
काठमाण्डू, २२ फागुन: नेपाली समाजमे हिंसासँ दलित महिलासभ बेसी प्रताड़ित होबाक बात सामने आएल अइछ।
समग्र रूपसँसभ महिलासभ जे हिंसाक सामना करए पड़ैत अइछ, ओहि तरहे दलित महिला सेहो हिंसाक शिकार बनैत अइछ। लेकिन ओहिसभक अतिरिक्त जातीय भेदभाव, पितृसत्तात्मक सोच, वर्गीय, आर्थिक आ सामाजिक कारणसँ दलित महिलासभ आओर बेसी हिंसा सहए पड़ैत अइछ, विभिन्न अध्ययनसभ एहि बातक पुष्टि केलक अइछ। दलित महिला संघ (फेडो) द्वारा २०८१मे कएल गेल अध्ययन अनुसार, नेपाल प्रहरीक तथ्यांक अनुसार हिंसासँ प्रताड़ित दलित महिलासभक संख्या कुल ११.५४ प्रतिशत अइछ।
हिंसासँ प्रताड़ित दलित बालिकासभक संख्या १९.४४ प्रतिशत अइछ। राष्ट्रीय महिला आयोगक अभिलेख अनुसार उजागर भेल घटनासभमे ११.३४ प्रतिशत दलित महिलासँ सम्बन्धित अइछ। ओरेक नेपालक रिपोर्ट अनुसार, हिंसासँ प्रताड़ित महिलासभमे दलित महिलासभक संख्या २७ प्रतिशत अइछ। इन्सेकक अभिलेख अनुसार, हिंसासँ प्रभावित महिलासभमे दलित महिला दोसर स्थानपर अइछ, जाहिमे ओसभक प्रतिशत २२.५८ अइछ। उल्लेखित आंकड़ा मात्र ओहि घटनासभके दर्शाबैत अइछ, जाहिमे पीड़ित पक्षसँ उजुरी देल गेल छल। लेकिन बेसी घटनासभ भय आ न्यायिक प्रक्रियामे कमजोरीक कारणेँ दबाइए क राखल जाइ छै, अधिकारकर्मीसभके कहब अइछ।
दलित आ दलित महिलासभक प्रति विभेद आ दमनके भयावह रूप अन्तरजातीय विआहमे बेसी देखल जाइत अइछ। फेडोक रिपोर्ट अनुसार, अन्तरजातीय विआह कएल ७१.७ प्रतिशत महिलासभके प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूपसँ धमकी, भय आ दवाब सहए पड़ैत अइछ। ओतबे नै, सार्वजनिक स्थानसभमे दुर्व्यवहार आ अपमानक शिकार ह प्रतिशत ७०.८ अइछ। समाजमे चरित्र हत्या करबाक प्रवृत्तिक कारण दलित महिलासभक जीवन प्रभावित भेल अइछ, फेडोक महासचिव रेणु सिजापती जनौलैन। अन्तरजातीय विआहसँ जन्मल २५.८ प्रतिशत बाल-बच्चासभक जन्मदर्ता नै भेल अइछ, जाहिसँ ओसभके विद्यालयमे नाम लिखए आ सरकारद्वारा देल जाएबला सुविधासभसँ वंचित रहए पड़ै छै, महासचिव सिजापती जनौलैन।
नेपाल समाजवादी पार्टी (नवीन शक्ति) क उपाध्यक्ष दुर्गा सोव कहलैन जे दलित महिलासभपर भ रहल हिंसा रोकबाक लेल राष्ट्रीय आ अन्तरराष्ट्रीय स्तरपर देल गेल प्रतिबद्धता आ संविधानिक, कानूनी आ नीतिगत व्यवस्थाक प्रभावी रूपसँ कार्यान्वयन जरूरी अइछ। ओ कहलैन जे “वर्तमान कानूनी व्यवस्थाक अक्षरसः पालन करबाक सङे-सङ आम जनताके एकरा बारेमे जागरूक करबाक लेल अभियान चलेबाक आवश्यकता अइछ।” तस्विरः जिमिनी