गबाईयेके छोडलियै लोरिकाइन गाथा : नित्यानन्द (देखू भिडियो)


नित्यानन्द मण्डल

बहुअर्वा माने एकटा कला पारखीसभसँ भरलपुरल गाम, जतय एकसँ एक सोना असर्फी भेट सकैए, ताकब भीडाह जरुर अछि । आई हथौरिया देलासँ भेटबो कएल ओहने हिरामोती । माने लोरिकाइनक गायक । एहि गायकक विषयमे खोजबाक, तकबाक आ पत्ता लगएबाक लेल रमेश भाईजी कएक बेर तगेदा कएने हेताह, मुदा ओ साधक भेटबो कएल, तथापि गएबाक लेल कहला पर खुब नाँकरनुकर, छाँहभाह धरब, अखन समये ने भेलैए, त आई मोन असकाताएल त, आई परेसर बढल हई त आई मुडे नँई हई, काल्हि खँहताइल रही आदि ईत्यादी ।
आखिर जे जेना हमहुँ खुब नँगरियौलियनि, पछोर धयलियनि, आई ओ महानुभाव चोट्टहि भैं दुहबाक बेरमे अभरलाह घरे पर । अभिवादनकसँग कहलियनि जे लोरिकाईन गएबाक लेल, फेर हुनक वाहए रम्माकठौला । मुदा आई हमहुँ हठपिठ क देलियनि जे जाबत गएबहो नँई ताबत दरबज्जा परसँ नँई उठबो, हुनक घरनी सेहो हमरेसभमे हँअमे हँअ मिलबैत तमतमाएल हुनका पर जे सभ दिन ई सभ अबैत छथिन्ह, ई घुरा दैत छथिन्ह तखन ओ सुरिआएल आ लगेलाह अपन चौकी पर एक्कहीवेर हाँकबाँक देलखिन्ह आ गेनाई सुरु कएलखिन्ह लोरिकाइन ।
एहिमे एक एकाध ठाम किछु अपशब्द अनायाशे बहरागेल छै, लबजे कखन की, बन्नुक सँ छुटल गोली आ मुँहसँ बहराएल बोली घुरिक वापस नँई अबैत छैक । तथापि एकरा लोक गायकीक अल्लहरपन, मौलिकता आ विशिष्टता सँग सँग लोक शैलीक सौन्दर्य बुझि सहजे स्वाभाविक रुपमे स्वीकार क देबाक बास्ते सादर निवेदन अछि । ओना एकरा प्रविधिक माध्यमसँ सुधार कएल जा सकैत छल मुदा लकडाउन छै, एहिमे विभिन्न बाधा अवरोध अविते रहैत छै ।
एहि बीच लोरिकाइनक ई बानगीक रसास्वादन करी । जाइत जाइत गबैयाक नाम नँई कही त बडा बेमानी हेतैक, सायह त ओ छथि ६५ बर्षक महेन्द्र यादव, गामक नाम चण्डुल, हमरा जनैत गायकीक मामिलामे हमरा गाममे हिनक प्रस्तुतिक बास्ते हिनक पहुँचा मोडबाला सायदे हएताह, पत्ता ने अपनेके केहन लागल, अपन प्रतिक्रिया जरुर सेयर करी । आब बेरबेर सुनबैत रहब आब ओ तैयार छथि चौकीबाजी करबाक लेल । लिअ त सुनि लोरिकाइनक लहजा हुनकेँ मुँहसँ, हुनके आवाज आ अन्दाजमे आठ सय पठ्ठा पहलमानक लोरिकक फलका अखाडाक ई आनन्द उठावी । वाह महेन्द्र गज्जव चण्डुल भातिज । जिअह आ एहिना गबैत रह ।
( तीन वरिष पहिने लकडाउनके समयके पत्रकार एवम् साहित्यकार नित्यानन्द मण्डल अपन फेसबुकमे शब्द आ भिडियो साझा कएने रहै । सं.)

(देखू भिडियो)

ताजा खबर
धेरै पढिएको