
प्रा.डा. सुरेन्द्र लाभ
जनता ! जनता !! नेतागण बुलावत है
कैसा है जन्तु समझ नहीं आवत है ,
बा ई फुटबौल आ की काबा
कभौ एन्नी तो कभौ ओन्नी जावत है ।
नेता जो बोले बिल्कुल ठीक बानी हो
जनता नै जाने कतेक ढीठ बानी हो ,
आब तोंही छा आशा तोंही भरोसा
जनता को तिमी नै रीढ बानी हो ।
राजनीति आ कुटिल नीति एक हो गेल
प्यादा चले के ई माहाखेल हो गेल,
जनतालाई बेकुफ बनाउने हो कसरी
पक्ष आ विपक्ष मा भारी मेल हो गेल ।
देश नेता के बा तिम्रो जान्छ के यसमा
लुट्न देऊ लुटुन तिम्रो जान्छ के यसमा ,
नियम मालपोतका आज बदलो तुम दाजू
रजिष्ट्री करदेगें देश तिम्रो जान्छ के यसमा ।
भोट बेचा नोट पर दारु आ जाईत पर
जिनगि भैर पछताइत रहा अपन औकाइत पर ,
टुकुर टुकुर तकैत रहा ताकने वला केयो नै मिला
नाना देलको काज नै त भरोसा करा नाइत पर ।
ठेकेदारो के ठेकेदार ईहाँ नेता बनल हए
ज्ञानियो स ज्ञानी ईहाँ नेता बनल हए,
अंतरमन देखि अंतरिक्ष सम्मको ज्ञान सबै छ
भगवानो के भगवान ईहाँ नेता बनल हए ।
हौ सबदिन हियाँ राजनीति में पोलिटिक्स रहलै
भाषण शासन जौन करौ सबतर सोलिटिक्स रहलै ,
कोई शेर रहै केयो प्रचण्ड चाहे कोनो एन्द्र नेपाले
सबैजना को दौडमा एक्के गो ओलिटिक्स रहलै।