
जनकपुरधाम । मधेश प्रज्ञा प्रतिष्ठान जनकपुरधामद्वारा ऐतिहासिक एवम् पुरातात्विक स्थल सबके अध्ययन–अनुसन्धान एवम् समावेशी शब्दकोश निर्माणक हेतु डेग आगाँ बढौलक अइछ ।
अषाढके पहिल सप्ताहमे मधेश प्रदेशमे बाजल जायबाला भाषाक विज्ञसबहक सहभागितामे शब्दकोष निर्माणक विषय वृहत विचार विमर्श भेल छल । ओइ विमर्शमे विद्वानसब एकमत भ कए अइ काजके आगाँ बढेबाक लेल प्रतिष्ठानके सहमति द चुकल छइथ । तहिना प्रतिष्ठान इतिहास लेखनके लेल सेहो विषयविज्ञ लेखक एवम् अनुसन्धानकर्तासब सङ्गे अन्तरक्रिया कइर चुकल अइछ । इतिहास लेखनके लेल सार्वजनिक सूचना प्रकाशन कएने छल ।
अइ दुनू काजके प्राथमिकतामे राइख मूर्त रुप देबए प्रतिष्ठानक अध्यक्ष रामभरोस कापडि ‘भ्रमर’ निरन्तर विज्ञसबस’ विचार विमर्शके सङ्गे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलसबके वस्तु स्थिति अवलोकनके निरन्तरता द रहल छइथ । प्रतिष्ठानक अध्यक्ष कापडि, आमसञ्चार प्राधिकरणक अध्यक्ष श्यामसुन्दर यादव सहितके टोली अषाढक तेसर सप्ताहमे विराटनगर क्षेत्रक ऐतिहासिक–पुरातात्विक महत्वक स्थल सभके स्थलगत अवलोकन करैत विविध पक्षके विषयमे जानकारी लेलक अइछ । राजा बिराटक गढ, किचकबद्ध, संग्रहालय सहितके अवलोकन मैथिली एसोसिएशन नेपाल ९विराटनगर०के अध्यक्ष प्रवीण नारायण चौधरीके नेतृत्वमे कराओल गेल ।
ओइ स्थल पर राज्यद्वारा निर्मित संग्रहालय हालधरि सुव्यवस्थित नइँ भ’ पेबाक कारण अइ स्थलके विभिन्न अवशेष एवम् अध्ययन सबकेँ अद्यावधिक ढङ्गसँ संरक्षित करबाक प्रयास करनिहार कमल किशोर यादवसँ भेंट–वार्ता कएल गेल । अपन युवाकाल सँ हाल वृद्धावस्था धरिक समय मे कमल किशोर यादव अनेकों ऐतिहासिक–पुरातात्विक चीज–वस्तुक संग्रहालय निज निवासेमे रखने छइथ । टोलीद्वारा जकर अवलोकन सेहो कएल गेल । तहिना हाल धरि नेपाल, भारत व अन्य विभिन्न देश सँ एहि स्थान पर पहुँचल अनेकों अनुसन्धानकर्त्ता व शोधकर्ता सभक लिखल शोधपत्र आदिक जानकारी सेहो लेल गेल । ग्रामीण सभक मुताबिक अइ स्थल पर मात्र ४–५ फीट गहींर खुदाइ कयला सँ एखनो पक्का महल आ मन्दिर जेहेन कतेको संरचना सब भेटबाक दाबी कएलक । जाइत अछि । एतय बहुत पैघ इतिहास गर्भ मे पड़ल रहबाक बात ओ सब कयलनि । राजा बिराटकालीन समयके ईटा, लोढ़ी–सिलौठ, पीढ़ी, रेती, माटिक कतेको तरहक बर्तन–बासन सब, इत्यादिक संग्रह सङ्ग अनेकों प्रकारक सिक्का, मणि–माणिक्य आ कीमती पाथर सभक संकलन सेहो देखाओल गेल ।
प्रतिष्ठानक अध्यक्ष कापडि कहलनि जे नेपाल देशक मधेश क्षेत्र यानि झापा जिला ९भारतक बंगाल–सिक्किम सीमाक्षेत्रसँ कंचनपुर ९भारतक उत्तराखंडक सीमा धरिक क्षेत्र धरिक इतिहास लेखन मे राजा विराट केर ई पुरातात्विक स्थल बहुत पैघ मदैत करत । एतय विस्तृत अध्ययन लेल दोसर टोली पठेबाक जानकारी सेहो देल गेल ।
प्रतिष्ठानक अध्यक्ष कापडि नेतृत्वक टोली एकर अतिरिक्त सिरहाक सलहेश गहबर, छपरारीके विद्यापति डिह, सलहेश फुलबाइड, सप्तरीक कटैया स्थित दिनाभद्री स्थल, जोगियाक दिनाभद्री स्थल, चतराधाम सहित विभिन्न स्थलसबके अवलोकन कएल गेल । तहिना सप्तरीक राजविराजमे साहित्यकार एवम् संस्कृति सबसङ्गे विचार विमर्श, कोशी प्रदेशक सामाजिक विकास मन्त्रालयसङ्गे आपसी सहकार्य तथा कोशी प्रदेशसमे सेहो भाषा, साहित्य, संस्कृती सङ्गे सम्बन्धित निकाय गठनके लेल सेहो चर्चा कएल गेल ।