मैथिलीक सुदृढीकरण समयक माँग


नेना जखन किलकारी देबय लगय छै, तखन लोक सेहो नेने संगे किल्ह्के लगय छै ! नुनुबुचीके बोली कतेक प्रिय होय छै । मन होयत, सुनिते रही, किल्हकैते रही । ह्रदय स्नेहसँ भैर जाय छै । मुदा मनुष्यक ई एक नैसर्गिक आचरण छियै आ बालबच्चाके बोली भाषा सिखाबयके एकटा विधि सेहो छिए ।
बोली त चिडय चुनमुनिके सेहो सुनयमें कतेक निक लगइ छै । कतेक मधुर स्वर ! ओ सब गेबो करय छै । आइकाइल्ह कोयलीक कुक्कुह सुनाय छै । सुइनके मन आनन्दसँ भैर जाय छै । अपना सबमे खतरा, चेतावनी आदि संकेत दैत रहै छै । किएक त चराचरमे व्याप्त ई एकटा भाषिक अभिव्यक्ति सेहो छियै ।
बोली वा भाषिक अभिव्यक्ति जीवके स्वभाव आ आचरण छियै । बोली आ भाषा स्पन्दनक शब्दातीत अनुभूति मात्र नइँ छियै, अपितु उपयोगी माध्यम सेहो छियै । शब्द, बोली, भाषा, काव्य, साहित्य आदि पारस्परिक अन्तरक्रियाक आवश्यक तत्त्व छियै । अइसँ आ अइ लेल शिक्षा, साहित्य, सञ्चार पद्धतिक विकास आ विस्तार होयत आयल छै । नवीन युगमे सञ्चारक महत्त्व अधिक भ गेल छै; अपनो आ आनो तत्त्वक समानान्तर विकासक लेल ।
दुनियाँके हरेक खण्ड आ कोणमे बोली आ भाषा समान प्रकारसँ उत्पत्ति भेल मुदा सब ठामक भाषा समान रूपसँ उद्भासित नइँ भ’ सकल । भाषा व्यक्तित्व, समुदाय, संस्कृति सबहक पहिचानक आधार सेहो हेबाक कारणे, भाषाक विकास अवरुद्ध भेलासँ, ओकर आघात पहिचानक विकास पर सेहो पडल छै । भाषिक विकासमे अन्तर भाषा स्पर्धा एक प्राकृतिक अवस्था छल, मुदा भाषा सम्राट बनयके स्वप्नमे कोनो कोनो भाषाद्वारा आन भाषा प्रति प्रायोजित युद्धसँ बहुसंख्यक भाषा समाज आकुल अइछ । तै उपर सूचना प्रविधिक दिन नूतन नवीन चुनौतीसँगे चलन दुरूह भ’रहल छै । अइ सन्दर्भमे मैथिली आओर अधिक आकुलित छै ।
मैथिली सञ्चार, पत्रकारिता, साहित्य आदि कृत्यमे एक खास उचाई पर पहँुचल दृष्टिगोचर होयतो एकर स्वयंमे विद्यमान विविध प्रकारके जटिलताक कारण एकर स्वाभाविक गति सेहो शिथिल प्रतीत होइ छै । मैथिलीक भाषिक व्यवस्था एक दिस आ व्यवहार चलन आदि सबके अपने अपने दिस भेलासँ ज्ञानीजन भ्रम आ मायाके भँवरीमे फसल प्रतीत होयत छै । मैथिलीमे सूचना वा समाचार सम्प्रेषण अथवा साहित्य सर्जन स्वयंमे सरल हेनाय आवश्यक छै । सञ्चार आन विषय वस्तुक प्रसारक लेल जतेक आवश्यक छै, ततबे आवश्यक स्वयंके शैक्षिक, साहित्यक आ सञ्चारक उपागममे सुदृढ भेनाइँ आवश्यक छै ।
सञ्चार पक्षी युगसँ आगाँ बैढ पत्रिका, आकाशवाणी, दूरदर्शन होयत अखन अन्तरसञ्जालक युगमे पहुँच गेल छै । सञ्चार जगतमे मैथिलीक उपस्थितिक अभाव नगण्य नइँ रहितो कर्मशीलताक अभाव अवश्य देखल जाय छै । अत्याधुनिक प्रविधिक युगमे ’दलान न्युज’ के जन्म स्वयंमे भाग्यशाली हेबाक अनुभूत कराओत अइछ, परञ्च चुनौती सबक ढेर पर पार पायव सहज नइँ छै । मुदा भाषा प्रेमी दर्शकवृन्दक उत्कट सहयोगसँ समयको माँग पूरा करयमे समर्थ भ’सकब से विश्वास अइछ ।
मैथिली भाषाके आकुलतासँ मुक्त कैर अइ भाषाकेँ उचित सम्मान भेटय से समस्त मैथिली भाषीके दायित्व छियै । जगतके सत्य इएह छै जे जकर उपयोग नइँ तकर अस्तित्व नइँ, जे जतेक उपयोगी हेतै से ततेक दिर्घायु आ प्रभावशाली हेतै । मैथिली भाषाक व्यवहारमे किछु अज्ञानता, किछ द्विविधा, किछ जटिलता अवश्य छै, जै कारणे वाक्य वाक्यको पूणर्ता लेल पराश्रित होबए पडैत छै । यसर्थ मैथिली भाषाके भित्तर आ बाहर दिनु दिस सुदृढ करयमे हमर, अहाँ आ सबहक यथेष्ट योगदान होय, से आशा करै छी । मैथिलीक सुदृढीकरण समयक माँग छियै

सन्तोष कुमार चौधरी
                                                                                                        सम्पादक, दलान न्यूज डट्कम

दिनाङ्क : २०८१ साल जेठ ९ गते, बुध दिन

ताजा खबर
धेरै पढिएको