
श्यामसुन्दर पथिक
गौतम वुद्ध अर्थात सिद्धार्थ गौतम । सिद्धार्थ गौतमके पिता शुद्धोदन तत्कालीन तिलौराकोट राज्यमे शाक्यवंशक राजा छल । हुनकर माताक नाम मायादेवी छल । कहल जाइत अइछ जे रानी मायादेवी अपन नैहर देवदह जेबाक क्रममे रास्तामे परैबाला लुम्बिनी नामक ठाममे पहुँचलाक बाद प्रसव पीडा शुरु भेल । आरामके लेल रानी पुष्करिणी सरोवर कातमे रहल शालके गाछतरमे बैस गेल । तही क्रममे बालक सिद्धार्थक जन्म भेल छल । महामानव शान्तिदूत बुद्धके जन्म ई. पु. ५६३ बैशाख पूणर्िमाके दिन भेल यकिन कएल गेल अइछ ।
आश्चर्यजनक बात जे गौतम बुद्ध जन्मलाक बाद ७ डेग चलल छल । बुद्धके बाल्यकालके फोटोसबमे एकटा अंगुरी ठाढ कएने देखाइत अइछ । जकर अर्थ पहिल मानव होइत अइछ । बुद्ध जन्मल पाँचम दिनमे हुनक नामाकरण सिद्धार्थ गौतम कएल गेल । बुद्ध जन्मलाक साते दिनमे मायके निधन भ गेल छल ।
तकरबाद सिद्धार्थके छोटकी माय प्रजापति गौतमी लालनपालन कएने छल । जन्मलाक बाद ८ टा ब्राह्मण हुनका बुद्ध होयत से भविष्यवाणी कएने छल । अइ बातस’ बुद्धक पिताजी महाराजा शुद्धोधन बहुत चिन्तित छल । तकरबाद बालक सिद्धार्थके राजकीय विलासी जीवनमे भुलए खातिर तीन मौषमी विलासी महल बना देलक । सिद्धार्थ गौतम जखन मात्र १६ वरिषके छल । ओही उमेरमे यशोधसँग विवाह भेल छल । २९ वरिषक उमेरमे यशोधराक कोइखस’ पुत्र राहुलके जन्म भेल छल ।
एक दिन सिद्धार्थ गौतम घुमए सारथीसँगे बाहर निकलल । एकटा बेमार लोगके देखकए प्रश्न कएलक किया विमार छै ? सारथीले कहलक सब लोग बेमार होइछै आ बिमारी होइछै । किछ दूर गेलाक बाद एकटा बृद्ध लोगके लाठीके सहारामे चलैत देखके सारथीके पुछलक लोग बुढ किया होइ छै ? सारथी कहलक संसारमे सब लोग बुढ होइ छै । किछ दुर पहुँचलाक बाद फेर एकटा मृत व्यक्तिके अगल-बगलमे परिवारके सदस्यसब बैठके काइन रहल देखलक । फेर सारथीके पुछलक ई भ रहल छै ? सारथी कहलक- ई आदमी मरल छै आ परिवार आ अपन लोग दुःख मनारहल अइछ ।
ई दृश्य सब देखकए सिद्धार्थ गौतमके बहुत चोट पहुँचल । तकरबाद सिद्धार्थ गौतमके अनेक जिज्ञासा सब उठए लागल । जन्मलाक ७ दिनमे बोधिसत्व ज्ञान हासिल करै खातिर आ मानव मुक्ति आ कल्याणके खातिर राजकीय विलासी जीवन परित्याग कएलक ।
संसारिक मोहमायास’ आजित भ कए गौतम बुद्ध मुक्तिक खोज करए गृह त्याग क देलक । बैराग्यके कारण बौवाइत ढहनाइत सिद्धार्थ गौतम भारतको बोधगया पहुँचकए तपस्या कएलक । निरन्तर ६ वरिषके कठिन तपस्याक बाद ओ बैशाख पूणर्िमाके दिन भारतके बोधगयामे बोधिसत्व ज्ञान प्राप्त कएलक । संसारिक दुखके जइरधैर पहुँचल आ बुझलक जे संसारमे अपन कहएवाला किछ नइँ छै । दुःखके जइर मानव स्वयम् छियै ।
गौतम बुद्धके उपदेश सबमे विशेषतः पञ्चशिल मानवके मुक्ति आ कल्याणके लेल विशेष महत्वपूणर् रहैत अइछ । पञ्चशिल अइ प्रकार अइछ ।
१ हिँसा नइँ करु ।
२ चोरी नइँ करु ।
३ व्यभिचार (यौन दुर्व्यवहार) नइँ करु ।
४ झुठो नइँ बाजू ।
५ जाँड, दारु आ लागुपदार्थ सेवन नइँ करु ।
गौतम बुद्ध निर्वाण प्राप्त करए, मुक्ति प्राप्त करए मार्ग देखेने छै । यद्यपी प्रयत्न अपनेस करए परै छै । धम्मपद देखावैत गौतम बुद्ध ८० वरिषके उमेरमे कुशीनगरके उपवर्तन नामक वनमे दूटा शाल वृक्ष तर वैशाख पूणर्िमाक राइत तेसर पहरमे महापरिनिर्वाण (देहत्याग) प्राप्त कएने छल । बुद्धके जीवनमे घटित जन्म, बोधिसत्व आ महापरिनिर्वाण संयोगवश बैशाख पूणर्िमेके दिन भेलाक कारण वैशाख पूणर्िमा बौद्धमार्गी मात्र नइँ सम्पूणर् शान्तिप्रेमी नेपाली सबहक लेल विशेष रहल अइछ । गौतम बुद्ध बौद्ध धर्मक प्रणेता मानल गेल अइछ । बुद्ध कहबाक अर्थ बोधिप्राप्त अथवा अन्तिम सत्यके साक्षात्कार कएनिहार महामानव बुझल जाइत अइछ ।
भारतक सम्राट अशोकके बुद्ध धर्मके प्रचारमे सर्वाधिक महत्त्वपूणर् योगदान रहल अइछ । बुद्ध अपन शिक्षाके धम्म-विनय भन्ने नाम देन छइथ । विनयके अर्थ भिक्षु सबहक लेल बनाओल गेल नियमसबके संग्रह बुझल जाइत अइछ । धम्म कहबाक अर्थ दुःखमुक्तिके लेल भिक्षु आ गृहस्थ सबहक लेल बुद्धद्वारा देल गेल शिक्षा बुझल जाइत अइछ । बुद्धके लगभग सम्पूणर् शिक्षा आ उपदेशके त्रिपिटकके रूपमे संग्रहित कएल गेल अइछ । जइमे बुद्धके ८२,००० आ हुनक प्रमुख शिष्य सबहक २००० कइर ८४,००० सुत्र संग्रहित अइछ ।
संसारके अहिंसाके पाठ सिखबैवाला आ युद्ध, आतङ्क, काटमारस’ मानवके हित नइँ होयबाक पक्षधर महामानव गौतम बुद्धके प्रसिद्धि संसारभइर अइछ । बुद्धके अपार श्रद्धाके साथ सम्मान कएल जाइत अइछ । एतबे नइँ गौतम बुद्धके एसियाके तारा कैहके चिन्हल जाइत अइछ । विश्वमे शान्तिक सन्देश देनिहार शान्तिदूत गौतम बुद्धके शतशत नमन ।