
काठमाण्डू, २३ बैसाखः प्रत्येक वर्ष बैसाख शुक्ल नवमीक दिन मनाएल जाएबला राष्ट्रीय विभूति सीता उत्पत्ति दिवस आ जयन्ती आजुक दिन श्रद्धा आ भक्तिपूर्वक पूजा आराधना कएल जा रहल अइछ।
त्रेतायुगमे मिथिलाक राजा जनकद्वारा विधिपूर्वक यज्ञ क हर जोतबाक क्रममे सीताक उत्पत्ति भेल छल ये रामायण सहित वैदिक दर्शन, धर्मग्रंथ आ पुराणसभमे वर्णित अइछ। भगवान् विष्णुक छैठम् अवतारस्वरूप अयोध्याक राजा दशरथक पुत्र श्रीरामक जन्म होएवला रहलापर लक्ष्मी सीताक रूपमे उत्पन्न भेल छलीह, एहेन वर्णन विभिन्न ग्रंथसभमे भेटैत अइछ, ई जानकारी धर्मशास्त्रविद् प्रा. डा. रामचन्द्र गौतम राससके देलैन।
सीताके सत्यवती,पतिव्रता आ आदर्श नारीक रूपमे सम्मान देल जाइत अइछ। अयोध्याक राजा दशरथक पुत्र राज कुमार रामसँ सीताक विआह भेल छल। पिताक आदेश माइन राम वनवास गेल तँ सीता सेहो सङ गेल। रावणद्वारा हरण कएल गेलाक बादो सीताक पतिव्रता धर्म पुराणसभमे वर्णित अइछ, गौतम कहलैन।
रावण आ राक्षससभपर विजय प्राप्ति क अयोध्या वापस आएलाक बाद जनआलोचनासँ राजा रामके असहजता नै होइ से सोच सीता गर्भिणी अवस्थामे महारानीक पद त्यागि क वनमे गेल, एहि कारणे हुनका आदर्श नारीक रूपमे स्मरण कएल जाएत अइछ, गौतम कहलैन।
अयोध्या त्यागि देलाक बादो सीता मन, वचन आ कर्मसँ पति रामक प्रति समर्पित रहल छलीह। लव आ कुश दुइ पुत्रके वाल्मीकि आश्रममे रखिकय शिक्षा दीक्षा सिखा क अयोध्या पठेलक। सीताक एहि भूमिकासँ समस्त नारीसभक सम्मान बढ़ल अइछ। अयोध्या आएल लव–कुश रामायणक कथा गा क सुनौलक आ सीताक निर्दोष होइतो वनमे रहबाक करुण कथा जनताके सुनौलैन। जनताद्वारा उठाएल गेल मांगक आधारपर सीता ऋषि वाल्मीकि सहित दरबार बोलाएल गेल छलीह।
दरबार आएलाक बाद बहुत अयोध्यावासी हुनकर स्वागत कएलैन, मुदा किछुसभ हुनकर पवित्रतापर प्रश्न उठेलैन। ताहिपर सीता कहलैन “हम पवित्र छी त हे धरती माता, अपने हमरा कोइखमे स्थान दिअ”। एहि आह्वानक सङ ओ पृथ्वीके भितर जमीनमे प्रवेश कएलक । बादमे प्रश्न उठाबैवला प्रजाके पश्चाताप भेल आ क्षमा मँगलक, मुदा सीता धरतीक कोइख समाए गेल। एहन प्रसंग रामायण आ अन्य धर्मग्रंथसभमे उल्लेखित अइछ। जाहिसँ माटिसँ उत्पन्न भेल सीता फेर माइटमे लीन भ गेल।
सीता उत्पत्ति भेल आजुक दिन सीता जयन्तीक रूपमे देशभैर रामजानकी मन्दिरसभमे विशेष पूजा आराधनाक सङ ई पावैन मनाएल जइत अइछ। जनकपुरक रामजानकी मन्दिरमे विशेष पूजाक सङ मेला सेहो लागैत अइछ। सांस्कृतिक, धार्मिक आ प्राचीन ग्रंथसभक पात्र सीताक योगदानके स्मरण करैत सरकारद्वारा हुनका राष्ट्रीय विभूतिक रूपमे सम्मान देल गेल अइछ।
एहि अवसरमे आइ बत्तीसपुतली स्थित श्रीरामचन्द्र मन्दिर परिसरमे सीताक मूर्तिपर विशेष पूजा आराधनाक सङ भक्तिसङ्गीत आ प्रवचन कार्यक्रम आयोजन कएल जाएत, मन्दिर व्यवस्थापन समितिक अध्यक्ष डा. गोविन्द टन्डन जानकारी देलैन। ओहि सङे गोकर्णेश्वर नगरपालिका–२ भूमिस्थलीस्थित रामजानकी मन्दिरमे सेहो विशेष कार्यक्रम आयोजित कएल गेल अइछ। रासस