जलमे विराजमान जलेश्वरनाथ : प्रसिद्ध शिवालय


दलान । महोत्तरी जिलाक जलेश्वर नगरपालिका वाड नम्बर–२ मे अवस्थित अइछ जलेश्वरनाथ महादेव मन्दिर । देशे भैरमे प्रसिद्ध रहल अइ शिवालयमे नेपाल आ भारतके विभिन्न स्थान सबस’ श्रद्धालुभक्तजनसब पूजाआजा आ जल चढेबाक लेल अबैत अइछ । गुफाभित्तर जलमे शिवलिङ्ग रहलाक कारणें एकरा जलेश्वरनाथ महादेव कैहकए सम्बोधन कएल जाइत अइछ ।
ओना शिवपुराणमे सेहो जलेश्वर महालिङ्गके विषयमे एना चर्चा कएल गेल अइछ ‘जलेश्वरो महालिङ्ग रुद्रेन स्थापित स्वयम्’ । ‘जलेश्वरनाथक महालिङ्ग स्वयम् महादेवद्वारा स्थापना कएल गेल बात पुराणमे लिखल गेल अइछ ।
ओइ समयमे जलेश्वर घना जङ्गल छल । ओइमे बाबा जगदीशनाथ, चतुर्भुजनाथ आ तसमैया बाबा आइबके रहल बात स्थानीय जानकार सबहक कहब छै । जलेश्वरमे रहल समयमे महादेव सन्त जगदीशनाथके स्वप्न देने छल । तकरबाद हुनकरे आदेशानुसार जलेश्वरमे महादेवक मन्दिर निर्माण के लेल प्रयास त कएल गेल मुदा जङ्गलमे बाघ, भालु, हाथी, चित्ता इत्यादि जानवर सब रहलाक कारणें काम करए नइँ मानलक । तकरबाद रुद्र (महादेव) जलेश्वरनाथको मूल गुफासहितके मन्दिर प्रकट भेल पुराणमे जनाओल गेल अइछ । मन्दिरक मूल गुफा जमिनक सतहसँ १६ सिढी निचाँ जमिनभित्तरमे रहल अइछ ।

अइठामक शिवलिङ्ग बारहो महिना जलेमे डुबल रहैत अइछ । विशेष अवसरमे जलेश्वर गुफामे भरल जलके बाहर निकाइलके सरसफाई कएल जाइत अइछ । मन्दिरक संरक्षणमे सन्त जगदीशनाथके पैघ भूमिका रहल अइछ । जीवनभैर जलेश्वरनाथके सेवामे ओ निरन्तर लागैत रहल । मन्दिरक आँगा देहत्याग कएलाक कारणें मन्दिरे परिसरमे हुनक छोट मन्दिर निर्माण कएल गेल अइछ ।
गुम्बज शैलीके मन्दिर निर्माणमे सक्कर, केलाइ, चुन, सुरखी, कत्था सहितके सामग्री प्रयोग कएल गेल अइछ । वि.सं १९९५ मे बडाहाकिम राम शमशेर २५ हजार टका खर्चा कइरके जलेश्वरनाथ महादेवके भित्री गुफासहितके मन्दिरक उपर आकर्षक गजुरयुक्त मन्दिर निर्माण कएल इतिहास अइछ ।

महोत्तरीके तत्कालीन कञ्चनपुर गाम क्षेत्रक जङ्गलमे वि.सं १८६७ मे राजा गिर्वाणयुद्ध विक्रम शाह सिकार खेलए आएल छल । ओइ समयमे जलेश्वरनाथ महादेव मन्दिरके सञ्चालन, व्यवस्थापन आ पूजाआजाक लेल दू सौ ७५ बिघा जमिन आ चाइरटा पोखैर दान देल गेल ताम्रपत्रमे उल्लेख अइछ । जलेश्वर, बजराही, बहेरा, डाम्ही महेशपुर सहितके मौजे मन्दिरके देल गेल छल । ओइ सङ्गे वरुण सरोवर, पुरन्दर सरोवर, मखान पोखैर आ महन्थ पोखैर सेहो दानमे देल गेल जनाओल गेल अइछ ।

श्री ३ पद्म शमशेरके पालामे गुरु पुरोहित गोपालबहादुर उपाध्याय, रामबहादुर उपाध्याय सहित भैयारीके दान देल गेल छल । पद्म शमशेरद्वारा देल गेल दान गुरु पुरोहित आ हुनक सन्तान मन्दिरक मौजेसब बेचैत गेलाक कारण मन्दिरक आर्थिक अवस्था कमजोर बनैत जा’ रहल अइछ । वि.सं. २००२ धैर मन्दिरक महन्थके नाममे रहल आ मन्दिरक सयकडो बिघा जमिन छल । वि.सं. २००८ सालस’ जमिन गायब होइत देखल जाइत विभिन्न सञ्चारमाध्यमसबमे उल्लेख कएल गेल अइछ । मन्दिरक चल अचल सम्पत्तिस’ उत्सव, महोत्सव, भण्डारा ईत्यादि अनुष्ठानसब होइत आइब रहल छल । वर्तममानमे मन्दिर नाममे चलअचल सम्पत्ति नाम मात्रके रैह गेल अइछ ।


महोत्तरी जिलाक मुख्यालय जलेश्वरमे महाशिवरात्री, वसन्तपञ्चमी, साउन महिनाक सोम दिन श्रद्धालुभक्तजनके विशेष भींडभाड रहैत अइछ । मन्दिरमे भक्तजनद्वारा चढाओल गेल दान, सहयोग इत्यादिसँ दैनिक पूजाआजा एवम् व्यवस्थापन भ रहल जनाओल गेल अइछ । शिवभक्तके लेल ई स्थल अत्यन्त महत्वपूर्ण मानल गेल अइछ । अइठाम पूजाआजा कएलाक बाद मनोकामना पूर्ण होयबाक जनविश्वास रहल अइछ ।

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