया करती है क्या बात ।
गाती है वो सात वचन जो,
धड़कन में भर कर लाई है !
कहती अर्थी पर जाऊँगी,
डोली जो चढ़ के आई है !
होठों पर मुस्कान सजाए, आँखों में बरसात !
सुनो तो ! पायलिया करती है क्या बात ।

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