
. नित्यानन्द मण्डल
जीवनभरि शोककेँ शक्तिमे बदलनिहार हमर आदरणीय आ अपने श्रेष्ठ आ जेष्ठलोकनिक प्रिय अशोक दत्तक आइ जन्मदिन छनि । तैं सभसँ पहिने जन्मदिनक अशेष शुभकामना भाइजी । तैं मिथिलाक धरती सेहो हर्षसँ विभोर अछि । हमरालोकनि सहजे पुलकित छी । एहनासन अवस्थामे सोहर आ बधाइक धुम स्वाभाविके । कहबामे कोनो भाङ्गठ नहि जे अशोक भाइजी सेहो मिथिलाक धरापुत्र, कर्मयोगी आ ज्ञानसाधक छथि । ज्ञाते अछि जे एहिवीच हुनक उपचार काठमाण्डुमे भ रहल छनि आ नित्यहुँ क्रमिक स्वास्थ्यमे सुधार आबिरहल समाद सुनि आओर ऊर्जास्वित होइत रहैत छी । साहए त कहल अपने लोकनिक दुआ दवाईक काज करतैक आ क रहल अछि । तैं एकबेर हुनकाप्रति स्नेहाशिषक दुर्वाक्षतक बरसात करिओनि जाहिसँ जीवनक किआरिमे फेरसँ आशा आ भरोसाक नवनुतन पल्लव पुष्पित होइ आ हमरालोकनि हिनक सृजन संसारमे विचरण आ सृजनकेँ रसास्वादन करी ।
मोन होइए जे एकबेर हिनक सृजनजीवनकेँ उराही मुदा शब्द सार्मथ्य नहि भेटि रहल अछि, तैं आकार नहि लऽ रहल अछि आ बकार नहि फुटि रहल छी । मुदा से की जन्मदिन छनि तऽ छोट भाय छियैक तऽ जे कहिदेबनि से हुनका सदर करय पडतनि । दायाँ बायाँ औंठा छाप लगाबय पडतनि हमर लिखल ई फेसबुकिआ बसहा कागजमे आ की नहि भाइजी ?
असलमे एकटा अशोक कतेक बरगुन्ना छथि से हम की कहुँ ई त समाज आ समयक जीह आ ठोर पर छैक । सभसँ पहिने सुरुआत करैत छी जीवनक आरम्भकालहिँक गप्पसँ । ओ जनकपुरक नामी क्रिकेट खेलाडी छलाह, ख्यातिप्राप्त बलेंबाज । ओहिकालक मिडियामे हिनका कपिलदेवक उपाधिसँ सम्बोधित कएल जाइत छलनि । हिनकाबारेमे जनकपुरक स्थापित आदरणीय क्रिक्रेटर नवीन सिंह कहैत छथि जे एकबेर भारतीय सीमाक्षेत्रमे आयोजित टुर्नामेन्टमे अशोक अपन माथ पर बलके रगडैत आ पटकिते आ रेफ्रीसँगे अँग्रेजीमे बतिआइते बतिआइते बलके पचका देलकनि । ओ कहाँदन डिज बाँल की रहनि जाहिसँ ओ सभ खेलाय नहि चाहैत छलाह । वाहए त ओहि समयमे जनकपुरक खेल परिसरक शान छलथि अशोक भाइजी ।
आब बात करैत छी, प्रजातन्त्र पूनस्र्थापना पश्चात् जनकपुर क्षेत्रमे क्लब कल्चरक । ओ रामानन्द यूवाकल्बक संस्थापकमध्य एकहोइतहि क्लबक आरम्भकालक एकटा सुपरिचित अध्यक्ष रहथि । ओहिसमयमे अधिकांश क्लब चाहे ओ रामयुवा कमिटी, महावीर युवा कमिटी आ की बजरंग युवा क्लब किएक नहि होइक सभके विधान लेखन कार्यमे ओ अपन महत्वपूर्ण योगदान देलनि ।
हमरा मोन अछि जनकपुरधाम नगरपालिकाक मेयरमे जाहिसमयमे बृषेशचन्द्रलाल छलाह, तहिआ ओ यूवासभके सङ्गोर करबामे काफी मिहिनेत कएने छलाह । हिनका समयमे जनकपुरक तिरहुतिया गाछीमे तिरहुत रनिङ्ग शिल्ड प्रतियोगिता होइत छलैक । विभिन्न विधामे सम्मान आ पुरस्कार देल जाइत छलैक । एक बेर हम गामसँ आएल रही, ई कार्यक्रम देखबाकबास्ते बहुत बेसी पुरस्कार आ प्रथम पुरस्कार सेहो हमरा लगैए पिअर कलरक कोर्ट पाइन्ट पहिरने नमगर पोरगर करिआ युवा शिल्ड आ कप हथिओने रहथि । ओ तऽ वाहए अशोक भाइजी रहथि जे राामानन्द यूवा क्लबक अध्यक्ष रहथि । ओ डर्मसेट, कँगो,बँगो सेहो बहुत नीक बजबैत छलाह । हथौटी नीक आ फरिच्छाअएल छलनि ।
सङ्गीतक दोसर महत्वपूर्ण विशेषता देखल जाए । कोहबर आ घरआङ्गनमे घुरिआएल मैथिली गीति संसारक फलक विस्तार करबामे बहुत बेसी योगदान छनि से डंकाक चोट पर कहल जा सकैत अछि । ५०क दशके आरम्भहिँमे नेपाली भाषामे सुनिल मल्लिक, आभास लाभभाइजी, प्रवेशजीक चरिआक मुटु भरि माया बहार कएलनि, हमरा जनैत नेपाली भाषामे साङ्गीतिक सनेश मधेशीसभद्वारा आनल गेल पहिल क्यासेट भऽ सकैए । हुनके लोकनिक सक्रियतामे मिथि समुहसँ छौडा तोरा बज्जर खसतौं गीत जे मैथिली आधुनिक गीत संसारक टर्निग प्वाइन्ट आ मिलक पाथरक सावित भेल । तकरबाद गीत घर घरके, मैय्या भवानी विन्ती सुनू हमर, मुँह मिसरी बोल करैला, परिच्छनसँ समदाउन सहितक दर्जनौं क्यासेटमे अपन शब्दसँ सजोअलनि ओ । कुर्ता आ पैजामा पहिरने आ काँखतर एकटा कपडाबाला बैंग लटकौने ओ क्यासेटसभ लऽ कऽ विमोचन आ सार्वजनिक कार्यक्रमसभ लऽ कऽ जनकचोकपर अलिक क्यासेट दोकानमे अभरैत छलाह ।
क्यासेटसभक अतिरिक्त ओ संघर्षक पथ पर आ रागतान नामक अपन गीति काव्य रचनाक संग्रह बहार क चुकल छथि जेकरा अपनेलोकनि बेस सराहलियनि । हिनक शब्दक जादुटोना किनका नहि मोहित करैत हएतनि । जीवनक कटु यर्थाथकेँ अपन कलमक मादे नित्यहुँ बहार करब आ जीवन आ जगतप्रति परिवर्तनकामी आकांक्ष्ीक रुपमे अपनाके मजबुतीक संग ढाड करब हिनक मौलिक शैल्पिक विशेषता छनि ।
कनेक दिन ओ मधेश शहिदसभक जीवनी आ राजनीति सम्बन्धमे जनकपुर एक्सप्रेस आ टुडेमे सेहो कलम चलौलनि । ६०क दशकमे जनकपुरमे रेडियोक बहार अएलाक बाद ओ जानकी एफएमक कमान सम्हारलनि । रेडियो प्रस्तोतासँ लऽ कऽ स्टेशनमैनेजरधरिक यात्रा तय कएलनि । एहिँ तरहेँ एकोराबके मधेश प्रदेशक संयोजक रुपमे सेहो निर्वाचित भेलाह ।
मैथिली कविताक जीवनता–सजीवता प्रदान करबाक लेल रोशन जनकपुरीक अभिभावकत्व आ मिनापक संयोजकत्वमे २५म् खेपधरि कविगोष्ठीक आयोजन करएबामे सेहो हिनक योगदानकेँ विसरल नहि जा सकैए जाहिमे एकसँ एक कवि लोकनिक गढबाक काज मात्र नहि भेल हिनका लोकनिक जीवनदृष्टि सेहो फरिच्छ कएलगेलनि । कविता पर समिक्षा कोना कएल जाए, कोना गढबाक चाही ? शिल्प आ वैचारिकी की छै ? आदि काव्यक तमाम अव्यव पर चर्चपरिचर्च सभ ओ सभ आइके दिनमे माजल कवि समिक्षक रुपमे मैथिली संसारमे स्थापित छथि ।
सम्प्रति मधेश प्रदेश सरकारक चलचित्र विकासबोर्डक कार्यवाह अध्यक्षक रुपमे चयनित छथि । नेपाल पत्रकार महासंघक सदस्य रहथि । मैथिली विकास कोषद्धारा आयोजित जनकपुर साहित्यकला उत्सव आ अन्तर्राष्टिय नाट्य महोत्सव २०८० हिनक पच्छिलाबेरक सार्वजनिक मञ्च छलनि जाहिमे प्रशंसाक मोटा बान्हि लेलनि मोडरेटरक रुपमे वक्ता पर भारी छलाहे सहजकर्ता ।
दशमीमे हमर गाम बहुअर्वामे आयोजित झिझिया नृत्य प्रतियोगितामे ओ प्रमुख आतिथ्यक ग्रहण कय सहभागी प्रतियोगी आ ग्रामिण लोकनि मन जित नेने छलाह । गमैआ लोकक विशाल सहभागित छल जाहिमे मिनापक मदन भैया सेहो अपन बानगी देखौने छलाह, लोक हँसैत हँसैत लोटपोट भऽ गेल छलाह । आइयो हमर ग्रामिण लोकनि खूब स्मरण करैत छनि । सभ तऽ सभ हमर भातिज अमेन्द्र कहैत छल जे अशोक काकासंगे हमरा बतिआमे खूब नीक लगैए, लोकजीवनक बात करैत छथि, श्रमक राग अलापैत छथि ।
माय हमर कहैत छथिन्ह जे तों नहि लजएबे त हम अपने अशोक बौआके भेटि ला टेम्पु पकरिक चलि जएबो, ओ हमरा ठौरठिकान अपन घरक देने हय आ कहने हय जे सङ्कटमोचन मन्दिरक पाँछा हमर घर हयसे । ओहिठाम उतरिक ककरो पुछबै त हुनका घरधरि पहुँचा देत से कहने रहथि ।
जनकपुर बृहत्तर क्षेत्र विकास परिषद्द्वारा आयोजित मिथिला महोत्सवक सदस्यसचिवक जिम्मेवारी सेहो मनोयोग्यपूर्वक निर्वहन कएने छलाह ओ महोत्सव सेहो लोकमन मष्तिष्कमे अमिट छाप छोडने अछि जाहिमे हिनक योगदानक चर्च कएने बिनु असम्भव प्रायः अछि । ओ काठमाण्डुमे प्रज्ञा प्रतिष्ठानद्वारा आयोजित नाट्य महोत्सवमे आकृति संस्थाद्वारा प्रस्तुत डा.राजेन्द्र विमललिखित खाली हाथ नामक नाटकमे पागल पत्रकारक भूमिकामे प्रभावोत्पादक भूमिका निर्वाह कएने छलाह ।
सायह त सङ्घर्ष, साधना आ समपर्णक परिणति थिक जे एकटा नामी क्रिकेटर, कुशल बाद्यबादक, बहुचर्चित गीतकार, प्रखर वक्ता, कथा, नाटक आ लघु फिल्म, डकुमेण्ट्रीक स्क्रीप्ट राइटरक रुपमे हिनक नाम सस्नेह आ आदरकसँग लेल जाइत छनि ।
तैं कालक क्रुर हाथसँ अपन गट्टा छोडएबाक लेल जीवठ्ता निर्भयतासँग लडि रहल अशोक भाइजीक लेल अपने सम्पूर्ण मनकारी हृदय आ हाथक आवश्यक्ता अछि । एहनमे सँग नहि रहबनि त केहनमे रहब ? नहि किछु तऽ मोनसँ भगवानसँ अक्षय औरदाक कामना तऽ कए सकैत छियनि । जीवनभरि तऽ ओ कि कमोलनि वा की गमौलनि से सभके सोँझा अछिए । केवल नामे तऽ कमौलनि । मधेश गान, आन्दोलनकारी गीत, नगरपालिकासभक गान आ फ्रिमे अभिनन्दनपत्र सभसेहो लिखलनि मगर सदा ब्याक बेँचरक रुपमे हमरासंग रहलथि ।
आँतर बहुत लम्बा भऽ रहल अछि । बात बहुत छिडिआ गेल अछि, लगैए भहरि रहल अइ । लोक उविआ जएतनि तैं अपन भाभट समटैत छी । अन्त्यमे गोर लगैत छी,हाथ कहिया लगबै? जाइत जाइत अपनेद्वारा लिखल ई गीत परसैत । एहिना मैथिलीक पञ्चम पतक्कखा फहरबैत रहु आ मैथिलीक अलख जगबैत रहु । गर्दनमे सिक्री आ वदनपर सेण्ट कहिओ ने छुटए से कामनासँग शिघ्र स्वास्थ्यलाभक कामनासंगहि फेरसँ जन्मदिनक अनन्त शुभकामना अशोक भाइजी ।
मुस्की ठोर सजा सकी पैगपर पैग पीबै छी
दवाइ दारु भेल जिनगीक तेँ दारु पीबै छी
पीबाक सख ने आ ने पियब अभिष्ट हमर
चुस्कीमे ताकी मुस्की सदति तँए हम पीबै छी
नित्यानन्दक खोजीमे हम मधुशाला अबै छी
दर्दसँ यारी छुटे ताहि ला मित्र संग पीबै छी
दर्दक आङनमे धकिया क चाहे जते हँसू
केओ खुशी केओ शान्ति पीबे दारु हम पीबै छी
किछ त छैक जरुर जे मन हल्लुक हुअए
कते ढोअब बोझ छोरु ने चलू संग पीबै छी
(फेसबुकक मादे अभिव्यक्त भावना)