शिर्षकहीन


रोशन जनकपुरी
शहीद सब
चेक बुक अइछ
श्रद्धान्जलिमे
जतेक काट’ के अइ
काइट लिय,
हिसाब किताब होइत रहतै ।
स्वप्न आँइखमे होइत अइछ
लेकिन अखन
किछु आँइखसब थाइक गेल अइछ
आ किछु अन्हरा गेल अइछ ।
नवका आँइखबलाके खोजी अइछ ।
रामवृक्ष
जइ सडक पर मारल गेलै
ओतह आब चिक्कन पीच छै
छोटछिन डगहरसब हेरा गेलै,
गाडी दौगै छै
लेकिन रामवृक्ष
जइ मुसहर आ चमारक घरमे नुकायल करै
ओ घर सब
बरखामे
पहिने स किछु बेसिए चूब’ लागल छै,
ओना रामवृक्षके सन्तानसबके घर सब
पहिने स किछु बेसिए चिक्कन चुनमुन
आ चमकौआ भ’गेल छै ।
रामवृक्षके नामपर
आब हरेक साल मेला लगैछै,
पहिने रामवृक्षके शहादतके दिन
सरकारी सेनाके बन्दुकके निच्चा
रामवृक्षके वैचारिक सन्तानसब
जान पर खेल क’
ओकर शहादतस्थलपर
झण्डा गाइर अबै छल
आ ओइ मृत्यु डकैत चुप्पीमे सेहो
गाममे लोक बुइझ जाइत छल
जे शहादत दिवस मइन गेलै,
लोक बन्द ठोरे एक–दोसर स
फुसफुसाइ छल –
बुझलही झण्डा गरा गेलै, मइनगेलै ।
भलेही परात भिने बर्मझिया
फौजी बूटके निच्चा लटखुर्दन होइत रहओ,
बर्मझियाके ठोरपर
अपन प्रियजनके शहादतपर
जीवित श्रद्धान्जलि देबके सन्तोष आ खुशी मुस्काइत रहैछल ।
बर्मझियामे आब
रामवृक्षके शहादत दिवसपर मेला लगैछै
आ लगैछै बजार ।
अइ मेलामे सब किछु भेटै छै,
अइ बजारमे सब किछु बिकाइ छै,
कजइ स अहाँ मनके भुला सकी,
खाली ओ स्वप्न नइँ भेटै छै
जे रामवृक्ष टुटलहबा मरैयासबके
आँइखमे बाँटल करै,
ई त मेला छै,
अइमे स्वप्नके कोन काम !
रामवृक्ष अखनो अभियान छै
टुटलहबा खोपरी सबमे पसरल
युग युगके अन्हारक विरूद्ध्,
अहाँ जौँ एकरा उठाबक साहस करी त ।
खुला सडकपर
भूख स छटपटाइत जतह लोक मरैत अइछ,
दबाई बिनु अस्पताले अस्पताले
दौगैत दौगैत जतह विष्णुमाया आ गंगादेवी मइर जाइत अइछ,
सामने देशके सीमा आ अपन लोकके निहारैत
परोसिया देशमे भूख स सेहो जतह लोक मरैत अइछ,
जतह अखनो मनुबाबाके चेलासब
जाइत पाइतक नामपर
मनुख्ख से बेसी कुकुरके इज्जत दैत अइछ,,
आ जतह अखनो अपने लोक स बलात्कृत धियासब
मुँह नुकौने फिरैत अइछ
जतह पाई नैतिकताके सब मानदण्ड स उप्पर अइ,
रामवृक्ष अइ सम्पूर्ण अनैतिक आ अन्यायक विरूद्ध छल,
आ अखन जे अइछ,
ओ ओहन नइँ अइछ
जेहनके लेल रामवृक्ष शहादत देलक ।
रामवृक्ष एकटा अभियान अइछ,
अहाँमे साहस अइ
त अहाँ अइ अभियानके
फेर स उठा सकै छी ।
(शहीदसबके स्मरणमे चाइर बरस पहिने लिखल गेल ई कविता अखनो सान्दर्भिक अइछ ।)
भाद्र २ गते कमरेड रामवृक्ष, भाद्र १ गते कमरेड चन्देश्वर मण्डल, आ साओन ३२ गते दोरम्बाके एक्कइस गोटे शहीदसबके शहादत दिवसके अवसरपर लाल सलाम ।)

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