यात्रा संस्मरण : तौलेश्वरक तौलिहवा, समई माई मन्दिर आ हमर कौवला


तौलिहवा–तिलौराकोटक निरन्तर अवलोकन
भगवान गौतम बुद्धसँ सम्बन्धित लुम्बिनी, तिलौराकोट, कुदान (निग्रोाधाराम) आ रामग्रामक हम अनेकोबेर भ्रमण केने छी । प्रत्येकबेरक भ्रमणमे एक फरक अनुभूति होइत आएल अइछ । प्रत्येकबेर ई जगहसब पहिनेसँ नव बुझाइत रहल अइछ । जे केओ भगवान बुद्ध आ हुनक जीवनसँ रुचि रखैत होइथ हुनका निश्चय बुझल छैन जे लुम्बिनी जन्मस्थल, तिलौराकोटस्थित दरवारमे २९ वर्षक वयस व्यतीत, कुदानमे पहिल प्रवचन आ रामग्राममे अस्थिधातु विसर्जनसँ सम्बन्धित जगहसब अइछ। एहिमेसँ लुम्बिनी नेपालक रुपन्देही, रामग्राम नवलपरासी आ तिलौराकोट तथा कुदान कपिलवस्तु जिलामे पडैत अइछ ।
महाकुम्भमे डुबकी लगा प्रयागराजसँ घुरैतकाल (२०८१ फागुन १०अर्थात २०२५ फ्रेबुअरी २२) हमरासभक गाडी तौलिहवादिसि बढिरहल छलए । अपरान्ह करिव दू वजे हमरालोकैन तौलिहवा पहुँचल रही आ कनेकाल विश्राम करबाक नेआर केने रही । मुन्नी आ आदित्य आराम केलैन मुदा हमरा से अवसर नहि प्राप्त भऽ सकल । हम बहुत पहिनेसँ तौलिहवा आविरहल छी आ तौलिहवा वजार, तिलौराकोट दरवार तथा आसपासके क्षेत्रक निरन्तर अवलोकन करबाक अवसरि भेटैत रहैए ।
कनिएकालक बाद मुस्तफा, ध्यानेन्द्रलगायत मित्रसत्र एलैथ आ हम हुनकेसभसँग विदा भऽ गेलौं । ओ एक कफीशप (दोकान)मे लऽ गेलैथ । हमरा बडा प्रशन्नता भेल, तौलिहवा बजारमे एक नीक कफी शपऽक उपलब्धता बहुतो कफीप्रेमीक आवश्यकता आब पूरा कऽ रहल छलै । कहै छै ने, विकासक स्वाभाविक प्रक्रिया आ स्वाभाविक वैश्विक प्रभावकँे रोकल नहि जा सकै छै । पछिला वर्षमे कपिलवस्तु एक एहन जिला अइछ, जतहुक बहुत लोक रोजगारीक क्रममे विदेशसँ सम्बन्धित छैथ । एहनमे कफी शप, एयरकन्डिशन्ड चाय दोकान आ शैलुन, व्यवस्थित आ स्तरीय होटल आदिक उपस्थितिकेँ आश्चर्यक दृष्टिएँ नहि देखल जेबाक चाही ।ई सब तँ वर्तमान विश्वक स्वाभाविक उपलब्धि छै ।खायर जे से ।
भोजनक बाद विश्रामयात्राहेतु माहुरी होम (मधेश मानवअधिकार गृह) दिसि प्रस्थान केलौं । सुतबाकाल हमरासब एक कौबला पूरा करबाक बातपर विमर्श कऽ काइल ओ काज सम्पन्न करबाक निर्णय कएल ।

प्राचीन तिलौराकोटमे डा मिश्रप्रति श्रद्धाञ्जलि
सन्दर्भ किछु वर्ष पहिलुक अइछ । कोनो काज विशेषसँ हमरालोकैन तौलिहवा गेल रही । सँगमे रहैथ पत्रकारसभ रामविकास चौधरी, खग चापागाई आ वसन्त वञ्जाडे । हमसभ कनेकाल घुमबाहेतु तिलौराकोट दरवार गेल रही । तिलौराकोटक ई प्रचाीन दरवार बुद्धकालीन वास्तुसंरचनाक अनुपम उदाहरण अइछ । अर्थात कमसँ कम दू हजार पाँच सओ वर्षसँ पूरान संरचना । ई उएह दरवार छै जे शाक्यवंशी राजा शुद्धोधनक राजधानी तिलौराकोटमे अवस्थित अइछ । पछिला वर्षसबमे एतऽ पूरातात्विक उत्खननक कार्य भऽ रहल छैक । ई इएह महत्वपूर्ण पूरातात्विक स्थल छै जकर उत्खनन आ अध्ययनमे मैथिल पूरातत्वविद डा तारानन्द मिश्र प्रारम्भसँ संलगन रहैथ । हिनकासँग नेपाल, बुद्धकालीन अवशेष, मिथिला आ पछिला समयमे गौर जिलाका पतौरा महादेवसँ सम्बन्धित पूरातात्विक महत्व, इतिहास आ संस्कृतिक मादे अनेक अजस्र जानकारी छलैन जकर पर्याप्त प्रकटीकरण नहि भऽ सकल से मानल जाइत छै । दूर्भाग्य डा मिश्र आब हमरासभक बीच नहि छैथ । इएह दरवार क्षेत्रसँ हुनकाप्रति श्रद्धाञ्जलि व्यक्त करऽ चाहब । एहि दरवारसँ हमर मानसिक निकटताक कारण शायद डा मिश्र सेहो छैथ । हम जतेकवेर तौलिहवा जाइत छी प्रयास रहैए जे तिलौराकोट दरवार जाई आ किछु नव जानकारीसँ अद्यावधिक होई ।
एहिक्रममेउपर सन्दर्भक चर्च कएल अइछ, तिलौराकोट दरवार गेल रही । दरवार परिसर घुमैतकाल रामविकास आवश्यक जानकारी दऽ रहल छलैथ । ओ एहि पूरातात्विक स्थलके बारेमे हमरासभसँ बेसी जानकारी रखैत छैथ । दरवारक पूरातात्विक उत्खनन् आ एहिसँ प्राप्त निचोड, दरवारक केन्द्रीय संरचना क्षेत्र, दरवारक पूर्वी द्वार, जतऽसँ युवराज सिद्धार्थ गौतम दरवारसँ बहराएल रहैथ, दरवारक केन्द्रीय सरचनासँ सटल दक्षीणी भाग जतऽ राजा शुद्धोधनक शैनिक इलाका आ हातहतियार निर्माण क्षेत्र रहैक, दरवारक उत्तरी क्षेत्रमे राजा आ रानीक समाधिस्थल छै, आदिक बारेमे रामविकास कोनो प्रशिक्षित आ योग्य पथप्रदर्शकजकाँ बहुत नीकढंगसँ विस्तारमे जानकारी करौने रहैथ ।

समई माईक महिमा आ हमर कौवला
एहने जानकारी दैत रामविकास दरवारक केन्द्रीय संरचनासँ सटले अवस्थित एक छोटछिन मन्दिरलग रुइक गेलैथ । ओ जानकारी दैत कहने रहैथ– भाई जी, ई मन्दिर समई माईके छैन । हिनका समय माई सेहो कहल जाइत छैन । एतहुका बहुत लोक समई माईके शाक्यवंशी राजासभक कूलदेवी मानै छैथ । हमरा याद अइछ, चौधरी कहने रहैथ– सत्य कि छै से तँ नहि जाइन । मुदा एहि देवीक प्रति स्थानीय जनतामे आस्था, श्रद्धा आ विश्वास अटूट अइछ । अपार समर्पण अइछ । हुनकर कहब रहैन–ई देवी लोकऽक मनोकांक्षा पूरा करै छैथ । लोक जे चाहैत छै से पूरा होइत छै । चौधरी ओतऽ पसरल माइटक बहुत रास छोटपैघ हाथी देखबैत स्थानीय सांस्कृतिक महत्व पसारैत कहने रहैथ– ई हाथीसभ देखै छियै ने, लोक अपन मनोकांक्षा आ कौवला पूरा भेलाक बाद चढौवाक रुपमे मइटक हाथी चढबैत अइछ ।

चौधरी जीक बात सुनि कनेकाल हम गम्भीर भऽ गेल रही । सोचमे पडिगेल रही ।ओ पुछलैथ– कि भेल ? कोन सोचमे पडि गेलौं ?
हम कहलियैन– हमरो एकटा कौवला करबाक अइछ । जँ पूरा भऽ जाएत तँ भऽ सकैए हाथी चढेबाक काजमे आहाँकेँ सहयोग अपेक्षित रहत ।
ओ पुछलैथ– कौबला किए ? कि चाही आहाँकेँ ? आहाँ कहियौन देवीकेँ, ई निश्चय पूरा करतीह । बात रहलै हाथी चढेबाक, तँ ओ भऽ जेतै ।
हमबाइज उठलौं– हमरा नातिक सुख भेटत तँ हम हाथी चढाएब ।
हमरा याद अइछ, हम ई बात रामविकासकेँ कहने रहियैन ।
संयोगे मानबाक चाही या देवीक कृपा । ई कौबला केलाबाद हमरा बेसी दिनक प्रतीक्षा नहि करऽ पडल । हमर दुनू सुपुत्रीकेँ एक एक सुपुत्र प्राप्त भेलैक । छोटका नाति सेहो डेढ वर्षक भऽ चुकल छल मुदा कौबलाक चढौवा बाँकिए छलै । एहिबेर संयोग देखियौ हम दुनू व्यक्ति आ आदित्य सँगहि तौलिहवामे छी । चढौवा चढेबाक ई उपयुक्त समय भऽ सकैत छलै । हमसभ इएह विमर्श करैत काइल भोरमे तिलौराकोट दरवार जा समई माईके हाथी समर्पित करबाक निर्णय केलौं आ सुरु केलौं हाथीक खोजी ।
रामविकास जीकेँ फोन कऽ समई माई मन्दिरक दर्शनक बारेमे जानकारी करबैत हाथीक उपलब्धताक मादे कहलियैन । ओ अपन किछु पारिवारिक समस्याक कारणे स्वयं नहि आइब सकबाक बात कहैत हाथीक मादे वसन्तकेँ जानकारी करेबाक बात कहलैन । तकरबाद हम वसन्तकेँ फोन केलियैन आ उएह बात दोहरौलियैन । ओ कहलैन आई तँ हम बुटवलमे छी, काइल तँ नहि आइब सकब मुदा हम व्यवस्था कऽ कऽ काइल भोरमे आहाँकेँ जानकारी कराएब । हम एहिमादे खग चापागाइँकेँ सेहो कहने रहियैन । ओ कहने रहैथ– हम लुम्बिनीमे छी ।हम वसन्तसँ परामर्श करै छी । आहाँक समस्याक समाधान भऽ जाएत ।

तौलेश्वरनाथ महादेव ः हिन्दू–वौद्ध आस्थाक केन्द्र
हमरालोकैन आब निश्चिन्तभावे निन्द्रादेवीक शरणमे गेलौं । भोरमे नित्यक्रियासँ निःवृत भऽ चाय पिलौं । रवि जी (माहुरी होमके संस्थापक अध्यक्ष) आ रामदयाल ठाकुर (माहुरी होमके वर्तमान अध्यक्ष) आएल रहैथ । तखने वसन्तक फोन आएल । वसन्त दरवारधैर जेबालेल गाडी आ मन्दिरमे चढेबालेल हाथीक व्यवस्था होबाक बात कहैत पत्रकार अजय सहनीक फोन नम्बर देलैन आ सम्पर्क करबालेल कहलैन । रवि जी वसन्तक कहल जगहपर एकगोटे ड्राइभरके पठा गाडी अनेबाक व्यवस्था मिलौलैन आ हमरालोकैन (हम तीनुगोटे, रवि जी आ रामदयाल ठाकुर दद्दु) ताधरि तौलेश्वर महादेवक दर्शन कऽलेल जाए से सोचैत आगाँ बढलौं । आगाँ कनिए बढैछी तँ पाछाँसँ हमरा सम्बोधन कएल गेल हम सुनलियै । उनैट कऽ देखी छी तँ गोपी भाईकेँ देखलौ । नेपाली कांग्रेस–नेपाली विद्यार्थी संघके नेता आ लुम्बिनी विकास कोषक पूर्व सदस्य गोपी जीकेँ हमरामादे सद्भाव रहैत छैन । कुशलक्षेमक बाद सभकेओ तौलेश्वरनाथ महादेव मन्दिरदिसि विदा भेलौं ।
मानल जाइत अइछ जे इएह तौलेश्वरनाथक नामपर एहि स्थानक नाम तौलिहवा रहल अइछ । एतऽ महादेव शिवलिंगक स्वरुपमे विद्यमान रहल विश्वास कएल जाइत छै । ई शिवलिंग ताम्रसँ बनल होबाक विश्वासक आधारपर हिनका ताम्रेश्वर महादेव सेहो कहल जाइत छै । इतिहासकारलोकैनकँे मोताविक सम्राट अशोकद्वारा एहि क्षेत्रमे पाँचटा स्तम्भ स्थापित कएल गेल बातक उल्लेख छै । मुदा ताहिमेसँ दूटा प्राप्य नहि छै कहाँदन । किछु अन्वेषक एकटा अशोक स्तम्भ इएह मन्दिरक आसपास कतौ होबाक बात करैत आएल छैथ । किछु बौद्ध धर्मावलम्बी आ बौद्ध भिक्षुलोकैन मुक्तिनाथ मन्दिरक शैलीमे ई शिवलिंगकेँ बौद्ध धर्मावलम्बीके सेहो पूजा करऽ देबाक चाही से इच्छा व्यक्त करैत आएल छैथ । मुदा से सम्भव नहि भऽ सकल अइछ । हमरा बुझने ई असँम्भवो नहि अइछ । आखिर एहिमे समस्या कोन ?बुद्ध धर्मके सेहो तँ हिन्दूए धर्मसँ अलग भेल सहायक धर्मक रुपमे स्वीकार कएल जाइत छै । जँ मुक्तिनाथमे हिन्दू आ बौद्ध धर्मावलम्बीद्वारा संयुक्तरुपेँ पूजा भऽ सकैए तँ एतऽ किएक नहि? एखने प्रयागराजमे महाकुम्भ मेला सम्पन्न भेलैए जत ६६ करोडसँ बेसी सनातनी श्रद्धालु सहभागी भेल दावी कएल जा रहल अइछ । ओहि मेलामे के सहभागी भेल आ नहि तकर कोनो हिसाव नहि छै । जातीय आ वर्गीय विभेद नहि छै । हिन्दू धर्मक अनेक शाखा–प्रशाखा, वर्ग–उपवर्ग, पन्थ–सम्प्रदायस सम्बन्धित श्रद्धालु महाकुम्भके एकत्रित भेलैथ । महाकुम्भमे कोनो घाट कोनो खास समूहहेतु आरक्षित आ सुरक्षित नहि छल । सनातनीसभक मात्र नहि बल्कि विश्वक सबसँ पैघ जमघट बनल ई महाकुम्भ मेला आपसी सद्भावक सन्देश प्रवाहित केलक अइछ । उएह प्रयागराजसँ नजदिकऽक भूमि अछि तौलिहवा । तौलिहवाक ई भूमि बुद्धक जन्मसँ वयस्क होबाधरिक प्रत्येक क्षणक साक्षी सेहो अइछ । एतऽ हिन्दू आ बौद्ध एक दोसर धर्मप्रति निषेधक भावनाक त्याग होबाक चाही । तौलिहवाक तौलेश्वर मन्दिर बौद्ध धर्मावलम्बीहेतु सेहो पवित्र स्थल बनि जाए आ विश्वभरिक बौद्धक हेतु आस्था आ श्रद्धाक औपचारिक केन्द्र बनि जाए तँ कोन हर्ज ?मुदा ई धर्मसँ जुडल विषयमे बेसी कहनाइयो शायद उचित नहि हएत । तएँ एहि विषयमे एखन एतबए ।

विश्व सम्पदा सूचिक प्रतीक्षामे तिलौराकोट
हमसभ भगवान शिवऽक दर्शन कऽ मन्दिरसँ बाहर निकललौ । बाहर गाडी आइबगेल छल । अजयकेँ फोन केलियैन ओ पता बतौलैन । गाडी हुनका बताएल पतापर पहुँचल । अजय रस्तेमे ठाड रहैथ । अजयसँ भेट कऽ एक जोडी हाथीक बन्दोवस्त कएल गेल । अजय सेहो हमरे गाडीमे बैसलैथ । आब हमरासभक यात्रा छल प्राचीन तिलौराकोट दरवारस्थित समई माई मन्दिर । उपर सेहो उल्लेख केलौं जे प्राचीन तिलौराकोट दरवार क्षेत्रमे हम पहिने सेहो गेल छी आ जएबेर एतऽ पहुँचल छी सबबेर किछु नव अनुभूति भेल अइछ । एहुबेरुक यात्रा नव प्राप्तिक दृष्टिएँ अपवाद नहि भऽ सकैत छल ।
हमसभ तिलौराकोट दरवार क्षेत्र पहुँचिगेल छलौं । अजय एतहुका स्थानीय छैथ । ओ तिलौराकोट दरवार आ एहि क्षेत्रक संरचनाक सम्बन्धमे जानकार छैथ । हुनकर परिवार दरवार क्षेत्र अगलवगलक पूरान वासिन्दा अइछ । मुदा एखन ओसभवजारदिसि बसै छैथ । ओ दरवार परिसर, उत्खननक अवस्था आ परिणामक बारेमे जानकारी दऽ रहल छलैथ आ हमरालोकैन क्रमशः आगाँ बढिरहल छलौं । ओ एहि क्षेत्रक पूरातात्विक अन्वेषण आ अध्ययनक क्रममे कार्वन डेटिङ, जमिनभितरक फोटोगा्रफी आदि भेल जानकारी दैत कहलैन– एहि क्षेत्रक एखनधैर जते उत्खनन भेल छै ओहिसँ बहुत बेसी उत्खनन आ अध्ययन हएब आवश्यक छै । ओ पुरातत्व विभागसँ सम्बन्धित अधिकारी माधव आचार्यसँ सेहो परिचय करौलैन । अजय आ माधव जी दुनूगोटे सामूहिकरुपेँ, ई क्षेत्र एखनधैर युनेस्कोद्वारा विश्व सम्पदाक रुपमे संरक्षित क्षेत्रक सूचिमे सूचिकृत नहि कएलजेबाक बातपर चिन्ता व्यक्त केलैन । हुनकासभक कहब छलैन– जँ एहि क्षेत्रकेँ युनेस्को सूचिकृत नहि करत तँ एकर इतिहास अध्ययन, सभ्यता आ संस्कृतिक संरक्षण तथा एहि क्षेत्रक समग्र विकास प्रतिकूलरुपेँ प्रभावित भऽ सकैत अइछ । अजयक स्पष्ट कहब छलैन–राज्यकेँ एहि सम्बन्धमे जते लविङ करबाक चाहैत छलैक शायद ओते नहि कऽपाइबरहल अइछ । पछिला दिनमे कमजोर पडिरहल एहि क्षेत्रक पूरातात्विक अध्ययनकेँ एकर प्रमाणक रुपमे लेल जा सकै छै– ओ असन्तुष्टि व्यक्त केलैन । अजयेटा नहि असन्तुष्टि अन्ँय स्थानीयकेँ सेहो छैन– सरकार एकदिसि धीमा गतिमे पूरातात्विक अध्ययनकऽ रहल अइछ तँ दोसरदिसि उत्खननक नामपर आसपासक जमिनक अधिकरण सेहो कऽ रहल अइछ । बहुतो स्थानीय लोक एतऽसँ अन्यत्र जेबालेल बाध्य अइछ । स्थानीय लोकऽक असन्तुष्टि आरो छै– हमरासभकेँ जमिन अधिकरणक उचित मूल्य नहि देल जा रहल अइछ । पूरातत्व विभागक अधिकारी जानकारी देलैन– ई वर्ष २०२५ क आगामी किछु महिना अत्यन्त महत्वपूर्ण अइछ । युनेस्कोक निर्णयके प्रतीक्षा अइछ । कि हएत ? ई क्षेत्र सूचिकृत हएत कि नहि ?

समई माईक दर्शन, हाथी चढौवा आ कुदानक विहार
इएह बातसभ करैत हमरालोकैन आगाँ बढिरहल छलौ आ हमरासभक आगाँ छल समई माई मन्दिर । हमरालोकैन देवीप्रति आभार व्यक्त केलियैन । पूजा केलौं आ हाथी चढौवा चढेलौं । मन्दिर देखलासँ बुझाएल जेना मन्दिर पहिनेसँ जीर्ण भेल जा रहल अइछ । एहि क्षेत्रक प्रसिद्ध आ लोकश्रद्धासँ जुडल मन्दिर रहितो एकर संरक्षण आ उचित रखरखावक अभाव खटैकरहल छल । एकटा छोटसन जीर्ण कोठलीमे सीमित एहि मन्दिरदिसि केन्द्र, प्रदेश आ स्थानीय कोनो तहऽक सरकारक उचित ध्यान गेलसन नहि बुझाएल । एतबए नहि एतऽ लुम्बिनी विकास कोषसन कोनो सक्रिय, सुविधासँम्पन्न आ स्रोत तथा शक्तिशाली स्वायत्त विकास संस्था सेहो नहि छै ।
हमसभ ओतऽसँ आगाँ बढैत दरवार परिसरक पूर्वी द्वार गेलौ जतऽसँ २९ वर्षक वयसमे युवराज सिद्धार्थ गौतम बाहर निकलल छलैथ आ तकर बाद ओ फेर घुरि कऽ दरवार नहि एलैथ आ किछु सालक पश्चात बुद्धत्व प्राप्तिक बाद भगवान गौतम बुद्धक रुपमे ओ एहि नगरक किन्हेरमे रहल कुदान (निग्रोधाराम) एलैथ आ अपन परिवारजनसँ भेटघाट कऽ अपन पहिल प्रवचन देलैन । एखन ई कुदान सेहो एक पर्यटकीय केन्द्रक रुपमे चर्चित अइछ । हमसभ तिलौराकोट दरवारक पूर्वी द्वारक अवलोकनक बाद कौखन कुदान पहुँचिगेलौं पते नहि चलल । कुदानमे बुद्धक पएर पडल अइछ आ ओ एतऽः अपन जीवनक पहिल प्रवचन देने छैथ से विश्वासमे एहि स्थानमे विहार आ चैत्यक निर्माण तऽ भेल अइछ मुदा दुःखक सँग कहऽ पडत जे ई स्थान सेहो संरक्षणक अभाव झेलिरहल अइछ । विहारक इँटासब निकैलरहल अइछ तँ विहारक उपरधैर जेबालेल बनाओल गेल लोहाक सिढी विझा कऽ ठामठाम टूटिगेल अइछ । समस्या फेर ओहने तिलौरेकोट दरवारसन । आधारसँ इँटासब खसैकरहल छै मुदा देखतै के ? हम इएह सोचिरहल छलौं आ गाडी तौलिहवादिसि दौडिरहल छलए । कुदान कही या निग्रोधाराम क्रमशः पाछाँ छुटिरहल छलए । ं

 

 

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