
कञ्चन यादव
काठमाण्डू । वैशाख महिनाके शुक्ल पक्ष नवमी तिथि अर्थात जनक धीया जानकीके जनम दिन । औझके दिन जानकी अइ धर्ती पर प्रकट भेल छल । जानकीके सीया, सीता, वैदेही, भूमिजा, मैथिली, जनकनन्दनी इत्यादि नामस’ सम्बोधन कएल जाइत अइछ ।
पौराणिक मान्यता अनुसार सीताके धर्तीमे प्रकट भेल दिनके सीता जयंती, सीता नवमी, जानकी नवमीके रुपमे मनाएल जाइत अइछ । नेपाल आ भारतके मिथिला क्षेत्रमे जानकीके बेटी आ बहिनके सम्मान देल गेल अइछ । तैं जानकी नवमीके दिन समुच्चे मिथिलामे बधैया अर्थात सोहर गाओल जाइत अइछ । जेना मिथिलाके घरघरमे जानकी जनम लेने होय । ओना ई उत्सव संसार भइर मनाएल जाइत अइछ ।
वाल्मिकी रामायण अनुसार एक बेर मिथिलामें बहुत रौदी अर्थात सुखा परल छल । पाइन नइँ परलाके कारण त्राहिमामके अवस्था भ गेल छल । मिथिला राज्यक राजा जनक बहुत चिन्तित छल । ऋषिमुनि सब यज्ञ करए आ अपनेस’ धरतीमे हर चलबैके सुझाव देलक ।
तकरबाद राजा जनक अपन प्रजाके लेल यज्ञ सम्पन्न क’ कए धर्तीमे हर चलबए शुरु कएलक । हरके फारमे कोनो वस्तु अटैक गेल । राजा जनक माइट हटेलाक बाद सोनाके डलियामें माइटस’ लपेटल एक सुन्दर बालिका मिलल । राजा जनक सीताके हाथमे उठाबिते भयंकर वर्षा शुरू भ’ गेल । राजा जनक ओइ सुन्दर बालिकाक नाम सीता राखलक । राजा जनक सीताके अपन पुत्री अर्थात राजकुमारीके रुपमे स्वीकार कएलक ।
मर्यादा पुरूषोत्तम रामक धर्मपत्नी, अयोध्याक राजा आदर्शराजा दशरथके पुतौह आ राजर्षि जनकके बेटी सीता नेपालक मिथिलाक राजधानी जनकपुरधामक पावनभूमीक बेटी छियै । आदर्शपत्नी, आदर्शमाता, आदर्श भौजी, आदर्श पुतौह, आदर्श महारानी मात्र नइँ समग्र संसारमे आदर्श नारीके रुपमे सम्मानित छइथ । सीताके नेपालक राष्ट्रीय विभूतिके रुपमे सेहो घोषित अइछ । नेपालक पौराणिक प्रथम नेपाली महिला विभूति जनक दुलारी सीता छियै । हुनक आदर्श, सच्चरित्रता, सतीत्व, नारीत्व, मातृत्व वात्सल्य, करूणामयी, जगतजननीके रूपमे पूजित अइछ ।
विक्रम सम्वत् २०२४ मे राम नवमीके अवसरमे नेपाल सरकार सीता आ रामको तस्बिर भेल हुलाक टिकट जारी कएने छल । तकर एक साल बाद अर्थात २०२५ मे राष्ट्रिय व्यक्तित्व श्रृङ्खला अन्तर्गत सीता जयन्तीक अवसरमे जानकी मन्दिर आ सीताक तस्बिर अङ्कित टिकट प्रकाशन कएल गेल । तहिना २०४८ सालमे विवाह मण्डपके हुलाक टिकट प्रकाशन कएल गेल इतिहास अइछ । तहिना तत्कालीन राजा वीरेन्द्रके शासनकाल २०५१ आ २०५३ सालमे दू टकिया डोलर प्रचलनमे लाओल गेल ।
जानकीके सम्मान करैत मधेश प्रदेश सरकारद्वारा २०८० सालस’ सार्वजनिक विदा देल जा’ रहल अइछ । नेपाल सरकार २०८१ सालक नीति तथा कार्यक्रममे जानकी मन्दिरके विश्व सम्पदा सूचीमे सूचीकृत करबाक प्रयास कएल जेबाक प्रतिवद्धता व्यक्त कएल गेल अइछ । जनकपुरधामक जानकी मन्दिर सहित समुच्चे मिथिला क्षेत्र एवम् संसार भइर अनेको धार्मिक अनुष्ठान सब आयोजन कएल जाइत अइछ । आदर्श, प्रेम, धैर्य, त्याग, निष्ठा, शुद्धता स्वाभिमानके पर्यावाची देवी सीताके शतशत नमन एवम् वन्दन ।
भई प्रगट भूमी-विदारी जनहितकारी भयहारी ।
अतुलित छवि भारी मुनी-मनहारी जनकदुलारी सुकुमारी ॥
जय मिथिला । जय मैथिली । जय जानकी ॥।
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