
दिनेश यादव
आन्हर भ’ जे काज करैय,
एक भगहा बैन फतमा जारी करैय,
जनसकोकार सबालमे मृत्तप्रायस् बनल रहैय
ओहेसभ ऐतह अभयिन्ता कहबैय ।
जनजनके फोडबाक जे काज करैय,
मौसमी उलेमा जारी करैय ,
सहोदराके भाषाके बोली कहैय,
ओहेसभ ऐतह अपनाके अगुवा कहबैय ।
लोकशैली जे पसंद नै करैय,
रगरगमे जक्कर जातिवाद भरलय,
फरक मत रैखते जेकरा भक्कचोन्ही लगैय,
ओहेसभ अभियानी कहबैय ।
करिया सोच जे सइदखन राखैय,
मानक शैलीके मात्र अपन बुझैय,
आनक शैलीमे खुर्लुच्ची बनैय,
ओहेसभ अमुक संस्थाके नामपर विज्ञप्ति जारी करैय ।
संकुचित घेरामे जे ओझरायल रहैय,
संसार ओहीके सदखैन मनैय,
अपन परिधी बाहरक लोकके शत्रु बुझैय
ओहेसभ अमुक भाषाके कथिक मुखिया बनैय ।
बौद्धिक अपराधमे जे खुब रमैय,
भाषिक दियादक सफलतामे जैल मरैय,
प्रतिस्पधीृ स्रष्टाके विराेधमे गरदमगोल करैय,
ओहेसभ अपनाके भाषिक माइन्जन बुझैय ।
मानक छडी सँ जे आनके डङ्गवैय,
छिकाछिकी,जोलहा, ठेठीके अपन नय मानैय
विपैतमे मात्र सभहक शैलीके अपन बुझैय,
ओहेसभ भावभंगिवा आ चोली बदैल प्रचाररतिमे डुबैय ।
काठमाडू, नेपाल