मधेशक पर्यटकीय गन्तब्य : ५६ टा फाटक भेल कोशी ब्यारेज


नेपालमे सबस’ फाटक भेल पुलक नाम कोशी ब्यारेज छियै । सुनसरी आ सप्तरीके बीच भागस’ बइह रहल अइ नदीमे सातटा नदीके सङ्गम भेलाक कारण नामाकरण सप्तकोशी भेल अइछ । नेपाल–भारत सरकारबीच सन् १९५४ मे पहिलबेर कोशी सम्झौता भेल छल । सम्झौता अनुसार सप्तकोशी नदीमे पूल अर्थात व्यारेज निर्माण भेल अइछ ।
कोशी ब्यारेजक निर्माण सन् १९५८ स’ शुरु भ’ कए सन् १९६२ मे सम्पन्न भेल छल । ब्यारेज नेपालमे रहलाक बादो सम्झौता अनुरूप एक सौ वरिषधैर भारतीय अधिकारीहरु सबहक नियन्त्रणमे रहबाक व्यवस्था अइछ । अइ बान्हमे ५६ टा फाटक अइछ । एकर पाइनक बहावके आधारमे फाटक खोलइ आ लगाबैके काम कएल जाइत अइछ । एकर अधिकार भारतीय अधिकारीमे निहित अइछ । नेपाल सरकार एकरा चाहियोके अपन अनुलकुल खोलए आ बन्द नइँ कइर सकैत अइछ । कोनो समयमे बाढी या पाइनक मात्रा बढ्लाक बाद नेपाली पक्ष भारतीय पक्षके सूचना देबए परैत अइछ । ब्यारेजक मर्मत सम्भार तथा रङ्गरोगन सहितके काजसब भारत सरकारस’ होइत आइब रहल अइछ ।

सन् १९५४ सालमे तत्कालीन भारतीय प्रधानमन्त्री पं. जवाहरलाल नेहरु आ तत्कालीन राजा महेन्द्रले संयुक्त रूपमे सप्तकोशी नदीमे निर्माण भेल पुलके उद्घाटन कएने छल । कुल ५६ फाटकमध्ये सप्तकोशी नदीमे २८ टा फाटक सप्तरी आ २८ टा फाटक सुनसरीमे परैत अइछ । कोशी बान्ह २०६५ साल भादो २ गते टुटलाक बाद पूर्वी तटीय क्षेत्रक किछ बस्तीसब कटान आ डुबानमे परल छल ।
कोशी नदीमे बारहो महिना पाइन रहलाक कारण दैनिक रूपमे दर्जनों सङ्ख्यामे नाव सञ्चालन होइत आइब रहल अइछ । अधिकांश नाव माछ मारए आ नदीमे बैहकए आएल गाछ, जारैन सङ्कलन करए प्रयोग कएल जाइत अइछ । किछ नावसब बाहरस’ आएल पर्यटकसबके कोशी नदीमे घुमेबाक लेल प्रयोग कएल जाइत अइछ ।

कोशी व्यारेजमे बारहो महिना भ्रमण तथा प्राकृतिक दृश्यसब अवलोकनके लेल आबैत अइछ । अइठामक भोरका सूर्योदय आ सन्ध्याकालक सूर्यास्त बहुते मनोरम् एवम् रमणीय देखाइत अइछ । तमोर, अरुण, दुधकोशी, तामाकोशी, सुनकोशी, लिखु आ इन्द्रावती नदीक समिश्रण भ’ कए बनल सप्तकोशी नदीक माछ राष्ट्रिय तथा अन्तर्राष्ट्रियस्तरमे प्रसिद्ध अइछ ।
दुर्लभ मानल गेल डल्फिन सेहो कोशीमे पाओल जाइत अइछ । तहिना अइ नदीमे विभिन्न प्रजातिके चिडएसब सेहो आगन्तुक एवम् पर्यटकसबके लोभावैत अइछ । सप्तकोशीमे जलकपुर, बुआरी, काँटी, गोल्ही, मडोर, पौसी, चेल्हा, रेवा, कौवा सहित विभिन्न प्रजातिके माछ पाओल जाइत अइछ । अइ नदीमे माछ माइरके पाँच सौ स’ बेसी परिवार गुजारा चलबैत आइब रहल अइछ ।

 

कोशी ब्यारेजक पूबरिया पछबरिया घाटमे पुषी पूर्णिमाक दिन लाखौके सङ्ख्यामे लोग सब कोशी स्नान करैत अइछ । कोशी मेलामे खास कइर कृषि औजार सङ्गे दैनिक जीवन उपयोगी सामान सब खरिद बिक्री होइत अइछ । एकर अतिरिक्त छैठके अर्घ सेहो कोशी ब्यारेजक घाटसबमे देल जाइत अइछ । तहिना कोशी ब्यारेजक संरचना देखबाक आ अध्ययन अनुसन्धानक लेल सेहो दूरदूरस’ लोग सब आबैत अइछ ।

 

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