
नित्यानन्द मण्डल
नोरक टघारेसँ जीनगी ज निर्मित, आशाकेर कमल अछि , हृदयकेर दहमे । कठिन युद्ध अछि ई , त लडिए रहल छी । हारब ने किन्नहु , हमर जीत निश्चित ।। डा, धीरेन्द्र । नमन गुरुदेव
जहिया हम ५–६ किलासमे रही, तहिया गुरुवर डा. धीरेन्द्रक गोल्डेन ईंगलिश ग्रामर पढने रही । तहिए रामभद्र लाभ कर्णक गोल्डेन एण्ड चिल्ड्रेन ईंगलिश ग्रामर पढने रही । एकराबाद चन्देश्वर लाल कर्णक लिभिँग ईंगलिश स्ट्याण्डरड ग्रामर,हाईस्कूल ग्रामर,चुडामणिक ग्रामर,आर.केपी श्रेष्ठक स्पीडी ग्रामर,आर पी सिन्हाक ग्रामर, लण्डनक लिभिँग ईंगलिश प्रायक्टिश बुक आदि ईत्यादि बहुतो । कतेक महारथीक नाम कहँु? ई सभ किताव पढौने रहथि माधुरी प्रसाद मण्डल,रामफल यादव,आर.पी पूर्वे आ अयोध्यानाथ चौधरी ।
एकरा अतिरिक्त कमल पण्डित,काशिम अलि,जुनैद अहमद आदि । हमरा लेल सभगोटे हमर आदरणीय गुरु लोकनि छथि । ओ लोकनि आदरणीय,नमनीय छथि । ई बात हम एहिदुआरे कहय लगलहँु अछि जे हम डा.धीरेन्द्रकेँ कोना जनलियनि । हँ,अँ से आब फरिच्छा गेल हएत जे हुनका हम ५–६किलासमे रही,तहिए हुनक ग्रामरबाला किताब पढने रहियनि । सायद प्रकाशक रहथि जानकी पुस्तक भण्डार । एकटा जमानाक गप्प छैक ई जे तहिया बहुत सहज,सरल आ बोधगम्य भाषामे लिखल ई ग्रामर बच्चाबुच्चीसभक बास्ते बहुत सुन्दर अँग्रेजी सिखबाक खोरिश छल । तकर समकालिनतामे जे जतेक ग्रामरसभ छल से ओहिसँ किल्सिट तकर फेहरिस्त उपर उल्लेख क चुकल छी ।
एहिसँ पहिने हुनकासँ सदेह दर्शन नहि भेल छल । मुदा आईएमे पढैत काल जिविस धनुषामे सगर राति दीप जरैए कथा गोष्ठीक आयोजन भेल छल । सम्पूर्ण ओरिआओन रमेश भैय्या कएने रहथि । साँझ लुकझुक होइत रहै,ताहिवेरमे अभरलाह एकटा बेस नमगर,पोरगर,उज्जर धोती,कत्थी रंगक कुर्ता पहिरने बृद्ध व्यक्तित्व अभरलाह ।सभगोटे देखलियनि अपस्यिाँत । अपना अपनीके बारी बारी गोर लगलकनि । सभके अशिर्वाद दैत गेलाह ।हमरा लोकनि सेहो कोना चुकि सकैत छी,एहि अवसरसँ ।गोर लगलयनि आ परिचय देलियनि नवतुरियाक । आशिष प्रदान कएलकनि । कथा गोष्ठी आरम्भ भेल ।
बादमे पत्ता चलल जे ओ गोष्ठीक प्रमखु अतिथि रहथि ।नीक जेकाँ मोन नहि अछि,तथापि हमरा लगैए जे पहिल आ दोसर नम्बरमे हम अथवा अमरेन्द्र कथा पढने हेताह । हमर कथाक शिर्षक छल प्रश्नचिन्ह? एहि गोष्ठीमे वृज कुमार दाजु सेहो पहिलबेर कथा पाठ कएने छलाह । तहिया जनकपुर टुडेमे साहित्यिक गतिविधि समेटिक सोमवारीए अंक बहार होइ,ताहिमे हमर ई कथा बादमे छपबो कएल ।
दोसर प्रसँग दीपनारायण जीके पत्रिका दोकान जनकचौकसँ देवान पोखरी पर जाएबाला गल्लीक पूरवारीया कछेर पर रहैक, बहुत उच्चका कठघेरा रहैक ।ओहि ठाम चर्चा होइत रहैक जे प्रज्ञा प्रतिष्ठानमे डा.धीरेन्द्रक मनोनयन अस्वीकृत कएल गेलनि ।सबाल उठाओल गेल रहैक नागरिकताक । कतेक गोटा कहैक जे हुनकर अपनेहिँ शिष्य लोकनि हुनका पीँठ पर छुर्रा भोकि देलकनि । तहिया हम लेख, प्रतिक्रिया सभ लिखय लागल रही स्थानीय आ राष्ट्रिय पत्रिका सभमे । पत्ता ने बादमे की भैलैए,एहि विषयमे ।
अखन जेकाँ तहिया भेँटघाट नहि होइक । साँझके साँझ लोक जानकी मन्दिरसँ ल क रेल्वे स्टेशनधरि जाथि,एहिवीच जानकी मन्दिर आ शिवचौक पर कँग्ररेसीया नेतासभक जमघट, जानकी मन्दिरक पूर्वारीया दक्षिणवरिया कोन्ह पर उच्चका चाह दोकानपर जुटानी, रामचौक पर भीमबहादुरक चाह दोकान आ अमरखाना माई मन्दिरक पीपर गाछतर दाह्रीबाला शंकर केजरीबालक पान दोकानपर । एहिवीच जे जेकरा जतए भेटि ओतए कुशलछेम सँगहि गप्पक लत्ती लत्तराब लागल ।
हम आ सुजीत कुमार झा जी सेहो बरोबरि जानकी मन्दिर अवैत जाइत छलहँु ।बहुत राश गप्प सप्प होइत छल,उपेन्द्र भगत नागवंशी सँगे खुब हेमसेम छल । आ सभगोटासँग एखनहँु ओतबे प्रगाढता अछि । मुदा भेटघाट पतराएल अछि । एहिवीच श्याम भैय्या चिन्हवैत छलाह जे ई छथि छोटे माने डा. धीरेन्द्रक छोट पुत्र साहित्यमे बडबेसी रुझान आ बहुत अँखिगर लोक ।
>झोलफोल ईजोरियामे सडकके कातमे बहस करैत छलाह छोटे माने वाहए अतुलेश्वर जी । ओ श्याम भैय्यासँ बहुतवेशी बहस कहियो जेना राजकमलक मछरी मरी हुई पर करैत छलाह ।ओकर समीक्षा पर चर्चा करैत छलाह ।से सभ हमर सुनल अई । धीरेन्द्र भाईजीक पल्लवके वाद तहिया वाहए अतुलेश्वर जीक टीम नवतुरियाक स्थान देवाक वास्ते करिव करिव ओहने छाँटकाँट,किछु पोरगर मुदा ओहने सेप एण्ड साइजमे पत्रिका वहार करैत गेल छलाह । पत्रिकाक नाम पेटमे अछि, ठोर पर नहि अछि। तैं स्वाभाविके जे कलमसँ सेहो नहि बहरा रहल अछि । हुनका सँग दैत छलनि,रेल्बे बुक स्टलक मित्र लोकनि जे एखनि भानु चौक पर आवि गेल छथि । हमरो लिखबाक लेल तहिया आ आइयो बेरबेर उत्प्रेरित करैत रहैत छथि अतुलेश्वर जी । बाबुजीक पेन्सन छोडाबए बास्ते जनकपुर अवैत रहैत छथि । भेटघाट आ वातचीत सेहो होइते अछि । ओ अपन बाबुजीक कृतिकेँ श्रव्य सामाग्री सामाजिक सञ्जालमे बरमहल परसैत रहैत छथि ।
ओ अखन लेक्चररसीपमे छथि । हुनक पत्नी नेपालक मधेश आन्दोलन आ एहिसँ जुडल मुद्धा पर पिएचडी क रहल छथि । तैं बेसीकाल रातिमे नेपालक सामाचार आ विचारपर पैनी नजर रखैत आएल छथि । ओ कहैत छथि जाहि प्रसव वेदनासँ नेपाल अहुरिया काटि रहल अछि,एहनावस्थामे बहुतरास ग्रन्थ अएबाक चाही, एकटा डिस्कोर्ष क्रिएट होएबाक चाही। से ने भेने चिन्तित रहैत छथि । अनिल विश्ववन्धुक सेहो बेछाप नाम रहयनि तहिया । हुनका सँग रहनि शैलेन्द्र अविलाशी जी । हमरा लगैए तहिया श्याम भैय्या सामाचारपत्रमे काज करैत रहथि । ओ आ दाह्रीवाला धर्मेन्द्र विह्वल भाईजी आ रमेश भैय्या खूव साहित्य आ पत्रकारिता पर चर्चा करैत छलाह । प्रसँग तेसर डा. धीरेन्द्रक नेपाल प्रवाशकाल,दर्द पीडा,जनकपुर संस्मरण आदिकेँ केन्द्रमे राखि हुनक कथा रिटायरमेण्ट अन्तिकामे छपलनि जे बहुतवातके उजागर करैत छथि ।
प्रसँग चारिम हमरासँ पहिलूक्का आ अखूनका सभ श्रेष्ठ प्राज्ञ आ विद्वान लोकनि हुनका अपन गुरुए मानैत छथि । डा.विमल,रामभरोस कापडि,रेवती रमण लाल,अयोध्यानाथ चौधरी, परमेश्वर कापडि,डा.पशुपतिनाथ झा, सकश उपन्यासक लेखक जगदिश घिमिरे आदि । बहुत नाम ठोर पर अछि ।छुटल नामकेँ स्मरण करैत सभगोटाकेँ प्रणाम करैत छियनि । एहिवीच रोशन जनकपुरी सार्वजनिक कार्यक्रमसभमे हुनका शिष्यसभकेँ ईगित करैत टोकारा दैत छथि जे ओ अपने सर्वहाराक पक्षमे कलम चलिवियतहँु हुनक शिष्य लोकनि ने त ओ सौन्दर्य पक्षके पकडि सकलिन आ ने त हुनक लेखनीक स्वर समधानि सकलनि वा ई कहुँ जे वर्गीय चेतनाक सर्वथा अभाव रहल बातक दावी करैत आएल छथि ।
>प्रसँग पाँचम हुनक स्मृतिमे जानकी मन्दिरमे हमरा लोकनि आकृतिद्वारा अयोध्यानाथ चौधरी लिखित एक वृक्ष आ बारह पुष्प कविता पर नाटक मञ्चन कएने रही । एहीवीच हुनक स्मृतिमे त्रिविवि, मैथिली केन्द्रिय विभाग,राराव क्याम्पसद्वारा डा. धीरेन्द्रक स्मृति ग्रन्थ बहराएल छल, हमरा लगैए विभागक ई अन्तिम प्रकाशन होएबाक चाही ।
एहिमे बहुत नीक नीक रचनासभ अछि, श्रेष्ठजनकेँ हमरा की पढब । साँच कही त हम त अपने ओझरा जाइत छी,कहियोकाल भसिया सेहो जाइत छी । की करबै स्मृतिक अथाह सागरक छलाङ्गमे बौरा सेहो जाइत छी । असलमे विशेष की कहूँ,आई वाहए जनकपुरक स्कुल आँफ थट, स्कुल आँफ लिटरेरी एकेडेमीक कल्चर आँफ जनकपुरक गुरुशिष्य परम्पराक कुल गुरु डा.धीरेन्द्र, महान आत्माक जन्म जयन्ति छियनि ।हार्दिक नमन गुरु लोकनिक गुरु ।श्रद्धासुमन अर्पण करैछ छियनि वाहए विभुतिकेँ । फेरसँ नेपालमे वाहए नागरिकताक सवाल उठल अछि ।
कालापानी,लिपुलेक,लिम्पियाधुरा प्रसँग जोरपर अछि ।भारतीय किछु सामाचार च्यानल सभ बन्न अछि । प्रम जी कहैत छथि जे अयोध्या सेहो एहिपार अछि । बर्षहुसँ एक्किहटा करेज आ धडकन रहल नेपाल भारत सम्बन्ध पर कचोट किंवा दरारि उत्पन्न होएबाक कगार पर अछि ।अपने त करिव ३ घण्टा नेपाली न्यूज च्यानल देखैत छी, लगमे रहितहुँ, त गरमागरम चाहक चुस्कीकसँग सघन विमर्श होइत अतुलेश्वर जी अपनेसँ आ पुछितहँु जे राम कोन देशक नागरिक छलाह?हा हा हा आ अन्त्यमे …नोरक टघारेसँ जीनगी ज निर्मित, आशाकेर कमल अछि , हृदयकेर दहमे । कठिन युद्ध अछि ई , त लडिए रहल छी । हारब ने किन्नहु , हमर जीत निश्चित ।। डा, धीरेन्द्र । नमन गुरुदेव