
सन्तोष कर्ण
नेपाल-भारतक जलेश्वर-भिट्ठामोड जोडएबला सीमापर बनल ई अति आकर्षक एवं मनमोहक द्वारके अखनी नामाकरण नइँ भेल अइछ । देखते जनकपुरधामक जानकी मन्दिरके झलक दर्शाब बला अइ मनमोहक द्वारके विभिन्न ब्यक्ति विभिन्न स्वार्थ आ कपटभाव स अनेक नाम द रहल अई ।
सबके अपन अपन स्वतन्त्रता छै ! मुदा एकटा बात कहु,जे द्वार देखते जौं जानकी मन्दिरक स्मरण करबैय त जानकी मन्दिर किनकर ? माता जानकी के ? राजा जनकके पुत्री । राजा जनक के ? त मिथिलाक राजा । तहन मिथिलाक भूमिपर बनल अहि द्वारके नाम मिथिला द्वार छोइड अन्य किया ? मतलव अपनासब हरेक बातपर कुकुर कटाँउज केनाई नइँ छोडब !
छी, आँमके नाम कहुँ लताम भेलैय ? आँमके आँमे कहियौ आ लताम के लताम ! सब बातपर धृतराष्ट आ दुर्योधन नै बनै जाउ, नइँ त श्री कृष्ण सेहो संग नइँ देत ।