बचपनके याद (संस्मरण)


अजित कर्ण
हट्ठा के बरद जेना, नै एम्हर नै ओम्हर, सिधे नाईदपर । बैशाख- जेठ के गर्मी आ “मोर्लिङ्ग” पढाई तैपर जेनाई-एनाई ९.५-१० किलोमिटर । हपाई-बपाई करैत १२ बजे मोहन मा. वि. मिर्चैया सँ दरबर दैत मतलेशर (मथिलेश्वर) पोखैर मे के पहिने उन्टाफान फानत, तै के छौंक । छौंरीसब गाछतर बैठैत सुस्ताइत अबै, छौंरासबके ओते संयम कहाँ ? कञ्चनपुर कैटते कहलियै, रौ! डगहर छोइड दहि, चल खेेते-खेेत । सब फुुद्दिदिजका फुुर्र! ढालबहादुर कुईद त गेलै मिर्चाइ खेतमे, ओकरा पछा-पछा सब खरहुवान । हे-हे कहिते छियै ताबे कोम्हर सँ ओगरवाहि करऽवला छौंरा ढालबहादुर के कनपट्टा लाल कऽ देलकै, आ हल्ला कऽ देलकै चोर-चोर के। कहलियै रौ सार! हमरासुन चोर बुझाईछियौ तोरा, टाङ्ग काइट कऽ छोट कऽ देबौ ( हमर दोस जयनाथ मण्डल के दोस्ती मे सिखने रहियै टाङ्ग काइट कऽ छोट करऽ के डायलग)।
बात भऽ गेलै जहर । जेना बिरहनि के खोता मे ढेपा माइर देलियै, कञ्चनपुर चौरीके लोक हमरेसभपर लुधैक गेलै । केकरो हमसभ मारियै कोई हमरासभके मारै, दे चमेटा, दे लात ।
बहिंचो! बात त भऽ गेलै आइग मिझेबे नै करै, कोपी किताब सेहो छिरिया गेलै। कतऽ के रौदा कतऽ के भुख ? जान बचै लाख उपाय, सौंसेचौरी के लोक जम्मा भऽ गेलै ।
छौंरा ढालबहादुर बैठक भुुकुर-भुुकुर कनै आ कोनो छौरा बाँकि नै रहै जेकर मुँहकान नोछरायल नै रहै ओना हाल त दुनुकात तेहनेसन ।
महेशपुर पञ्चायत के पुरना प्रधान लक्ष्मी मण्डल जे कञ्चनपुरे के रहै ओ जाइत रहै महेशपुर भोज खाइ, लोकके देखलकै जम्मा भेेल त दौडैत एलै । हौ कि भेलै? ताबे नजर पैरगेलै हमरापर । आहिं रौ बा! नुनु के मारलकौ? इ त देवानजी के पोता है । सबके जान मे जान एलै शायद आब झगडा छुइट जेतै । खेेतवला छौंरा कहलकै बाबा ! सबदिन मिर्चाई आ सजमैन तोइर कऽ लऽ जाइ है इ सभ आई पकरा गेलैय । प्रधानजी पिता क कहलकै, तोरी नानी के, देवानजी के पोता है इ आउर करतै चोरी, भाग सार । (बाप-दादा के निक करम)
हम कहलियै बाबा ! भुख लागल रहै, कहलियै डग्हर छोइड मे कुइद गेलै एकर लत्ति धंगा गेलै आ इ एकर कनपट्टो लाल कऽ देलकै आ चोर चोर कहिकऽ हल्लो कऽ देलकै ।
बुढबा सबके समझा कऽ झगडा शान्त करा देलकै । कहलकै चलै जाइजो सब खरहुवान दनुवारी मे भोज है । हम कहलियै हरहा मे नै जेबे । बुढ्वा कहलकै चल देवानजी साहाब सेहो आएल हेतौ । हम कहलियै बाबु के नै कहियह आ माईर के बाद पेट भरलेल बुढ्बा के पाछा धऽ लेलियै ।
अखनो कञ्चनपुर दऽ कऽ मिर्चैया जाइ छि त २०५० सालक इ घटना याद आइब जाइय । ओना मतलेशर बदलैय त बहुत, अहुठाम हटिया लगै छै । मिर्चैया के लगभग बड्का बोर्डिङ स्कुल के बस गाम मे पहुँचै छै तैयो ५ के बाद सरकारी स्कुल पढवला रतनपुर, पिपरा, महेशपुर, कञ्चनपुर, सितापुर, सोनी, गदहवा गामके विद्यार्थी के अखनो मिर्चैया के सिवा दोसर विकल्प नै । हाँ, विद्यार्थी सभके साइकल भेे गेलै सुविधा के रुप मे सएह टा ।

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