काठमाण्डू, १८ भादबः सगरमाथा नेपालकेँ विश्वमे चिन्हाबैबला सबसँ बड़का हिमाल अइछ । नेपालक पर्यटनमे सबसाँ महत्त्वपूर्ण योगदान देने सगरमाथा हमरासभके लेल धार्मिक, पर्यटन आ आर्थिक हिसाबसँ विशेष अइछ ।
मुदा, बितल समयमे पर्यटक आ आरोहीसभक भिडके कारण सगरमाथामे कुड़ाकचरा बढ़लासँ समस्या भ रहल अइछ । जे वातावरणीय सन्तुलन आ हिमाली पारिस्थितिकीय प्रणालीमे सेहो गम्भीर चुनौती बनल छै ।
हिमालकेँ जलवायु परिवर्तनके प्रभावसँ बचेबाक उद्देश्यके सङे सगरमाथामे भेल कुड़ाकचरा सफा करबाक लेल ड्रोन प्रविधिके प्रयोग कएल गेल अइछ । विद्युतीय सवारी बिवाइडीके नेपालक लेल आधिकारिक बिक्रेता साइमक्स इंक, नेपालके ड्रोन कम्पनी एयरलिफ्ट टेक्नोलोजीके समवंयमे ड्रोनमार्फत कुड़ाकचरा जमा क रहल जनौने अइछ ।
साइमक्स इङ्कके अनुसार कम्पनी, सगरमाथा क्षेत्रसँ एक हजार किलो कुड़ाकचरा जमा करबाक लक्ष्यसँ काज क रहल अइछ । बिवाइडी विश्वव्यापी रुपमे ‘कूल द अर्थ वाइ वान डिग्री’ नाराके सङ जलवायु परिवर्तन विरुद्ध सुरु कएने अभियानअन्तर्गत सगरमाथा क्षेत्रमे कुड़ाकचरा जमा करबाक अभियान चलौनै अइछ । अभियान स्वच्छ ऊर्जाके प्रवद्र्धन आ शून्य कार्बन उत्सर्जनमार्फत पृथ्वीके तापक्रम वृद्धिकेँ नियन्त्रण करबाक उद्देश्यसँ विश्वव्यापी रुपमे सुरु कएल आ साइमेक्स इंकके प्रमुख कार्यकारी अधिकृत (सिइओ) साहिल श्रेष्ठ हमसभ सामाजिक उत्तरदायित्वअन्तर्गत आर्थिक आ प्राविधिक रुपमे अइ अभियानमे जुड़ल बतौलैन ।
हमसभ सगरमाथाकेँ संरक्षण आ जलवायु परिवर्तनके न्यूनीकरणक लेल सहयोग होए तइ उद्देश्यसँ अभियान सुरु केलाैँ से हुनक कबह छलैन । ओ कहलैन, “सगरमाथा अपनसभक राष्ट्रिय गौरव अइछ, एकर संरक्षणमे प्रविधिके उपयोग करैत सकारात्मक प्रभावक लेल हमसभ क्रियाशील छी, हमसभ दीर्घकालीन विकास आ स्वच्छ वातावरणके पक्षमे छी आ ई अभियान ओकरे निरन्तरता अइछ ।”
एयरलिफ्ट टेक्नोलोजीके निर्देशक मिलन पाण्डेके अनुसार कुड़ाकचरा जमा करबाक लेल प्रयोग होएबला ड्रोनसभ १५ मिटर प्रतिसेकेन्डके गति आ १५ डिग्री सेल्सियसके ठन्डामे काज करैत अइछ । अइसँ सगरमाथा क्षेत्रमे सफाइके लेल खतराके कम क काज करबाक अपेक्षा कएल गेल अइछ ।
निर्देशक पाण्डेके अनुसार सगरमाथाके उपरका भागमे भेल कुड़ाकचरा साफ करबाक लेल ६ सँ ७ घण्टा समय लागैत छल । मुदा, आब प्रविधिके प्रयोगसँ एकसँ दू मिनेटमे काज सम्पन्न होइत अइछ । “बितल साल खुम्बु आइफसलमे कुड़ाकचरा जमा करैत काल ‘रोप फिक्सिङ’ आ सामान ढुवानी बेरमे लोकसभके मृत्यु भेल छल । मुदा, अखन प्रविधिके प्रयोगसँ कुड़ाकचरा लगायतक सामान ढुवानी सहज भेल आ लोकसभके जान सेहो बचल छै”, ओ कहलैन । हुनका अनुसार सगरमाथाके छ हजार एक सओ ३० मिटरके उचाइमे जमा भेल कुड़ाकचरा ड्रोनक प्रयोगसँ आधार शिविरधैर आइन रहल अइछ ।
सगरमाथा प्रदूषण नियन्त्रण समिति आ खुम्बु पासाङल्हामु गाउँपालिकाके सहकार्यमे कुड़ाकचरा व्यवस्थापनक काज भ रहल ओ बतौलैन । “हमसभ अइसँ पहिने सन् २०२४ मे सगरमाथाके क्याम्प–१ सँ २ सओ ३४ किलो आ अमादब्लम हिमालसँ ६ सओ ४१ किलो कुड़ाकचरा सङ्कलन कएने छलौँँ, अइबेर साइमेक्स इङ्कके सहकार्यमे सगरमाथा क्षेसँ दू सओ ८६ किलो कुड़ाकचरा जमा करबाक काज भ रहल छै । आब अमादब्लम आ मनास्लुसँ कुड़ाकचरा जमा करबाक योजना अइछ”, ओ कहलैन । एयरलिफ्ट टेक्नोलोजीसँ सगरमाथामे कुड़ाकचरा जमा भेलाक बाद अइ अभियानकेँ आन हिमाली क्षेत्र आ राष्ट्रिय निकुञ्जमे विस्तार करबाक योजना रहल ओ बतौलैन ।
साइमेक्स इङ्कके बजार प्रमुख समिर श्रेष्ठके अनुसार बितल सिजनमे सगरमाथाके क्याम्प–१ सँ ड्रोनके प्रयोग क दू सओ ८६ किलो कुड़ाकचरा जमा भेल छल तँ अइ सिजनमे कुड़ाकचरा जमा क भ रहल छै । “एयरलिफ्ट कम्पनी अइसँ पहिने सगरमाथा क्षेत्रमे भेल कुड़ाकचरा जमा कएने छल”, ओ कहलैन, “अइबेर साइमेक्स इङ्क आ एयरलिफ्ट टेक्नोलोजी मिल क एक हजार किलो कुड़ाकचरा जमा करबाक काज सुरु कएने छी ।”
जलवायु परिवर्तनविरुद्धक अभियानमे प्रविधिके महत्वपूर्ण भूमिका होबाक उल्लेख करैत बिवाइडीके बजार प्रमुख श्रेष्ठ कुड़ाकचरा जमा करबाक लेल ड्रोनके प्रयोगसँ आसान भेल बतौलैन । “रोप फिक्सिङमे सेहो ड्रोनके सफल प्रयोग भेलाक बाद कुड़ाकचरा जमा करबाक लेल ड्रोनके प्रयोग कएने छी”, ओ कहलैन ।
नेपाल पर्वतारोहण सङ्घक प्रथम उपाध्यक्ष तथा आरोही मिङ्मा डेभिड शेर्पा आरोहीसभ सगरमाथामे कुड़ाकचरा जहितहि फेकलाक कारणेँ समस्या भेल बतौलैन । सगरमाथासँ कुड़ाकचरा सङ्कलनमे बेसी खर्च आ खतरा बेसी रहल उल्लेख करैत ओ प्रविधिके प्रयोगसँ आसान भेल बतौलैन । ओ कहलैन, “आरोहीसभसँ सब बेर कुड़ाकचराके नामपर सरकार किछ शुल्क धरौटीके रुपमे राखैत छै । मुदा, बादमे ओ शुल्क फिर्ता क दै छै । तैयो सगरमाथामे कुड़ाकचरा कम होएके बदला आओर बइढ़ रहल छै, अइसँ समस्या आओर बढ़ल छै ।” रासस






