
जीवछ उदासी
बिना लडने नइ हेतै मुक्ति यौ भैया
संघर्ष छि बडका जुक्ति यौ भैया
गरीव दलित के एखनो करैइए घृणाा
वर्गीय मुक्ति के लडाइ स सिखु प्रेरणा
दहेजक धधरा मे धधकै छै दैया
बिना लडने नइ हेतै मुक्ति यौ भैया
सामन्ती सत्ता एखनो छै हर गाम मे
पुँजीपति के इसारा चलै हर ठामम मे
जकरा नइ ढौवा कौरी पार नइ लागै नैया
विना लडने मुक्ति नइ हेतै यौ भैया
जहि कोखि सँ बेटा ओही कोखि सँ बेटी
एक हात सँ जग मे नइ पाकै रोटी
समधी मागै छै नगदी दहेज हटतै कहिया
विना लडने नइ हेतै मुक्ति यौ भैया
मिटर ब्याज छि सामन्ती संस्कार
देश के खोकला बनौलक भ्रष्टाचार
समय के चक्र घुमै जेना घुमै गरी के पहिया
विना लडने नइ हेतै मुक्ति यौ भैया
इ कविता के हम गीत के रुप मे परसब
लहान, सिरहा