१८म् शताब्दीसँ चइल रहल माध्यमिकी परिक्रमा यात्रा


संजीत कुमार मंडल / रासस
जलेश्वर (महोत्तरी), २७ फागुन: नेपाल आ भारतके मिथिला क्षेत्रमे अनादिकालसँ चइल अबैत १५ दिनक मिथिला माध्यमिकी परिक्रमाक यात्रा चइल रहल अइछ।
ई यात्रा करएसँ मोक्ष प्राप्ति होएबाक धार्मिक मान्यता अइछ। भगवान रामचन्द्र (मिथिला बिहारी) आ माता सीता (किशोरीजी) के डोला सङ १५ दिनधैर नेपाल आ भारतक विभिन्न धार्मिक स्थलसभमे पड़ाव होइत अइछ। एहि परिक्रमा यात्रासँ संसारक समस्त दुख-दर्दसँ मुक्ति मिलैत अइछ, ई बात जलेश्वर नगरपालिका-१ स्थित बाबा जलेश्वरनाथ महादेवक पुजारी उपेन्द्र पाठक कहलैथ। १५ दिनधैर चलएबला ई परिक्रमा पैदल यात्रा होबाक कारण मिथिलाक महाकुम्भ कहल जाइत अइछ।
नेपाल आ भारत दुनू देशक धार्मिक, सांस्कृतिक आ पारम्परिक सद्भावक प्रतीक रूपेँ ई परिक्रमा यात्रा होइत छै। नेपालमे ११ आ भारतमे ४ पड़ाव अइछ, जे कुल १५ विश्राम स्थल छै। विश्राम स्थलसभक पौराणिक आ धार्मिक महत्व कारण भक्तजनसभमे विशेष आस्था देखल जाइत अइछ। मिथिला महात्म्य अनुसार १८म् शताब्दीसँ एहि धर्मयात्राकेँ माध्यमिकी परिक्रमा नाम देल गेल। ई यात्रा करएबला श्रद्धालु १३३ किलोमीटर पैदल यात्रा करैत छैथ, जाहिमे नेपालक १०७ आ भारतक २६ किलोमीटर पड़ैत अइछ। यात्रीसभ विश्वास करैत छैथ जे भगवान राम आ माता सीता स्वयं एहि यात्रा करैत छैथ।
मृत्यु उपरांत स्वर्ग प्राप्ति होएबाक मान्यता अइछ, ई बात जलेश्वर नगरपालिका-५के संस्कृतिविद ध्रुव राय कहलैथ। प्रत्येक वर्ष फागुन शुक्ल प्रतिपदासँ आरम्भ होइत ई यात्रा फागुन पूर्णिमा दिन जनकपुर पहुँच होली खेलबाक उपरांत समापन होइत अइछ। सीताक जन्मभूमि जनकपुरधाम प्राचीन मिथिला राज्यके अंग अइछ। किंवदंती अनुसार, मिथिलाक राजा जनक चारू दिश बनल कलाणेश्वर, जलेश्वर, क्षीरेश्वर आ सप्तेश्वर शिवालयकेँ आधार माइन परिक्रमा यात्राके परम्परा प्रारम्भ कएने छलैथ। परिक्रमा यात्राक पड़ाव मिथिला नगरपालिकाक कचुरी गाम स्थित मिथिला बिहारीक कुटीसँ भगवान रामचन्द्र आ माता सीताक डोला (पालकी) सङे परिक्रमा यात्रा धार्मिक विधिपूर्वक प्रारम्भ होइत अइछ।
हजारो यात्री, साधु-संत, महात्मे आ भक्तजनसभ धार्मिक झाँकी आ भजन-कीर्तन सङ एहि यात्रामे सहभागी होइत छैथ। परिक्रमा यात्राक पहिल पड़ाव भारतक कलाणेश्वर गाम अइछ, जत भक्तजन भजन-कीर्तन करैत भगवानक डोलाक चारू दिश राइत बिताबैत छैथ। दोसर दिन भारतीय सीमावर्ती गाम गिरिजास्थान पहुँच जाइत छै। तेसर पड़ाव नेपालक मटिहानी अइछ, जत माता सीताक विआहक समय मटकोर विधि भेल छल, ओकरे स्मरणमे ई यात्रा विश्राम करैत अइछ। चारिम् पड़ाव – जलेश्वर, महोत्तरी, पाँचम् पड़ाव मडैगाम, महोत्तरी, छठम् पड़ाव – ध्रुवकुंड, बलवा, सातम् पड़ाव – कंचनवन, भंगहा, आठम् पड़ाव– पर्वता, धनुषा, नवम पड़ाव – धनुषाधाम, धनुषा, दशम् पड़ाव सतोषरधाम, धनुषा एगारहम पड़ाव – औरही, धनुषा, बारहम् पड़ाव – करुणा, भारत, तेरहम् पड़ाव – विशौला, भारत, अन्तिम पड़ाव – जनकपुरधाम, जत होली खेल क यात्रा सम्पन्न होइत अइछ।
आर्थिक आ सांस्कृतिक प्रभाव जलेश्वर उद्योग वाणिज्य संघक अध्यक्ष शिवचंद्र चौधरी अनुसार, एहि यात्राक क्रममे नेपाल आ भारतक १५ पड़ाव स्थलसभमे मेला लागैत अइछ, जाहिमे लाखों रूपैयाक कारोबार होइत छै। खाद्यान्न, गृहस्थी सामग्री, मनोरंजन आ अन्य व्यापार क्षेत्रसभमे उल्लेखनीय गतिविधि देखल जाइत अइछ। ई १५ फागुनसँ प्रारम्भ भेल ई १५ दिवसीय परिक्रमा २९ फागुनकेँ समाप्त होएत।

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