एकरा पाछू ऊ (खिस्सा)


प्रा‍. डा.मेश्वर कापरी

एगो कुत्ता रहए। ओकरे सङे एगो बिलाइ रहए। ऐ दुनूके जौरे एगो मूसो रहए। ओइ तीनूमे दोस-महिमी रहै। तीनू मेधा-मिलिनस’ रहैत आएल रहए।

एकदिन कुत्ता चलल तिरीथ धाम कर’ लेल। ओत’ कुत्ताके ढेरदिन लाग’बला रहै। तै दुआरे ओकरा जे-जत्ते कागज-पतर रहैक, से सब ल’ जाक’ बिलाइके जिम्मा लगा, निश्चिन्त भ’ चलि गेल।

बिलाइ, कुत्ताके सबटा कागजके जुगताक’ अमंच रखने रहए।

एकदिन बिलाइयोके गाम-गमैत जे जाएके भेलैक त’ उहो ओकर सबटा कागज-पतर जुगताक’ राख’ लेल, लेने-लेने द’ आएल। कागज सबके मूस अपन बिल्लीमे एगो कोनामे राखि देलक।

जाढ़के महिना रहै। से मूसके जनमल खंजखोरहसब ओकरा पाल-पालक’ पएलक। उसब ओहि कागज पत्तरसबके ओढना बिछौनाक’ धुमसाही कर’लागल। मूस जाइत, जखैन-जखैन भूख लगै, तखैन-तखैन ओहि कागज सबके कतैर-कुतैर क’ खएबो खेलएबो करए।
किछु दिनके बाद जे कुत्ता घुमि-फिरीक’ जे आएल त’ बिलाइस’ अपन कागज-पतर मङलक।

ऐ बातपर बिलाइ कुत्ताके कहलक जे उ त’ हम मूसके धर’ ला देने छिऐ। चलू ओकरा ल’, ओकरास’ अखैनते मङा दैछी।
जखैन उ दुनू जे मूस लग गेल आ अपन कागज-पतरके दुरदसा देखलक त’ पित्ते आन्हर भ’ लागल बिलाइके चौतार’!
मूसके ओकर करनीके दंड दिअ’ ला बिलाइयो लागल मूसके खिहार।

ऐ खेहट्ठास’ जान-परान अबगरहमे पड़ल मूस भगबो करए आ मने मन छगुनएबो करए, आहि रे बा! ई सब हमरा खिहारैए किए?!
तहिएस’ आइधरि कुत्ता, बिलाइके आ बिलाइ, मूसके देखिते ओकरा पच्छा दौड़’ लगैए। Pic. Ai

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