सङ्घ संस्थासम्बन्धी विधेयकके मस्यौदा सुधार करबाक माँग


काठमाण्डू, १४ भादबः नेपाल बार एसोसिएसन, गैरसरकारी संस्था (गैसस) महासङ्घ आ नागरिक समाजक प्रतिनिधिसभ सरकारद्वारा बनाएल गेल सङ्घ संस्थासम्बन्धी विधेयक, २०८२ के मस्यौदा सुधार करबाक माँग केलक अइछ ।

नेपाल बार आ गैरसरकारी संस्था महासङ्घद्वारा संयुक्त रुपमे शुक्रदिन काठमाण्डूमे आयोजन कएल गेल विचारविमर्शमे सहभागी वक्तासभ विधेयकके मस्यौदा सङ्घ संस्थाके अधिकार हनन करबाक रहलासँ ओइमे भेल कमजोरी सुधार क मात्रे आगु बढ़ैपर जोड़ देलैन ।

राष्ट्रिय निर्देशन ऐन, २०१८, सङ्घ संस्था ऐन, २०३४ आ समाज कल्याण ऐन, २०४९ केँ एकीकृत क सङ्घ संस्था दर्ता नियमन तथा व्यवस्थापनसम्बन्धी कानुनकेँ एकीकरण करबाक लेल बनल विधेयक, २०८२ के मस्यौदा सरकार किछ समय पहिने सार्वजनिक कएने छल ।

विचारविमर्शमे गैसस महासङ्घक अध्यक्ष अर्जुन भट्टराई लोकतान्त्रिक मूल्य मान्यता, संवैधानिक अधिकार, नागरिक स्वतन्त्रता आ सरोकारवालाके अर्थपूर्ण सहभागिता सुनिश्चित होबैजका सङ्घ संस्थासम्बन्धी विधेयक, २०८२ के मस्यौदामे भेल त्रुटिसभ तत्काल सुधारक लेल माँग केलैन । “प्रमुख सरोकारवालसँ सम्बन्धित विषयमे बिना परामर्श विधायन ऐन, २०८१ के दफा ६ (२) के प्रयोजनक लेल केवल औपचारिकता मात्र पूरा करबाक सुझाव मँगने कारण ओइसँ नागरिक समाजक अवमूल्यन भेल छै”, ओ तर्क देलैन ।

अइ विधेयकके मस्यौदामे बहुतरास कमजोरी भेलासँ दफाबार रुपमे गम्भीर बहस करबाक आवश्यक अइछ से बात नेपाल बार एसोसिएसनक कार्यवाहक अध्यक्ष सरस्वती श्रेष्ठ धारणा व्यक्त केलैन ।

विधेयकके मस्यौदा नियमनकारीसँ बेसी नियन्त्रणमुखी भेल, विदशी गैरसरकारी संस्थाकेँ नेपालमे काज करबाक लेल झन्झटिया प्रावधान राखल गेल आ नेपालमे सामाजिक क्षेत्र आ गैरसरकारी संस्थाक क्षेत्रमे काज करबाक लेल इच्छुक समाजसेवीकेँ निरुत्साहित कएने वरिष्ठ अधिवक्ता टीकाराम भट्टराईके कहब छैन । रासस

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