
कानून कहैत छै जे सामाजिक व्यवहारमे लेनदेन करी त सलाना सैकडा दस सूद (व्याज) लेल जाय । एतबे सूद कानूनी रूपमे शुद्ध हेतै । परञ्च एहिठाम व्याजके साथ स्याज (व्याजके व्याज) सेहो लेल जा’ रहल छलै आ अखनो लेल जा’ रहल छै ।
मिटरव्याज पीडितके दू-चाइर दर्जन मुद्दा न्यायपालिकामे सेहो चलैत अइछ । मिटरव्याज पीडितद्वारा आत्महत्याक घटनो सब समाचारमे आबैत रहल । सब किछु सामान्य छल । मुदा मिटरव्याज पीडित सब एना एकेबेर झोहरा पिट देत आ राजधानी गनगनादेत से ककरो गुमान नैह छलय । अन्तः सरकारके सुनअ पडलैक आ एतद् प्रकारसँ व्यवस्था सब आगाँ होयत गेलै ।
सहकारी बचत पीडितके समस्या सेहो एकटा तेहने समस्या छै, जकर सम्बोधन राज्यद्वारा हेबाक चाही । सहकारी बचत पीडित सब सेहो इम्हर अपन समस्या पर ध्यान देब लेल छोटछिन प्रदर्शन करैत आयल अइछ । मुदा ताहि पर राज्य गम्भीर नैह देखल गेल अइछ । सहकारी सबके अनुगमन आ निर्देशन लेल तीनो तहके सरकार जिम्मेवार छै । मुदा अपन कानूनी कर्तव्य पूरा करयमे सरकार सब उदासीन वा असमर्थ देखल जा’रहल अइछ । न्यायपालिकामे सहकारीसँ जुडल ढेर देवानी आ फौजदारी मुद्दा चैलरहल अइछ । अवस्था एहेन छै, जे अदालत स्वयं संज्ञान लैत सहकारी मुद्दा देखय लेल एकटा अलग्गे इजलास खडा करौ ।
यद्यपि किछु समय इम्हर राजनीतिक तह पर सहकारी बचत अपचलन अपराध पर एक प्रकारसँ घमासान मचल छैक, जकर परिणाम सहकारी बचत पीडितके हितमे भ’ सकै छै । माननीय गृहमन्त्री रवि लामिछाने उपर किछु सहकारी संस्थाक रकम अपचलन कयलाक आरोप छै । ताहि बातके ल’के राजनीतिक दल सब संसदीय छानबिनके माँग करैत गोटेक माससँ संघीय संसद अवरुद्ध कयने अइछ । विकसित घटनाक्रममे गृहमन्त्री लामिछाने सँग जुडल सहकारी संस्थाक संगैह देशभैरके बचत अपचलनकारी आन संस्था सबके सेहो संसदीय छानबिनके दायरामे आनयके बात भ’रहल अइछ ।
सहकारी कानूनमे संकटग्रस्त सहकारी संस्थाके कानूनी निकास देवालेल, संस्थाक हिसाबकिताब जाँइच अपचलन वा हिनामिना भेल रकम असूल कय बचतकर्ताकेँ फिर्ता करवालेल स्पष्ट व्यवस्था छैक, अपचलन वा हिनामिनाक कसूर केनिहारके कैद आ जरिवाना ठोकबाक व्यवस्था छै । सहकारी बचत पीडितके न्याय दियके इच्छा शक्ति हौ त उपाय छै ।
मिटरव्याज समस्या मूलतः ग्रामीण इलाकाक समस्या छल । सहकारी बचत अपचलन विशेषक’ शहरी समस्या बुझायत अइछ मुदा गामोघरमे सहकारी बचत पीडितके संख्या बहुत छै । सरकार समय पर समीचीन निणर्य लौ से आवश्यक छैक । एकरालेल पीडित सब आर अधिक आक्रोशित हौ, तकर प्रतिक्षामे नइँ रहौ ।
सहकारीके काम लोकके पाई राइछिती करौ से नैह छिएक । एकर बड पवित्र उद्देश्य छैक । संविधानतः स्वीकार कयल गेल त्रिआयामिक अर्थतन्त्रके तेसर खम्बा छिएक सहकारी । सहकारीक माध्यमसँ निम्न वर्ग, छोट किसान, श्रमिक, खेतीहर मजदुर सबहक आर्थिक सामाजिक विकासके अपेक्षा कयल गेल अइछ । परञ्च सम्यक मार्गदर्शन आ संस्थागत समर्थनके अभावमे बहुसंख्यक सहकारी दिशा भटैक गेल अइछ । सहकारी विभाग मतसुन प्रतीत होयत अइछ । एकेरा जागके चाही, जिम्मेवारी बुझके चाही । सहकारी बचत पीडितकेँ ओकर अधिकारसँ वञ्चित नइँ क’सकय छी ।
सहकारीके ७१ लाख सदस्य तथा बचतकर्ताके पसिनाक कमाइ सुरक्षित करब आ अपचलनकारी उपर कारबाही चलायब मात्र नइँ, ३१ हजारके सङ्ख्यामे रहल सहकारी संस्थामे जमा सर्वसाधारणके पाँच खर्ब निक्षेपके सदुपयोग सेहो सहकारीके निदान हेतु आवश्यक छै ।