
महोत्तरी, ११ चैत : अधिकांश फलफूल एक सालके बाद दोसर साल कम फड़तै अइछ । किछ गाछी तँ मजरबो नै करैत छै । एना दोसर वर्ष नै फूलाइबला यामकेँ अङ्ग्रेजीमे ‘अफइयर’ कहल जाइत अइछ ।
एहि साल आँमके लेल अफइयर छै, मुदा अफइयरके प्रभाव पुराने गाछमे मात्र देखाएल अइछ । पाँच/छ वर्षके आँमके गाछी मज्जासँ मजरल अइछ । भङ्गाहा–४ रामनगरके शान्तिदेवी साहके फुलबाइरमे आँमके गाछसभ मजरसँ झापल अइछ। फूलबाइरके पुरान गाछीमे मजर नहियो फूलाएल छै मुदा नयाँ गाछमे पात्तो नै देखा रहलासँ साह आँम फड़बाक आशमे छैथ ।
“एहि साल अगलबगल आँम गाछीसभ खासै मजरल नै अइछ मुदा हमरामे तँ मजरसँ पात्तो नै देखा रहल छै”, साह कहलैन, “ई फूल २५ प्रतिशत मात्र रहतै तँ नयाँ गाछी फलके सम्हाइर नै सकतै ।” साह तँ जकाँ जिलाके सब क्षेत्रमे एहि साल पुरान गाछीमे फुल कमे फुलाएल अइछ ।
जिलाके गौशाला, बर्दिवास, मटिहानी, पिपरा आ मनराशिशवासहितके स्थानीय तह आँम उत्पादनके लेल उर्बर क्षेत्र मानल जाइ छै । सब ठाँम पुरान गाछीमे अफइयरके असर भेलोपर सेहो नयाँ गाछी मजैर रहल गौशाला–१० क अरुण कुशवाहा बतौलैन । “पुरना गाछीमे तँ केमे फूलल छै, मुदा नयाँ गाछीमे बढियासँ मजरल छै”, ओ कहलैन ।
एहि साल आँमकेँ प्रतिकूल मौसम रहल किसान कहैत छैथ । बिना पाइनके हिमयाम चइल जाएब सबसँ पैघ समस्या छी । वितल साल बढ़िया फड़ल आँम एहि साल कम फुलाएल फलफूल विज्ञसभ कहै छैथ । “ई प्राकृतिक प्रक्रिया छी, जे अन्य फल-फूलमे सेहो होइ छै, मुदा आँम आ लुच्चीमे ई बेसी देखाइछै,” भूतपूर्व बागवानी विशेषज्ञ रामबहादुर भुजेल कहलैन। “खासक स्थानीय जातिक पुरान बृक्षसभमे ई असर होइ छै।” अफइयर प्रायः तेसर बरख होइछ, ओ कहलैन। पछिला दू बरख आँम खूब फड़ैत छल।
बर्दिवास-९ पशुपतिनगरक किसान रामविनोद महतो एहि बरख आँमक बृक्ष फूलसँ भरलसँ प्रसन्न छैथ। आब जँ चैत-वैशाखमे पत्थर आ आँधीसँ बँइच जाए तँ बढ़िया आम्दनी हएत, महतो आश व्यक्त कएलैन।
जाहि तरहेँ अनाज आ अन्य फसल बदैल बदलिकए खेती कएल जाइछ, ओहिना १०-१५ बरख क बाद नव फल-बृक्ष सेहो लगाएब जरूरी होइ छै, भुजेल बतौलैन। कम फूलल आँममे मधुवा (मज्जरपर लागएवला डढुवा रोग) बढ़ल अइछ। किसानसभ कहैत छैथ जे पाइन नै भेलाक कारणेँ मधुवाक प्रकोप बइढ़ गेल अइछ। जखने जिलामे पुरान बृक्ष नव बृक्षसभसँ बेसी अइछ, तखने आँम उत्पादनपर असर पइड़ रहल अइछ।
“हिउँदमे पाइन नै भेलाक कारणेँ आँम, लिची आ कटहरमे फूल नै फुललाए छै। आब जे आँम मजरल छै ताहिपर मधुवाके प्रकोप सेहो बेसी भ रहल छै,” औरही-७ क ७० वर्षीय मोहन महतो कहलैन। “जँ नीक वर्षा भ जाए तँ बृक्षके पात आ डाइर पखारल जाएत आ जैरमे नीक हाल रहल, तखन आन रोगसभ कम हएत।”
पछिला एक दशकमे जिलामे फलफूल खेती बइढ़ रहल अइछ। कृषि कार्य लेल जनशक्ति भेटब कठीन भेलाक कारणेँ किसानसभ फलफूल खेतीक दायरा बढ़ओने छैथ। दस बरख पूर्व पाँच हजार हेक्टरसँ कम क्षेत्रफलमे खेती होइत छल, मुदा आब ओ दश हजार हेक्टर पार कएने अइछ, कृषि ज्ञान केन्द्रक प्रसार अधिकृत राजकिशोर यादव बतौलैन।
महोत्तरी आँम उत्पादन करएबला जिलामे अग्रणी अइछ। मधेशके मुख्य फल आ ‘फलके राजा’ कहल जाएबला आँम कम मजरल अइछ, एहिसँ एहि साल आँमके दाम बेसी रहबाक अनुमान अइछ।
रासस