मानसिक स्वास्थ्यमे सजगता आवश्यक 


ज्योति कुमारी झा
सन् १९४९ सँ अंग्रेजी ‘मई महिना’ मानसिक स्वास्थ्य सचेतनाके महिना मनायल जाइत अइछ । जाहीके सुरुवात मेन्टल हेल्थ अमेरिकाद्वारा भेल अइछ । जेकर मुख्य उद्देश्य मानसिक  स्वास्थके बारेमे उपयोगी जानकारी फैलेनाई, नकारात्मक सोच जे मानसिक समस्याप्रति मानव समाजमे व्याप्त अइछ, ताहिके न्यून आ अन्त करए आ मानसिक स्वास्थ्यमे काज कर लेल आवश्यक नीति बनाब जोड देनाइ अइछ ।
मानसिक स्वास्थ्य सचेतना प्रत्येक वर्ष ‘मई महिना’ भइर अलग अलग थिम पर काज करएके प्रमुख लक्ष्य एक्केटा जे  मनुष्य शारीरिक सुस्वास्थ्य सँग अपन मानसिक सुस्वास्थ्य पर सेहो ध्यान दी । साथे अपन अगल बगल परिवेशमे यदि किनको मानसिक समस्या या मानसिक रुपसँ अस्वस्थ छै त हुनकर समस्या बुझएके या सुनके  प्रयास करी और हुनका सहयोग करए लेल हात बढाब तत्पर रहबाक चाही ।
विश्व स्वास्थ्य संगठनद्वारा मानसिक स्वास्थ्यके परिभाषा देल गेल अनुसार “मानसिक स्वास्थ्य कुशल रहएके एकटा एहन अवस्था अइछ, जइमें व्यक्ति अपन क्षमताके एहसास करैत अइछ । जीवनके सामान्य तनाव के सामना क सकैत अइछ, सृजनात्मक  रूप स काज क सकैत अइछ आ अपन समुदायमे योगदान करयमें सक्षम अइछ ।
मनुष्य अपन शरीरक अंगके जतेक निहारै छैथ ,ओकर सन्तुलन राखमे ध्यान दै छैथ ततेक अपन मन मस्तिस्क के स्वस्थ्य राखमे ध्यान नै दै छैथ । जहिना निक भोजन खयला सं निरोग रहब, बसिया खाना पर परहेज करै छैथ । अपन बाहिरी सुन्दरता पर ध्यान दै छैथ तहिना जँ नकारात्मक सोच नै आनब, बितल बात पर घमर्थन नै करब, अपन बोलीबचन, सोच आ व्यबहारमे निखार लायब पर सेहो मनन करनाइ जरुरी अइछ । तराजु के दुनु भागमे सन्तुलन राखलासँ सही मापन देखबैत छै । तहिना एक कात शारीरिक स्वास्थ्य आ दोसर कात  मानसिक स्वास्थ्य राखिक सन्तुलन बनाबएके कला जिनका छै, उ मनुष्य पूणर् स्वस्थ रहै छै ।
मानसिक समस्या कोनो बिशेष व्यक्ति, जाइत आ बहुत पैसाबाला या आर्थिक रुपसँ कमजोर व्यक्तिके हेतै से नै किटल जा सकैत अइछ । ई किनको  आ कुनो उमेरमे भ सकैत अइछ । मानसिक अस्वस्थ समस्याके मुख्य कारण बंशानुगत आ जैविक मात्र नै अइछ । ई अपन परिवेशमे समायोजन करएमे दिक्दारी भेलासँ मनमे बहुत बात दबाकर राखलासँ, अन्यथा नकारात्मक सोच बेसी आयलासँ आ बहुत कारण सब अइछ जे कुनो भी व्यक्ति के मानसिक अस्वस्थके अवस्थामे ल जा सकैय ।
अमेरिकन मनोवैज्ञानिक कार्ल रोजेर्सके अनुसार व्यक्ति पर्सिभ सेल्फ, आइडिअल सेल्फ आ रिअल सेल्फ बीच सन्तुलन नै बनाब सकलासं मानसिक रुपसं अस्वस्थ भ जाइत अइछ्र । पर्सिभ सेल्फ मतलब दोसर लोग हमरा बारेमे कि कहै छै ?, आइडिअल सेल्फ मतलब हमरा कि बनएके य ? या कि करके अइछ आ रिअल सेल्फ मतलब हम के छी या हम कि छी ? इहे तिनु सेल्फमे जे व्यक्ति पर्सिभ सेल्फ पर ध्यान नै दैछै  आ आइडियल सेल्फ, रिअल सेल्फ पर काज करलेल तत्पर रहै छैथ ओ व्यक्ति मानसिक रुपसँ कुशल रहै छैथ । बास्तवमे जे मनुष्य पर्सिभ सेल्फमे अटकल रहै छै उ सब बेसी चिन्तित, उदास एवम निस्क्रिय रहै छै ।
अपन घर परिवारमे आ समाजमे देखय सुनय सकै छी जे मनुस्य सब खुब आइग बबुला भेल रहै छै, हरदम क्रोधमे रहै छै आ हुनका लोग कहैत रहै छै जे सन्की चइढ गेलै या गरम मिजासके छै, तहिना किनको माथ पर हाथ धेने बहुत चिन्तित रहै छै आ खानपिन त्याग कएने रहै छैथ, पेटकुनिया धेने रहै छै, उदास रहै छै । भोरेसँ  दोसरके निन्दा करएमे समय व्यतित करै छैथ , घर आँगन पुरा दिन सफा करब, अनेरे ताला तानैत रहब जे बन्द छै कि नै, किछ गिन्ती करैत रहब । किनको देह पर देबी आइब जेनाइँ, भुत लगनाइ इत्यादी बहुत मानसिक विकार सब छैक जे अपने सब देखरहल छी । अपने सबके समाजमे जेकरा मानसिक अस्वस्थके संज्ञा मनोविज्ञान क्षेत्रमे देल जाय छै । अपन सबके समाजमे मानसिक समस्याके पहिचान आ नामाकरण केवल सनकल, बताह, पागल शब्द सँ भ रहल अइछ । जेकर मनस्थिति ई दुनियासँ अलग रहैत अइछ ।  बाटेघाटे नग्न अवास्थामे चलैत बैसैत रहल, कतो सुतल, बाटके गन्दामेसँ खाना खालै छै । बोराझोरा लटकेने आ बहुत डरावाना रुप लागैत रहै छै, मुदा ई त गम्भीर आ चरम चरणके मानसिक रोगीके लक्षण छियै ।
मानसिक अस्वस्थके सौम्य, परिर्वत एवम बिशिष्ठ या गम्भीर चरणमे मनोबैज्ञानिक सब  राखने छै । जाहिमे मनोचित्सक गम्भीर मानसिक समस्या सं ग्रसितके उपचार दबाइसँ करै छै आ सौम्य ,परिवर्तित चरणके मानसिक समस्या सँ ग्रसित लोगके मनोबिद एवम् मनोपरामर्श मनोबैज्ञानिक बिना कुनो दबाईके करै छै । मुदा ई गहन बात सबके जानकारी नै भेलासँ मनुष्य सही रोगके सही इलाज नै पाइब रहल छै । अखन गूगलमे जे खोजु सेह भेट जाय छै आ लोग अन्धाधुन खोजमे लागल रहै छै । ओतबा नै अपन उपचार अपनेसँ कुनो चिकित्सकके सलाह बिना दबाई खालै छै जेकर दुष्परिणाम सेहो छै ।
बेसीसँ बेसी मानसिक समस्या सुरुवाती अवास्थामे अपन साथीभाइ बीच बातचित केलासँ सेहो ब्यबस्थापन क सकै छी । अपनेसब अपन घरपरिवार, समाजमे एकदोसरके मनके बात बिश्वास पात्र बइनके सुइन लेब आ एकदोसरके भावनात्मक कदर, सहयोग क सकी त उहो बडका भूमिका निर्वाह भ सकैय मानसिक रुपसँ स्वस्थ रहएमे ।
आयस’ दु या तीन दसक पहिने लोग संयुक्त परिवारमे रहै छलै, समाज समुदायमे सेहो नजदिक रहै छलै । निक बेजाय सब खुइलक’ बजलक हँसलक । घरपरिवारमे कतबो मनमोटाब रहल त एक्के ठाम खानपिन केलक । सगोलक काम करएबेर सब मिलगेल । जेष्ठ लोग छोटके सलाह देलक । सब बातचित केलक अहिसँ किनको असगर अनुभुती नै होइ छलै । मुदा अखनके आधुनिक आ प्राविधिक युगमे मनुष्य बीच दुरी बढल जा रहल अइछ आ अपने घरमे लोग अन्जान जेहन रह लगलैय । एक दोसरके भावना, समस्या बुझएके समय नै छै । तैं सब असगर अनुभव करै  छै । देखावटी दुनियाँके भागम भाग प्रतिस्पर्धी यात्रा क रहल छै । जइमे शान्ति, सन्तुष्टि, खुशी सब दमित भ रहल अइछ ।

बाल्यकालसँ बुढ़ापा उमेरतक सबके किछ नै किछ शारीरिक समस्या जेहन मानसिक समस्या सब होइत रहै छै । एकरा समय पर ब्यबस्थापन या समाधान कएलासँ बिकराल रुप नै लेबएसँ बचा सकै छी । बाल्यकालमे पढ़एमे मन नै लगनाई, तहिना समाजिक परिवेशमे कुनो घटना सँ डइरके बच्चा असगर अपन घरमे सुतल रहत, नै खायत पिबत या कोनो साथीके अपमानसँ पीडित छै, इत्यादी समस्यास’ मानसिक अस्वस्थके पहिचान करबैत अइछ । तहिना बडका उमेरमे अधिक व्यर्थ चिन्ता, उदासीपन, बैवाहिक सम्बन्धमे कठिनाइ, घर परिवारसँग समायोजनमे कठिनाई इत्यादी समस्यासब मानसिक समस्यासँँ पीडित बुझएमे आबैय त एतबा नै आत्महत्याके सोच  आनाइँ सेहो मानसिक समस्याके शंकेत करैत अइछ ।
मानसिक समस्या समाजमे कलंकित मानल जाइत अइत । जँ परिवारमे किनको इलाजके जरुरत होइ छै त नुकाय चोराक दबाई खाय छै । बाहरके लोग कहीँ बुइझ नै लिय । ततेक डरायल रहै छै, बेसी लोग त भगतास’ झाडफुक करबेलक, मन्दिर मन्दिरमे बली देलक, चौबाट पर पुजलक, जे कुनो दुष्ट आत्माके प्रभाब परल छै । अखनके पढल लिखल युगमे कैन्सर आ यौन रोग कहएमे लाज नै लागै छै, जतेक मानसिक रोग या समस्या कहएमे लाज लागै छै । कारण जे जँ  लोग बुइझ जायत त कि कहत ? खानपिन बन्द भ जायत, बिबाहके लेल कियो अप्पन बेटाबेटी नै देत इत्यादी डर सब खुइल क’ बाजएमे आ मानसिक स्वस्थ सेबा प्रदायक लग सेवा या उपचार  कराबए जायमे संकोच मानल जायत छै।
नेपाल बहुभाषिक, बहुधार्मिक एवम् बहुजातीय संस्कृतिक देश छियै । सात प्रदेश भेल देशमे एकेटा सरकारी मानसिक अस्पताल छै, उहो काठमाण्डूमे । जे सबके सहज पहुँच सम्भव नै छै ।  १५० गोटे मनोचिकित्सक आ ३० गोटे नैदानिक मनोवैज्ञानिक छै आ मनोपरामर्श मनोबैज्ञानिक लगभग एक सओ स’ उपर छै । ई मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदायकसब समुदायस’ अस्पतालतक मानसिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करए लेल समर्पित छै ।
जनसंख्या आ मानसिक रोगसँ पीडितके सेवा प्रदायक कमी छै । मुदा पीडित आ समस्यासँ ग्रसित लोग खुइलके आबएमे सेहो बहुत कमी छै । आत्महत्या रोकथामके लेल ११६६ सहयोगी सम्पर्क लाइनके ब्यबस्था छै । जे बेसी लोग बुझ नै चाहै छै, आ बुझबो नै करै छै ।
शारीरिक आ मानसिक स्वास्थ्य दुनु बीच नह आ मांसके सम्बन्ध अइछ । एकटामे गडबडी भेलासँ दोसर सेहो प्रभावित होइत अइछ । मुदा ई बातके बेवास्ता कएल जाइत अइछ । मानसिक तनाव, चिन्ता सबके होइ छै । लेकिन अधिक होनाइँ आ दैनिक जीवनके क्रियाकलापमे बाधा आइब जेनाइँ अस्वस्थताके संकेत करै छै । ताहि लेल अपन मन मस्तिस्कके स्वस्थ राखू आ दोसरोके स्वस्थ रह सिखाबू । अपन पाँच ज्ञानेन्द्रीय (आँइख, नाक, कान, जीभ आ त्वचा)के एकदम प्रिय लागबाला चिज तत्काल तनाब व्यवस्थापन क सकैय । पता लगाउ आ जहन मन उदास हुवे या तनाब अनुभूती करए लागल तब ई सब चिजके प्रयोग करु । किछ राहत जरुर होइ छै ।
अपन घरमे ध्यान करए लेल समय निकालु जाहिसँ तनाब ब्यबस्थापन आ नकारात्मक सोचके न्यून करएमे मदत ह्यात । जँ बेसी संघर्षमे छी या किनको देखै छियैन त मानसिक स्वास्थ्य उपचार लेल आगु बढुू । मानसिक रोग या समस्या जतेक नुकायब, ओतेक बढत । हमरे एतेक समस्या य से नै बुझू । कियाक त हरेक तीन आदमीमे एक आदमीके कोनो नै कोनो मानसिक तनाव आ समस्या छै । ई बात पर मनन करु आ खुइलके अपन समस्या समाधान कर लेल सकारात्मक कदम उठाउ । ई सुन्दर जीवनके रचनात्मक, सृजनात्मक कार्यमे लगाउ । जेना शरीरके कोनो भाग मे कनिको नोछरा जाइय त बेसी सतर्कता अपनबै छी ,कहीँ कोनो संक्रमण नै भ जाय, तहिना अनावश्यक नकारात्मक सोच आबिते अपना आपके सतर्क करएमे सशक्त बनू आ नकरात्मक सोच पर नियन्त्रण करु ।
शारीरिक ब्यायाम नित्य करक चाही । ध्यान करी, योगासन करी, कोनो भी काजमे व्यस्त रही, बेसी असगर आ कोनो काज किये बिना नै बैसी । वर्तमानमे जीवएके प्रयत्न करी । विगत एवम् भविष्य पर बेसी नै सोची । ई सब अपन दिनचर्यामे अपनेलास’ शारीरिक आ मानसिक स्वस्थ रइह सकब । एकटा और जरुरी बात जे कोनो भी बात मनमे खेल रहल य त विश्वासी मित्र या अपन परिवारके सदस्य संगे साझा करक चाही । किनको मनके बात सुनिलेलासँ ई होइ छै जे हमर कियो अइछ आ हम असगर नै छी से भाव जागृत होइत अइछ । आउ, अपनेसब प्रण करी जे अपन शारीरिक स्वास्थ्य संगे मानसिक स्वास्थ्यके सेहो प्राथमिकता देबएमे कोनो कञ्जुसी नै करब ।
(पंक्तिकार झा (समाजशास्त्री) हाल मनोपरामर्श विज्ञान अध्ययनरत छइथ ।)

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