आँखों को नम ना रखना कभी


अखिलेश शुक्ला
आँखों को नम न रखना कभी,
दिल में गम न रखना कभी,
कहना है जो भी खुलकर कहो,
कोई भरम न रखना कभी।
चाहत का तूफां तो यूं ही चलेगा,
दिल का है क्या ये मचलता रहेगा,
तुम हौसलों को मजबूत रखना,
मंजिल-वफा से न हटना कभी।
फूलों के जैसी मुस्कान रखना,
चंदा के जैसी पहचान रखना,
होठों पे सरगम की लहरें ही रखना,
मंजर खफा का न रखना कभी।
तुम्हें देखकर तो अब जी रहे हैं,
तेरी वफ़ा से गम सी रहे हैं,
मेरे जख्मों का तुम मरहम ही रहना,
खुद पर सितम न करना कभी।
आँखों को नम ना रखना कभी,
दिल में गम न रखना कभी,
कहना है जो भी खुलकर कहो,
कोई भरम न रखना कभी।

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