
महोत्तरी, २० माघः लोपोन्मुख पंक्षी गिद्ध संरक्षणके बर्दिवासद्वारा पहलकदमी लेल गेल अइछ। बर्दिबास–३क वनक्षेत्रमे अबैत थुम्कोमे समूहमे गिद्धके बासस्थान भेटलापर नगरपालिकाके संस्थागत पहलकदमी शुरू भेल अइछ।
नगरपालिकाके संस्कृति तथा पर्यटन प्रवर्द्धन समितिकेँ गिद्ध संरक्षणक जिम्मेवारी देल गेल अइछ। पछिला बेर समितिकेँ लोपोन्मुख पंक्षी गिद्ध आ दुर्लभ चिड़ैचुनमुन्नी तथा वातावरण संरक्षण उपसमिति बनाक संरक्षणक काज आगाँ बढ़बैत नगरपालिकाके प्रमुख प्रह्लादकुमार क्षत्री जनौलैन। उपसमितिक तत्काल गिद्ध संरक्षणके पहलकदमी बढ़ेबाके सङे अन्य चिड़ैचुनमुन्नी आ वातावरण संरक्षणके गतिविधिके रूपरेखा तैयार क रहल अइछ। “हम अइसँ पहिने पर्यटन व्यवसायी हीरालाल गौतमक संयोजकत्वमे संस्कृति तथा पर्यटन प्रवर्द्धन समिति बना देने छलाैँ, ओ समिति काज शुरू क देने अइछ,” क्षत्री कहलैन, “एत भेटल गिद्ध सङे अन्य दुर्लभ पंक्षीके संरक्षण लेल समितिके उपसमितिक माध्यमसँ योजनाबद्ध काज आगाँ बढ़ेबाक तालिका बनाएल गेल छै।”
वितल साल बर्दिबास उद्योग वाणिज्य सङ्घक नेतृत्वमे १० सामाजिक सङ्घ संस्थाके सहभागितामे एहि ठामँक पर्यटकीय गन्तव्यक पहिचान क पदयात्रा शुरू कएल गेल छल। पदयात्राक क्रममे यात्रीक समूह गिद्ध देखलाक बाद एकरा संरक्षण करबाक सुझाव देलैन, जाहि कारणेँ नगरपालिकाके अभियान शुरू भेल, प्रमुख क्षत्री कहलैन। पदयात्रामे सहभागी विशाल बस्नेत गिद्ध, चिड़ैचुनमुन्नी आ वातावरण उपसमितिक संयोजक बनलाक बाद एकर काजमे गति आएबाक विश्वास व्यक्त केने संस्कृति तथा पर्यटन प्रवर्द्धन समितिक संयोजक गौतम कहलैन।
“हम धार्मिक, सांस्कृतिक, सामाजिक आ वातावरणीय क्षेत्रमे करबाक कामके सूची बना आगाँ बइढ़ रहल छियै, हमर कामसँ एत पर्यटन प्रवर्द्धन हएत से विश्वास छै,” ओ कहलैन। बर्दिबास–३ क पुरातात्विक महत्वके स्थल राइमण्डलधाम, पाषाण युगकालीन हतियार कारखाना, परेवापाखा आ सोलीघोप्टेडाँडाके अगलबगल राइमण्डलडाँडाके थुम्कोमे पछिला समय भेटल गिद्ध संरक्षणके काज प्राथमिकताके साथ शुरू कएल गेल अइछ। गिद्ध भेटल थुम्कोके आब “गिद्धबास” कहल जाइत अइछ। चुरे समूचा जिलामे फैलल होबाक कारणसँ बर्दिबासमे पर्यटन प्रवर्द्धनके काज गति आएत विश्वास राखल गेल अइछ।
गिद्धबास सेहो एहि ठामँक पर्यटकीय गन्तव्य बनबाक सम्भावनाकेँ देखैत एकर संस्कृति तथा पर्यटन प्रवर्द्धन समितिक कार्यक्षेत्रमे राइख क योजनाबद्ध पहलकदमी लेल गेल नगर प्रमुख क्षत्री स्पष्ट केलैन। गिद्धबासमे एक हजारसँ बेसी गिद्ध रहलाक कारण एकरा संरक्षण अभियानके रूपमे संचालन करबाक आवश्यकता रहल उपसमितिक संयोजक बस्नेत कहलैन। नवलपरासी जिलास्थित कावासोतीक पिठौली वनक्षेत्रमे ‘जटायु रेष्टुरेन्ट’ बना गिद्ध संरक्षणके पहलकदमी लेल गेल छै, तहिना एताैँ रचनात्मक काज करबाक योजना बनाएल गेल छै, बस्नेत कहलैन। “जिलामे तीन दशक पहिने मिलके गाछीमे रहैबला गिद्ध, गाछी कटा गेलाक बाद देखाएब बन्द भ गेलै” स्थानीय ७० वर्षीय बिसुनदेव महतो कहलैन।
बस्तीमे विषाक्त घाँससँ मरल पशुके माउस खेलासँ गिद्ध मरैत गेल गेल, से हुनकर लगैत छै।
“मधेशमे किछु दशक पहिने पशुके छमड़ी ठेक्का लेनिहार ठेकदार चउरमे विष छिट क काज करैत छल। से माउस खेलाक बाद गिद्ध मरब शुरू केलक आ धीरे-धीरे लोप भ गेल,” ओ कहलैन। सगरे मइर रहल गिद्धके बीच अपन इलाकामे गिद्ध देखाएब एकटा अवसर माइन क संरक्षणके लेल सबके एक जुट होएबाक चाही,स्थानीय टेकबहादुर बस्नेत प्रतिक्रिया देलैन। पछिला समय गिद्ध संरक्षण व्यवस्थित भ रहल अइछ, मुदा एतसँ सम्बन्धित अध्ययन आ अनुसन्धान कम होइत अइछ, बर्दिबास–३ गौरीडाँडास्थित जनता माविके पूर्वप्रधानाध्यापक दीपकराज बराल कहलैन। लोपोन्मुख पंक्षीसम्बन्धी अध्ययन आ अनुसन्धान कएनिहारसभकेँ तीनू तहके सरकार प्रोत्साहित करबाक योजना आनत, तखने एकर प्रभावकारी संरक्षण सम्भव होबाक बराल बताैलैन ।