आब भोजपत्र मधेश क्षेत्रमे प्रयोग विहिन


महोत्तरी, ६ फागुन: प्राय: मिथिला सहित सम्पूर्ण मधेशमे भोजमे प्रयोग कएल जाएबला भोजपत्र (भोर्लाक पात) बिकनाइ छोइड़ देलक अइछ। भोजपत्रके ‘टपरि’के चलन घटैत गेलाक कारण ई बिकनाइ छोइड़ देलक अइछ।
वातावरणमे सहजे मलिन होएबला तथा प्रदुषण न्यून होएबला प्राकृतिक भोजपत्रके प्रयोग क्रमश: घटैत लोप होबाक अवस्थामे पहुँच गेल अइछ । पछिला किछु सालसँ प्लास्टिक आ कुट थारीके प्रयोगसँ परम्परागत भोजपत्र विस्थापित भ गेल अइछ। गौशाला आ बर्दिबास नगरपालिका क्षेत्रक वनसभमे भोजपत्र तोइर क अपन परिवार चलबैत आइब रहल सर्वसाधारणक पेसा संकटमे पइड़ गेल अइछ।
“हमर परिवार भोर्लाक पात बेइच क निरवाह करैत छल”, बर्दिबास–१० खयरमारा झ्याउरेभाङ्रेक फूलमाया तामाङ कहलैथ, “पहिने पात बेइच क वर्षभैर जीविका चलैत छल, मुदा आब पात खोजए कियो नै आबैत अइछ।” फूलमाया मात्रे नै, बल्कि वन क्षेत्र लगके बहुतो गरीब परिवारके भोजपत्र आम्दनीक स्रोत छल। वनसँ भोर्लाक पात तोइर आनैत इएह व्यापारीसभ आइब क घरसँ ल जाइत छलै, मुदा आब व्यापारीसभ नै आबैत अइछ, गौशाला–८ ढल्केबरके मनमाया ल्हायो कहलैथ। “नै गाछी काटए पड़ैत छल, नै केकरो नोकसान होइत छलै, पात तोइड़ क आनलापर नगदमे बिकाइत छल”, ल्हायो कहलैथ, “भोर्लाके पात बिकब बन्द भेलासँ हमरासभ जँका गरीब लोकके निर्वाहमे असर पइड़ गेल अइछ।”
पात तोड़निहारसभ मात्रे नै, बल्कि भोजपत्रके व्यापारीसभके व्यापार सेहो बन्द भ गेल अइछ। मधेशके सबसँ जिला आ भारतक झंझारपुर, मधुबनी, सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, शिवहर आ पूरबी-पश्चिमी चम्पारणके गाम-गामधैर एतहिसँ ल जाएबला भोजपत्रके टपरि भोजमे उपयोग होइत छल। मुदा पछिला किछु वर्षसँ भोजमे प्लास्टिक आ कुटके टपरि प्रचलित भेलासँ भोजपत्रके कारोबार बन्द भेल, भंगाहा–४ के रामप्रताप साह कहलैथ।

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