
रोशन जनकपुरी
आइ जेठ १५, अर्थात गणतन्त्र दिवस । ’गण’के अर्थ प्रतिनिधि आ ’तन्त्र’के अर्थ व्यवस्था होइत अइछ। माने जेकर प्रतिनिधि तेकर गणतन्त्र । पूँजीपतिके प्रतिनिधि त पूँजीवादी गणतन्त्र, सर्वहारा वर्गके प्रतिनिधि त सर्वहारा गणतन्त्र वा समाजवादी गणतन्त्र, आ श्रमिक वर्ग आ मिश्रित आम जनसमुदाय अर्थात् विविध जनवर्गके प्रतिनिधि त जनताके गणतन्त्र ।अखन नेपालमे दलाल पूँजीपति आ नोकरशाह वर्गके प्रतिनिधित्वबला गणतन्त्र अइ । मेहनत मजदूरी कर’बला गरीब मजदुर किसान, टुटपुँजिया निम्नमध्यम वर्ग, निचला तहके कर्मचारी, प्रहरी, शिक्षक, मध्यम वर्गके निचला हिस्सा, अर्थात् आम जनसमुदायके पहुँच स ई गणतन्त्र अखनो दूर अइछ। संसदमे सक्रिय सांसदसबके चेहरा, चरित्र आ स्कैन्डल, एक दोसरके नाँगट करैत भ्रष्टाचारके आरोप आ फेर संगेसंगे चुनाव लडैत, गठबन्धन करैत, एक दोसरके गुणगान करैत सत्ता भोग आ मोजमस्ती करैत आ संगेसंग जनता स बेसी बजार आ निजी पूँजीके संरक्षणमे बनैत कानुन सब अइ गणतन्त्रके असली चेहरा आ चरित्र देखार करैत अइछ । ई बतबैत अइछ जे सर्वहारा वर्ग आ जनसमुदायके हित दृष्टि स ई गणतन्त्र अधूरा अइछ ।
वास्तविक अर्थमे जनवादी अर्थात् सत्तामे श्रमजीवी वर्ग आ आम जनसमुदायके स्वामित्व कायम कर’के लेल आओर सचेत प्रयत्न वा संघर्ष जरूरी अइछ । ०६५ जेठ १५ गते नेपाली इतिहासमे महान दिन छल, जहिया सम्विधानमे पहिलबेर राज्य सत्तामे जनताके सार्वभौमिक अधिकार सुनिश्चित कयलगेल आ देशके गणतन्त्र घोषित कयलगेल ।
ई गणतन्त्र ओहिना नइँ आयल अइछ । हजारौं नेपाली जनताके शहादत, लाखौं जनताके अथक त्याग, तपस्या आ निरन्तर संघर्षके परिणाम अइछ ई गणतन्त्र । जनताके ओइ महान संघर्ष, शहादत आ बलिदानके अखुनका पुस्ताके स्मरण करक चाही ।
अइ गणतन्त्रप्रति अनेक राजनीतिक, आर्थिक आ सांस्कृतिक षड्यन्त्र सब भ’रहल अइछ । एहनमे मेहनतकश वर्ग आ उत्पीडित जनसमुदाय बीच एकता कायम क’क’, एकरा विकृत कर’बलाके विरूद्ध अखुनका पुस्ताके सचेत निगरानी करक चाही, संघर्ष करक चाही ।
गणतन्त्र दिवसके शुभकामना।
महान शहीदसब अमर रहे !