सीताके जन्मस्थली जनकपुरधाम : प्रमुख पर्यटकीय स्थल


पथिक
नेपाल मात्र नइँ विश्वके हिन्दू धर्मावलम्बी सबके लेल पवित्र धार्मिक स्थलके रुपमे जानकी मन्दिरके चिन्हल जाइत अइछ । जानकी अर्थात राजा जनकके बेटी सीताके जन्मस्थली जनकपुरधाममे ई मन्दिर स्थापित अइछ । ई मन्दिर मुगल शैलीमे बनाओल गेल अइछ ।
कलाके दृष्टिकोणस’ जानकी मन्दिरके नमूना मानल गेल अइछ । प्राचिन मिथिलाक राजधानी जनकपुरमे अवस्थित जानकी मन्दिर अत्यन्त आकर्षक एवम् मनमोहक मानल अइछ । सीता अर्थात जानकीक जन्मस्थलमे निर्मित ई मन्दिर भव्य एवम् आकर्षक अइछ । भारतके मध्य प्रदेश स्थित टिकमगढके राजकुमारी वृषभानु ९ लाख चानीके असर्फी खर्च कइरके मन्दिर निर्माण कराओने छल । तैं अइ मन्दिरके नौलखा मन्दिर सेहो कएल गेल अइछ । एकर निर्माणमे सिमेन्टके प्रयोग नइँ भेल अइछ । सुर्खी चुनाके प्रयोगस’ विशाल संरचना निर्माण भेल अइछ ।
सन् १८९४ मे मन्दिर निर्माणके लेल शिलान्यास भेल छल । सन् १९११ अर्थात १७ वरिषमे मन्दिर निर्माण काम पूरा भेल छल । सांस्कृतिक धरोहरके रुपमे रहल अइ मन्दिरमे कला कौशलताके नमूना प्रस्तुत कएल गेल अइछ । मन्दिरमे सम्पूणर् विधि विधान मिथिला संस्कार अनुसार कएल जाइत अइछ ।


चैत महिनामे राम नवमी,, वैशाखमे जानकी नवमी, अगहनमे विवाहपञ्चमी अर्थात रामजानकी विवाह महोत्सव, आसिन पूर्णिमामे कोजाग्रत, साउन-भादोमे झुला, फागुनमे परिक्रमा सहितके अन्य उत्सवसब सेहो विशेष महत्वके साथ मनाएल जाइत अइछ । अइ महोत्सव एवम् उत्सव सबमे हजारोके संख्यामे श्रद्धालु एवम् पर्यटक सहभागी होइत अइछ । ओना प्रत्येक महिनाके पूणर्िमामे सेहो भक्तजनसब सहभागी होइत अइछ । वर्तमानमे अइ मन्दिरके विश्व सम्पदाके सूचीमे समावेश करेबाक लेल प्रयास भ’ रहल अइछ । धार्मिक एवम् सास्कृतिक हिसाबस’ मैथिली सम्भ्यता धरोहरके रुपमा परिचत अइछ जानकी मन्दिर ।

ई मन्दिर ४९ हजार ५ सौ ५५ वर्गफिटमे फैलल अइछ । मन्दिर परिसरमे ६० टा कोठली अइछ । क्षेत्रफलके हिसाबस’ देशेमे सबस’ नम्हर मन्दिर मानल गेल अइछ । मन्दिर निर्माणके लगभग सवा सौ वरिष भेल अइछ । जानकी मन्दिरमे राम-जानकीके प्रतिमा स्थापित अइछ । मन्दिरमे स्थापित प्रतिमा सात सौ वरिष पुरान होयबाक अनुमान कएल गेल अइछ । वि.सं. १४१७ मे भारतके राजधानस्थित लोहांगढस’ जनकपुर आएल आदि महन्थ सुरकिशोर दास वैष्णव रामजानकीके मूर्तीके खोज कएने छल । १७८४ मे मकवानपुरके राजा मानिक सेन जानकी मन्दिरके नाममे १४ सय बिघा दान देने छल ।


मन्दिरमे दैनिक भव्य पूजा-आजा एवम् आरती होइत अइछ । मन्दिरके बुर्जा, गुम्बज, गर्भगृह, सोनौली गजुर, सुन्दर, सफा परिसर आ कलात्मक प्रवेशद्वार निर्मित अइछ । मन्दिरक कला मनमोहक कौशलता देखकए अइठाम आबैबाला लोगसब मोहित भ’ जाइत अइछ ।
दैनिक हजारोके संख्यामे देश विदेशस’ भक्तजन एवम् पर्यटक सब जानकी मन्दिर आबैत अइछ । विवाहपञ्चमी महोत्सव सबस’ नम्हर उत्सव मानल गेल अइछ । अयोध्याक राजा मर्यादा पुरुषोत्तम रामचन्द्र आ जनक दुलारी सीताके विवाह भेल दिनके स्मरण करैत ई महोत्सव मनाएल जाइत अइछ । अइ दिन मिथिलावासीके घरघरमे वैवाहिक उत्सव जँका मनवैत अइछ । जेना अपन बेटीके वियाह होय । अइ महोत्सवमे अइ दिन १० लाखस’ बेसी देशविदेशस’ दर्शनार्थी एवम् पर्यटक आबैत अइछ । बाजागाजाके साथ जनक धीया जानकीके डोला निकालल जाइत अइछ ।

मन्दिरमे भोर ७ बजे आ राइत ८ बजे आरती होइत अइछ । दिनके १२ स’ ४ बजेधैर गर्भगृह द्वार नइँ खुलैत अइछ । गर्भगृहके पाँछा सांस्कृतिक संग्रहालय अइछ । हलेश्वरी महायज्ञस’ ल कए जनकन्दनी सीया आ मर्यादा पुरुषोत्तम रामके विवाहधरिके दृष्य देखाएल जाइत अइछ ।
मन्दिरक अरिरिक्त परिसरमे रहल विवाह मण्डप, जानकी संग्रहालय सहित बहुतरास ऐतिहासिक एवम् पुरातात्विक महत्वके कला देखबायोग्य अइछ । अइ बाहेक राम मन्दिर, राजदेवी मन्दिर, जनक मन्दिर, महागंगा आरती, संकटमोचन मन्दिर, रामजानकी विवाह मण्डप, लक्ष्मण मन्दिर, धनुषाधाम, मणि मण्डप, स्वर्गद्वार इत्यादि सेहो धार्मिक पर्यटनके दृष्टिकोणस’ महत्वपूणर् मानल गेल अइछ ।

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