
नारीक शरीर आ मन पुरुषस’ अपेक्षाकृत कोमल आ संवेदनशील मानल जाइत अइछ । महिलाक शरीरमे हार्मोनक उतार–चढ़ाव सिधा ओकर शरीर, मन आ सोच पर असर करैत अइछ । घर–परिवारक जिमेवारीमे तन–मन सऽ समर्पित रहैत छइथ । एहेन परिस्थितिमे प्राचीन ऋषि–मुनि ऐहन साधन बनौलनि, जे नारीक मानसिक आ शारीरिक स्वास्थ्यकेँ सुरक्षित राइख सकए । समय बितलाक संग–संग ई साधन गहना केर रूप मे बदइल गेल आ विधिपूर्वक पहिरल जाए लागल ।
सोना शरीरमे गर्मी, आ चाँदी ठंढक असर दैत अइछ । अइ लेल कहलगेल अइछ जे कमर सँ ऊपर सोना, आ कमर सँ नीचाँ चाँदीक गहना पहिरबाक चाही । ई शरीरमे तापमानक संतुलन बनबैत अइछ ।
१. चूड़ी पहिरबाक लाभ
चूडी गट्टा पर घर्षण दैत अइछ, जइसे रक्तसंचार तेज होइत अइछ । ई घर्षण ऊर्जा दैत अइछ, जे थकान केँ जल्दी हावी नइँ होबय दैत अइछ । ई साँस आ हृदय रोग के संभावना केँ घटबैत अइछ ।
चूड़ी मानसिक संतुलन रखबा मे सहायक अइछ । चटकल वा टूटल चूड़ी नइँ पहिरबाक चाही–ई नकारात्मक ऊर्जा बढ़बैत अइछ । लाल आ हरियर रंगक चूड़ी सबसँ शुभ आ असरदार मानल जाइत अइछ ।
२. बिछिया पहिरबाक लाभ
विवाहित महिला तीनटा बीचक औँगुरीमे बिछिया पहिरैत छइथ । ई हार्मोन प्रणालीकेँ संतुलित करैत अइछ । थाइरॉइडक रोग सँ बचाव करैत अइछ । ई एक्यूप्रेशरक आधार पर काज करैत अइछ – नस आ मांसपेशीकेँ मजबूत बनेबाक काज करैत अइछ । गर्भाशय मे रक्तसंचार सुधारैत अइछ, जे गर्भधारण क्षमताकेँ मजबूत करैत अइछ । माछी–जकाँ बनल बिछिया (बीचमे गोल, दूनू दिस नोकदार) बेसी असरदार मानल जाइत अइछ ।
३. पायल पहिरबाक लाभ
चाँदीक पायल शरीरक विद्युत ऊर्जाकेँ सँचित करैत अइछ । पेट आ निचला हिस्सा मे फैटक जमावकेँ रोकैत अइछ । पायलक छनक नकारात्मक ऊर्जाकेँ दूर करैत अइछ (वास्तुक अनुसार)। पायल घर्षणस’ पैरेक हड्डी मजबूत होइत अइछ । ई महिलाकेँ इच्छा शक्ति मजबूत बनेबाक मदत करैत अइछ । चाँदीक पायल पहिरल उचित अइछ, सोनाके पायल शरीरक गर्मी असंतुलित क’ सकैत अइछ ।
४. औंठी पहिरबाक लाभ
औठी ऊर्जा विकास, मानसिक तनाव कम, आ जनेंद्रिय पर नियंत्रण रखबाक मदद करैत अइछ । ई कामवासना पर नियंत्रण आ पाचन शक्ति बढ़ेबा मे सहायक होइत अइछ । भिन्न–भिन्न धातु आ रत्नके औंठीके शरीर पर अलग–अलग असर होइत अइछ ।
५.कानक बालीके लाभ
भारतीय परंपरामे कान छेदनके विशेष महत्व अइछ । डॉक्टर आ दर्शनशास्त्र अनुसार, ई बुद्धि, सोच आ निर्णय शक्ति बढ़बैत अइछ । वाणी पर संयम रखैत अछि, उच्छृंखलता पर नियंत्रण करैत अइछ ।
कर्णनलिका साफ–सुथरा रहैत अइछ । पाश्चात्य देशसभ मे सेहो ई फैशन रूप मे मान्य भ’ गेल अइछ ।
६. करधनी (डढकस) पहिरबाक लाभ
ई मूलाधार चक्र केँ जागृत करैत अइछ । किडनी आ मूत्राशय केर कार्यक्षमता बढ़बैत अइछ । कमरक दर्द मे राहत दैत अइछ ।
(सामाजिक सञ्जालसँ प्राप्त सामग्री, हिन्दीस’ मैथिली अनुवाद)