पवित्र पाशुपत क्षेत्र नेपालमे रहब हिन्दूसभ लेल गौरवके विषय छी: राष्ट्रपति


काठमाण्डू, १४ फागुन: राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल पवित्र पाशुपत क्षेत्र नेपालमे रहब अपनासभके लेल मात्र नै बल्कि समस्त हिन्दूसभक लेल सेहो गौरवक विषय भेल बताैलैन अइछ ।महाशिवरात्रि पावैन, २०८१ के अवसरमे देश तथा विदेशमे रहल सम्पूर्ण नेपाली दिदी-बहिन एवम् भाइसभक लेल सुख, शान्ति आ समृद्धिक कामना करैत ओ कहलैन, “नेपाल भूमिसँ भगवान् शिवके सम्बन्ध विभिन्न वैदिक ग्रन्थसभमे वर्णित अइछ। पवित्र पाशुपत क्षेत्र नेपालमे रहब मात्रे अपनासभेक लेल नै बल्कि सब हिन्दूसभक लेल सेहो गौरवके विषय अइछ।” ओ कहलैन जे हमर देशके बहुत धार्मिक सम्प्रदायसभमे विद्यमान सनातन संस्कृतिमे शिवसँ जुड़ल आस्था आ विश्वास निरन्तर रूपसँ परिलक्षित होइत अइछ। आराध्यदेव श्री पशुपतिनाथ एवम् किरातेश्वर महादेवके साक्षात् शिवस्वरूप माइन श्रद्धा रखनिहार विश्वभैरके भक्तसभ लेल नेपाल सदैव आध्यात्मिक चिन्तनके केन्द्र अइछ।
“वैदिक परम्परामे शिवके मुख्य रूपसँ सम्हारके शक्ति मानल गेल अइछ, मुदा शिवशक्तिमे सौम्य एवम् रौद्र दुनू स्वरूप समाहित अइछ, जे प्रकृतिक सृजनात्मक एवम् संहारकारी शक्तिक समान रूपसँ प्रतिनिधित्व करैत अइछ”, ओ कहलैन, “सौम्य शक्तिसँ मानव चेतनामे शुभ पक्षक बोध होइत अइछ आ मात्रे ओहिकेँ ग्रहण करबाक प्रेरणा भेटैत अइछ, इएह कारणसँ ‘सत्यम् शिवम् सुन्दरम्’ प्राचीन लोकोक्ति बनल अइछ।”
निर्जल व्रत, रात्रि जागरण, चाइर प्रहरके पूजा एवम् शिव महिमा कीर्तन, शिवरात्रि पूजाक प्रमुख अङ्ग मानल जाइत अइछ। शिवरात्रिके पालनसँ योग आ मोक्ष दुनू प्राप्त होइत अइछ, एहन धार्मिक विश्वास रहल ओ कहलैन। “महाशिवरात्रिक एहि पावन अवसरमे हमसभ पाशुपत क्षेत्रसहित देशक विभिन्न भागसभमे रहनिहार सांस्कृतिक एवम् धार्मिक सम्पदासभक यथोचित संरक्षण एवम् संवर्द्धन करबाक संकल्प लेबाक चाही”, ओ कहलैन, “हमरासभके प्राप्त सम्पदासभकेँ मौलिक रूपमे भविष्यक पीढ़ीधैर पहुँचेबाक जिम्मेदारी हमरेसभके अइछ। काठमाण्डू उपत्यकाके जलाधार स्वरूप बागमती नदीकेँ स्वच्छ आ साफ राखब अपनासभके कर्तव्य अइछ।” राष्ट्रपति पौडेल महाशिवरात्रि पावैन, २०८१सँ अपनासभक जीवनमे आध्यात्मिक जागरणक नव उजास फैलए से शुभकामना व्यक्त केलैन अइछ।

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