मेयर साहेव ! रामन्दिर झँपा गेल


नित्यानन्द मण्डल

सिरी मेयर साहेव
पैरनाम ।

नित्यानन्द मण्डल

हमर हाल–समेचार नीमने हइ । अपनहुँ निम्मने नाहित होएब से किशोरीजीसँ विनती करैत छी । जे होइक रातिवीच कहुना कटल मुदा भुसनी मच्छर सोझे लोहछा देलक । खैर जे होइक छिटकल इजोरियामे चनरामा विहुँसैत-हिचुकैत रहय । कोजगरामे त जनकपुरमे अमृत बरसल, बुझाइ जेना जानकी मन्दिलमे
स्वर्ग उतैर आएल होइ । आब घर घुरबाक बेर भ गेल, तैं मोन भेल जे एकबेर अपनेसँ बतिआ लिअ ।

से की कहुँ । रातिमे एकटा सपना देखली । डरे देह थरथर कापय लागल । मच्छर चलते नीन्न त होबे नञि करैय, आँखि लागले रहे की ५ हाथसँ उप्पर, भादोक अन्हरिया जेकाँ लट छिडिओने, उज्जर धप्प, गोर आगि एकदम्मसँ गोर भुभुक्का, पातर ठोर, सोटल–साटल नाक मुँहबाली महरानी जी सोझे सिरहना ल आवि ठाढ भ गेलीह, हमरा जे बुझु कोनो करम बाँकी नञि रहल । महावीर जीके जाप करय लगलीह । तइयो नञि छोडलक ।

उनटे कहए लागल जे पहुनमा सिरी रामचनरक मन्दिर माने राम मन्दिर झपा गेल हइ । बुझएबे नञि करैय हइ जे ई राम मन्दिर हइ की नञि ? किदुन कहलकै जे फनफुन पार्क हइ, हुनका दुरादरबज्जा पर बुझाइ सर्कस लागल हई, रामहिलोरा, हेलिकप्टर, हवाईजहाज, रेलसभ एकठाम हइ । पबनीतिहारमे लोक साफसुथरा करैय हइ अपना घरआँगनाके आ ई बहिनोया सिरी रामचनरक दुरादरबज्जा पर की तोरा आउरके निम्मन लगैय हउ ? हमरा त बुझाए जे जनकपुरमे जखन रामे–सीता नहि त कथिके जनकपुर ।

एकाएक मोन परय लागल जे एमकीक दशमीमे हमरो पोतापोती, बेटापुतौह आउर सेल्फीउल्फी मारने खिँचाओल फोटोफाटो देखौने रहय । मन तृपित रहय । मगर महरानी जीके बोली सुनिते अवाक्क भ गेली । से हे कलना बाबा कहने रहै जे देवता ढिटइ नहि करयके चाही । देवतासे डरयके चाही । से याद अविते आउर सरदगरम चपि देलक ।

हम कनेक मोनके स्थिर करैत कहलियनि जे हे महरानी हमरा की कहैत छी ? हम त अदना लोक छी । बरु हम मेयर साहेव लग ई समेस्या पहुँचा देबनि । एतेक कहिते छी की ओ अलोपित भ गेलीह । बुझु जे जानमे जान लौटल । साँसमे साँस पलटल ।

से हे त, पहिने पहिने राममन्दिरमे बटुकसभ स्त्रोत,स्वास्तीक बाचन करैत, पढैत लिखैत देखयमे अबैत रहय, सेहो एहिबेर नञि देखल–सुनल । पहिने पहिने गेरुआ बस्त्र धारण कएने गिरीपुरी बुढवा बुढिया राममन्दिरमे रहैत छल तकरो सभके नञि देखली, खाली भीखेभिखार । साहए त केकर कयाकल्प, नजरिगुजरि लागि गेल जनकपुरके ? के सभ अजवारने अछि ओकरा आउरके कोठली ? के दखल कएने हइ भगवान श्री रामके दुरादरबज्जा ? कतय बन्हकी लागल हई हुनकरा घरआँगना ? ई जनकपुरक धरती बड पवितर हइ । बेजाय करबाला के नञि बक्सै हइ । से देखबे करैत छी कएटा हइ भितर, कएटा हइ उपर आ कतेक हइ बाहर से । तैं सावधानी जरुरी हइ ।

साहए जाइत जाइत कहि रहल छी जे विआह पञ्चमी सेहो लगचिआ गेल । सभकेओ मिलिक हुनकर आवास, निवास, घरआँगन, दुरादरबज्जाके चिक्कनचुनमुन बनोने रहु । नञि त सुखले जनकपुरमे रामे राम, राम एक, राम दू करैत गृहस्थ–बनिऔटी संस्कृतिमे मौलिकताके खोजी करैत अपस्यिाँत रहब । बुझले अछि जे मिथिलामे राम नञि रिझलाह । से विचार करब । पहुनमा रुसि जएताह त, गालमुँह फुलौताह त, अखनके लेल एतबे, फेर विआहपञ्चमीमे सारा गिल्ला, सिकवा, उल्लहन, परतर, सिकवा सिकाइतक कोनो गुञ्जाइस नञि होइक से आग्रह करैत छी । बेसी बतिआएब त रेल छुटि जाइत त जटही दक बड फिरसानी होएत । जीनगी जान रहत त विआहपञ्चमीमे भेटव । फेरसँ पैरनाम ।

अपनेक उल्हनियाँ
जिलेवीया देवी
मधुवनी विहार

Image : en.wikipedia.org

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